एक साथ बेहतरनमूना
अपनी ग़लतियों को अंगीकार करने के चार लाभ I
अपनी ग़लतियों का अंगीकार करना एक ऐसा छुपाा हुआ अंश है जो समुदायों का कोई भी वस्तु से ज्यादा तीव्रता से निर्माण करता है। परन्तु क्यूँ कर कोई भी अपनी सत्यनिष्ठा को दाँव पर लगायेगा? क्योंकि ये दाँव लगाने योग्य हैं I परमेश्वर कहते हैं अपनी ग़लतियों, अपनी भावनाओं, अपनी त्रुटियों, और अपने भय के लिए सत्यनिष्ठ होने से चार लाभ है।
1: भावात्मक चंगाई- बाईबल याकूब5:1 6 में कहती हैं," इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करों ताकि तुम भले चंगे हो जाओ"I
एक बड़ा अन्तर है भावात्मक चंगाई और क्षमादान में I अगर आपको अपने जीवन में कोई भी बात के लिए क्षमादान चाहिए है तो, सिर्फ आपको इतना भर करना है कि आप परमेश्वर के सम्मुख अंगीकार करले I किसी दूसरे व्यक्ति को बताने के द्वारा ही भावात्मक चंगाई आती है।
2: नयी शुरूआत- नितिवचन28:13 मैं लिखा है," जो निज पापों पर पर्दा डालता है, वह तो कभी नहीं फलता-फूलता हैI किन्तु जो निज दोषों को स्वीकार करता और त्यागता हैं, वह दया( दूसरा अवसर) पाता है"I
अपनी छोटी मण्डली में आप ये एक सहायक पूर्ण कार्य कर सकते हैं लोगों को अपने आपको क्षमा करने के लिए उकसाने के द्वाराI कितने लोग ऐसे है जिनको आवश्यकता हैं ऐसे लोग़ों की जो उनसे कहे," आपने परमेश्वर के सम्मुख स्वीकार कर लिया है? आप क्षमा पा चुके I आपने अंगीकार कर लिया है? तो आपको क्षमा मिल गयी है I बीती बात भूल जायें I"
3: परमेश्वर की सामर्थ्य परिवर्तन के लिए- "प्रभु के सामने दीन बनों, तो वह तुम्हें ऊँचा उठाएगा" (याकूब 4:1 0)
Iये कैसे कार्य करता है? बाईबल बताती है कि परमेश्वर अभिमानियों का विरोधी है, जबकि दीन जऩों पर अपना अनुग्रह दर्शाता है I परमेश्वर का अनुग्रह ही परिवर्तन की सामर्थ्य है। जब आपको परमेश्वर का अनुग्रह मिलता है, तो बदल सकते हैं उन बातों को जिनको आप हमेशा से अपने जीवन में बदलना चाहते थे I किन्तु ये सिर्फ दीनता के द्वारा ही होता है, और दीनता सत्यनिष्ठा से ही मिलती है।
4: प्रगाढ सहभागिता - बाईबल बताती है,". पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं"( 1 यहून्ना-1: 7)
I हम सोचते है अगर हम अपने भय, नाज़ुक समस्या, अपूर्णता, और अप्रकट त्रुटियों को किसी के संग बांटेंगे तो वह हमें कमतर सोचेंग़े I लेकिन इसके विपरीत सत्य ये है कि आप जितना सत्यनिष्ठ होगें, लोग आपको चाहेंगें,और आपके साथ संगति करना पसंद करेंगेI
आप में से बहुतों को ये आभास हुआ होगा," कि मेरा जीवन खिचड़ी सा हो गया है। मेरी कुछ गंभीर बेतरतीबी, आदतें, अभ्रद प्रतिक्रियाएं, और बुरे संबंधI किसी भी रिति से में अपने जीवन की ये सब बुरी बातों का अंगीकार नहीं कर सकता I
लेकिन परमेश्वर आपकी पीड़ा को चंगा करना चाहते हैं। उसके बाद आपको दूसरों के जीवन में काम करने के लिए इस्तेमाल करना चाहतें हैं I वह सिर्फ आपके समर्पण के लिए ठहरें हैं I
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
आप बिना किसी मदद के वो नहीं बन सकते जो परमेश्वर आपसे चाहता है की आप बनें और ना ही इसके बिना आप इस ग्रह पर अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. हमें एक दुसरे की ज़रुरत है और हम मसीह में एक दुसरे से सम्बन्ध रखते हैं. इस श्रृंखला में पास्टर रिक बताते हैं की दुसरे लोगों के साथ अपने संबंधो को जीवंत कैसे रखें.
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