गहराई में उतरना - इफिसियोंनमूना
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नये जीवन को प्राप्त करना तथा आत्मविश्वास के साथ उस जीवन को जीने के लिए हमें लगातार लड़ने और संघर्ष करने की जरूरत पड़ती है क्योंकि हमारे प्राणों का शत्रु हमें कभी आराम से रहने नहीं देगा। वह हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियों को लाता है जिससे हम पाप और प्रलोभन के पुराने तौर तरीकों में फिसल,लड़खड़ा या गिर जाते हैं। वह चाहता है कि हम लोगों को छोड़ दें,एक दूसरे पर दया न करें और हमारी कलीसिया में लोगों के बीच एक दूसरे के प्रति मेल मिलाप खत्म हो जाए। वह अपने सारे औज़ारों को इस्तेमाल करके जानबूझ कर परिवारों में गड़बड़ी फैलाता है। लेकिन खुशखबरी यह है कि हमारे पास शस्त्रों को ऐसा शस्त्रागार है जो उसके सारे आक्रमणों को निष्क्रीय करने तथा उसे शक्तिहीन बनाने के लिए पर्याप्त है। यह बात सत्य है कि हमारा शत्रु पहले से ही हारा हुआ है,पाप और मृत्यु पर विजय पाने के लिए यीशु का धन्यवाद,लेकिन यदि हम उसकी चालों से अनजान हैं तो वह हमें फाड़ खाने की ताक में बैठा रहता है। आपके लिए उसकी चालों को समझना और उनके खिलाफ मज़बूती से खड़े रहना अति महत्वपूर्ण है। आप परमेश्वर के सभी हथियारों को धारण कर लें ताकि आप आत्म आत्मविश्वास के साथ उस शत्रु का सामना कर सकें। उद्धार का टोप आपके दिमाग की रक्षा करता तथा आपके विचारों को मसीह में तैयार करता है। धार्मिकता की झिलक आपके हृदय की सुरक्षा करती है,जो आपके मनोभावों का स्थान है। मेल मिलाप के जूते आपको उन क्षेत्रों तक ले कर जाते हैं जिन्हें परमेश्वर ने आपके लिए चिन्हित किया है। सत्य का पटुका आपके सभी हथियारों को एक जुट करके रखता है जबकि विश्वास की ढाल हमें शत्रु के अग्निमय तीरों से बचाती है। एक हथियार बाकि हथियारों के समान निष्क्रिय या रक्षात्मक नहीं है वरन यह हथियाय सक्रिय और आक्रामक है,जो परमेश्वर का वचन अथौत आत्मा की तलवार है। यह जीवित और सक्रिय,शत्रु की योजनाओं का पूरी तरह से पर्दाफाश करने और उसे हराने में सक्षम है।
युद्ध की योजना तब सम्पूर्ण होती है जब हम हर समय और हर प्रकार से आत्मा में होकर प्रार्थना करते हैं। परमेश्वर हमारी बदले लड़ाई को लड़ते हैं और प्रार्थना हम प्रार्थना के द्वारा उसके साथ जुड़ जाते हैं। इसी के द्वारा सम्पूर्ण स्वर्ग शत्रु और उसके सेवकों के विरूद्ध लड़ाई में हमारे साथ हो जाता है। किसी भी चीज़ को बदलने से पहले प्रार्थना हमें बदलती है। वह हमें उस स्थान पर लाकर खड़ा कर देती है जहां हम पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर हो जाते हैं।
प्रार्थनाः
हे प्रभु,मैं प्रार्थना करता हूं कि जब भी कभी मैं प्रार्थना करूँ,तो मुझे आपकी ओर से शब्द दिये जाएं ताकि मैं निडर होकर सुसमाचार के भेद को लोगों के सामने बांट सकूं।
मेरे जीवन को आप शान्ति,प्रेम और अनुग्रह से भर दें।
यीशु के नाम में मागते हैं
आमीन।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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इस बाइबल योजना में हम इफिसियों के इस अध्याय की गहराई में इसलिए उतर रहे हैं ताकि हम आसानी से नज़र अन्दाज़ करने वाले वचनों पर मनन कर सकें। हमारी इच्छा है कि जब आप इस पुस्तक को अकेले या अपने किसी मित्र के साथ पढ़ें तो परमेश्वर आपको इस संसार में आपके ईश्वरीय उद्देश्य के बारे में बताएं और आगे की राह हेतू आवश्यक दिशा प्रदान करें।
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