गहराई में उतरना - इफिसियोंनमूना
धरती पर मसीही लोगों के सम्बन्ध (निश्चय तौर पर परमेश्वर के साथ सम्बन्ध बनाने के बाद) सम्भवतः सबसे बड़े खज़ाने हो सकते हैं! और किसी मसीही के साथ सम्बन्ध बनाना धरती पर एक अति कठिन कार्य भी हो सकता है। यह एक वास्तविकता है। एकता में रहना एक कठिन कार्य है। एक दूसरे को प्रेम करना,एक दूसरे की गलतियों को नज़रअन्दाज़ करना एक भारी कार्य है। प्रेम और सम्मान के साथ एक दूसरे के प्रति अधीन रहना के लिए प्रयास करना पड़ता है।
रिश्तों के सिद्धान्तों को अभ्यास और पोषण सबसे पहले मसीही परिवारों में होता है। एक पुरूष और स्त्री के बीच विवाह के लिए आवश्यकता होती है कि जिस तरह से मसीह अपनी कलीसिया को प्रेम करता है वैसे ही वे भी एक दूसरे से प्रेम व एक दूसरे का आदर करें।समर्पणऔर आदर जैसे शब्दों को तोड़ मरोड़कर कर गलत अर्थों के साथ पेश किया जाता है और इन शब्दों का शोषण होने के कारण लोगों ने इससे किनारा भी कर लिया है लेकिन ये ऐसे गुण हैं जिससे विवाह स्वस्थ और मसीही केन्द्रित भी रहता है। यदि कोई कलीसिया मसीह के प्रति समर्पित नहीं है तो वह सर्वदा एक अव्यवस्थित कलीसिया होगी। यदि परमेश्वर ने पूरे मन से अपनी कलीसिया को प्रेम नहीं किया होता जो आज कोई कलीसिया ही नहीं होती।
पालन पोषण करने के पुराने तरीकों के कारण माता पिता और बच्चों के रिश्तों के बीच में प्रायः खराब हो जाते हैं जिससे उनके बीच में कड़वाहट और क्रोध भावना उत्पन्न हो जाती है। बच्चों से सभी बातों में अपने माता पिता का आदर करने और उनकी आज्ञाओं का पालन करने के लिए तथा पिता को बिना रिस दिलाए अपने बच्चों को पालन पोषण करने के लिए कहा गया है। चाहे हमारा बचपना कठिन था या बच्चों का पालन पोषण तनावपूर्ण था,चाहे हमारे जीवन की यात्राएं कैसी भी रही हों,प्रमुख सिद्धान्त यह है कि हम एक दूसरे से प्रेम करें।
एक कारगर रिश्ते में आवश्यकता होती है कि स्वामी तरस खाने वाला हो और दास एक आज्ञाकारी और अधीन हो। इन सारे उदाहरणों को इसलिए बताया गया है ताकि हमें पता चल सके कि मसीह में हमारा नया जीवन कैसा होना चाहिए। इन शिक्षाओं का सम्बन्ध केवल“कलीसिया के भीतर”हमारे जीवन से नहीं वरन हमारे दैनिक जीवन के प्रत्येक क्षण से है। यीशु के एक अनुयायी के लिए,उनके पारिवारिक जीवन और उनके व्यावसायिक जीवन का हर एक पहलू सुसमाचार की रूपान्तरणकारी प्रक्रिया से होकर गुज़रता और प्रभावित होता है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
इस बाइबल योजना में हम इफिसियों के इस अध्याय की गहराई में इसलिए उतर रहे हैं ताकि हम आसानी से नज़र अन्दाज़ करने वाले वचनों पर मनन कर सकें। हमारी इच्छा है कि जब आप इस पुस्तक को अकेले या अपने किसी मित्र के साथ पढ़ें तो परमेश्वर आपको इस संसार में आपके ईश्वरीय उद्देश्य के बारे में बताएं और आगे की राह हेतू आवश्यक दिशा प्रदान करें।
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