एक साथ बेहतरनमूना
अहंकार नाश करता है, विनम्रता निर्माण करती है।
अहंकार रिश्तों को बर्बाद कर देता है। यह अलग-अलग बातों में /तरीकों से नज़र आता है, जैसे कि आलोचना, प्रतियोगिता, हठीलापन,और छिछलापन ।
अहंकार के साथ एक समस्या है, यह स्वयं को धोखा देने वाला होता है। हमारे अलावा इसे हर कोई हमारे अंदर देख सकता है लेकिन हम नहीं। जब आपके अंदर अहंकार की समस्या आ जाती है, तो यह आपको अपने जीवन में दिखाई नहीं देता।
नीतिवचन 16:18 में लिखा है, "विनाश से पहले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।" मुझे इस वचन का सांकेतिक सन्देश बेहद पसंद है: "पहले अहंकार, उसके बाद सर्वनाश — जितना बड़ा अहम्, उतनी बड़ी ठोकर।"
अहंकार रिश्तों को बर्बाद कर देता है, लेकिन विनम्रता अहंकार को ख़त्म करने की औषधि है। विनम्रता रिश्तों को बनाती है। 1 पतरस 3:8 में बाइबिल बताती है, "निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करुणामय, और नम्र बनो।"
आप और मैं कैसे नम्रता में बढ़ सकतें हैं? यह केवल तभी संभव है जब हम यीशु मसीह को, हमारे विचारों तथा हृदयों और व्यवहार तथा प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण लेने दें। उनको इसका हिस्सा बनना ही पड़ेगा। इफिसियों 4:23-24 में लिखा है, "और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नए बनते जाओ। और नए मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।"
आप एक नया मनुष्य कैसे बन सकते हैं? आप एक नए अंदाज़ में सोचना कैसे आरम्भ कर सकते हैं? रिश्तों का मूल सिद्धांत है: कि जिस तरह के लोगों के साथ आप समय व्यतीत करतें हैं, आप उनके जैसे बनते जाते हैं। यदि आप चिड़चिड़े लोगों के साथ समय बिताओगे, तो आप भी चिड़चिड़े बन जाओगे। यदि आप खुशमिज़ाज़ लोगों के साथ समय बिताओगे तो आप भी खुशमिज़ाज़ बन जाओगे। यदि आप और विनम्र बनना चाहते हो, तो आपको यीशु मसीह के साथ समय व्यतीत करना पड़ेगा। वो नम्र हैं। वो आपके साथ एक रिश्ता बनाना चाहतें हैं। वो चाहतें हैं कि आप प्रार्थना के द्वारा, और उसका वचन पढ़ने के द्वारा, और उससे बातचीत करने के द्वारा, उसके साथ समय बिताएं। वो नम्र हैं, और जैसे-जैसे आप उसके बारे में और अधिक जानते जाओगे, आप और अधिक उसके जैसे बनते जाओगे।
"दीनता से एक-दूसरे को अपने से अच्छा समझो। ........ जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।" (फ़िलिप्पियों 2:3-6)
किसी ने भी यीशु जैसा नम्र बनने के लिए ऐसा कुछ नहीं किया, कि वो मनुष्य बनने के लिए स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आया, हमारे लिए जीवित रहा, अपना जीवन हमारे लिए दे दिया, और हमारे लिए पुनर्जीवित हो गया। जब आप उसके इर्द-गिर्द समय बिताते हैं, तो इससे आप और भी विनम्र बनते जाते हैं, और इसके कारण आपका रिश्ता और अधिक बनता जाता है।
इस योजना के बारें में
आप बिना किसी मदद के वो नहीं बन सकते जो परमेश्वर आपसे चाहता है की आप बनें और ना ही इसके बिना आप इस ग्रह पर अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. हमें एक दुसरे की ज़रुरत है और हम मसीह में एक दुसरे से सम्बन्ध रखते हैं. इस श्रृंखला में पास्टर रिक बताते हैं की दुसरे लोगों के साथ अपने संबंधो को जीवंत कैसे रखें.
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