एक साथ बेहतरनमूना
उनका स्वागत (स्वीकार करके) दूसरों को अभिपुष्ट(दृढ़)करें
एक छोटा सा भेद है: प्रत्येक व्यक्ति अभिपुष्टि की खोज में हैंI क्या आपका इस ओर ध्यान गया?ये पाने के लिए लोग कुछ भी कर जायेंगें I अगर इस बात पर विश्वास नहीं हैं, तो कुछ दिखाए जाने वाले यथार्थ दूरदर्शन को देख लें, टी.वी(दूरदर्शन) में दिखाने के लिए क्या नहीं करते हैं, ताकि लोग उनके लिए ताली बजा कर प्रशंसा करें I
परमेश्वर एक असाधारण रीति से अभिपुष्टि करने वालाऔर स्नेही पिता हैंI जब आप दूसरे लोगों की अभिपृष्टि करते हैं तो आप प्रेम को दिखा कर मसीह को दर्शाते हैं। यीशु ने अपने सेवाकाल में लोग़ों को अभीपुष्ट किया, आप भी यीशु की ही तरह सेवा कर रहें हैं I आप संसार को थोड़ा और दिखा रहे हैं कि परमेश्वर कैसे हैं।
लोगों को स्वीकार (स्वागत) करके अपनी दिनचर्या में उनको अभिपुष्ट करना भी उत्तम तरीका है I रोमियों-15:7" एक दूसरे को अपनाओ जैसे तुम्हें मसीह ने अपनाया"I कभी आसान चयन हो जाता है लोगों का अनादर करना, नीचा दिखाना और अप्रतिष्ठित करना, विशेषत: जब वह हमारे मापदंड़ के स्तर-मान तक नहीं पहुंचत पाते हैI हम सब में ऐसी प्रवृत्ति होती है कि हम अपनें गुणों को लेकर दूसरों के ऊपर प्रक्षेपण करते हैं,और फिर उनकों नीचा दिखाते हैं जब वह हमारी प्रत्याशा को पूरी नहीं कर पाते हैं। उदाहरण के तौर पर,आप शायद वह व्यक्ति हो जो समयपालक हैं किन्तु जब दूसरे विलंब करतें है तो आप उन को नीचा दिखाने का अवसर नहीं गंवातेI साथ-साथ आप अपने लिए फूले नहीं समाते कि आप अपेक्षाकृत बेहतर समयपालक हैं। सम्भवतः आप एक सुव्यवस्थित व्यक्ति हैं जो दूसरों के घर जब जाते हैं तो उनके घरों को अव्यवस्थित देखकर आप अपने लिए फूले नहीं समातेI हमारी प्रवृत्ति हो जाती है दूसरों का हमारे गुणों के आधार पर आकलन करने की, यह भूलकर कि हम भी दूसरे क्षेत्रों में कमजोर हैं।
आइये मैं आपको सही रीति बताता हूँ जिससे आप बेहतर अनुभव करेंगे I बजाय लोगों को नीचा दिखाने के, लोगों का उत्थान करने की चेष्टा करें? यह आपको अवर्णनीय रोमांच देगाI
बाईबल बताती है रोमियो के 12-10 में," भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो(एक ही परिवार के सदस्यों के समान) आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्त्व दो"I
परमेश्वर का कार्य करने के अनुक्रम में, परमेश्वर के द्वारा दिये गये सिद्धान्तों का हमारे बीच में आपको और मुझको महत्त्व रखना होगा और जानना होगा हमें कितनी अद्भुत रीति से प्रतिरूप दिया है। आप ऐसे तब जान पायेंगे जब आप किसी को स्वीकार लेते हैं: तो आप उनको अपने समान बनने के लिए ज़ोर डालना बन्द कर देते हैं। आप इस बात के लिए समझने और आनंदित होने लगते है कि वे भिन्न है। सत्य बात तो यह हैं अगर सब आपके समान हो जायेंगे तो ये संसार एक उबाऊ स्थान हो जायेगा। इसलिए परमेश्वर ने हम सब को विविध रूप से बनाया है ताकि हम विविध कार्य कर सकें और संसार में सबकुछ हो जायेंI
परिवार का, एक छोटी मण्डली, कलिसियायी परिवार,और किसी भी धर्म- संप्रदाय का उद्देश्य ये नहीं हैं कि लोगों को आपकी द्दवि में ढ़ाले बल्कि उनको स्वीकारें और एक दूसरे को अभिपुष्ट करें ताकि एक दूसरे की सहायता करे ये जानने के लिए कि परमेश्वर ने हमें क्या होने के लिए अस्तित्व दिया है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
आप बिना किसी मदद के वो नहीं बन सकते जो परमेश्वर आपसे चाहता है की आप बनें और ना ही इसके बिना आप इस ग्रह पर अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. हमें एक दुसरे की ज़रुरत है और हम मसीह में एक दुसरे से सम्बन्ध रखते हैं. इस श्रृंखला में पास्टर रिक बताते हैं की दुसरे लोगों के साथ अपने संबंधो को जीवंत कैसे रखें.
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