गहराई में उतरना - इफिसियोंनमूना
भेद एक ऐसा शब्द है जिसकी हर यीशु के अनुयायी को आदत पड़ जानी चाहिए। क्योंकि सच्चे और जीवित परमेश्वर में भेद की बात पायी जाती है। हमें परमेश्वर से जुड़ी सारी बातें पता नहीं हैं,हमें उसके कार्य करने के सुनिश्चित तरीके के बारे में पता नहीं है और न ही हम अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि वह अब आगे को क्या करने वाले हैं। भेद से सन्देह,भय या असावधानी नहीं लेकिन आश्चर्य,आदर और आशा उत्पन्न होनी चाहिए,क्योंकि उसका वचन कहता है,“तू भला है और भला करता भी है।”(भजन119:68)
पौलुस को यीशु से जुड़े बहुत से भेदों का ईश्वरीय प्रकाशन प्राप्त था। उसे इस बात का पता था कि यीशु की मृत्यु और उसके पुनरूत्थान के द्वारा यहूदी और अन्यजातियां आपस में एक हो जाएंगी। यीशु का दास होने के नाते,वह अन्यजातियों में सुसमाचार को लेकर गया ताकि उसके जीवन में परमेश्वर की योजना पूरी हो सके। मसीह की देह,यहूदियों और अन्यजातियों के लिए विशाल उद्देश्य यह है कि हम परमेश्वर के विभिन्न प्रकार के ज्ञान को प्रधानों और अधिकारियों पर मसीह के नाम और उसकी कीर्ति को प्रगट करें।
पौलुस इफिसियों की कलीसिया में पाये जाने वाले विश्वासियों के प्रार्थना करते हुए इस अध्याय को समाप्त करता है। वह अपनी प्रार्थना में चार प्रमुख निवेदनों को प्रगट करता हैः
- पवित्र आत्मा से सशक्त हो जाओ
- अपना सम्पूर्ण भरोसा मसीह पर रखें
- उनके प्रति परमेश्वर के गहन प्रेम का अनुभव करें
- परमेश्वर को महिमा देने वाला जीवन व्यतीत करें।
क्या आप विश्वास के साथ अपने लिए वही प्रार्थना करेगें जो पौलुस ने16-21पदों में की थी?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
इस बाइबल योजना में हम इफिसियों के इस अध्याय की गहराई में इसलिए उतर रहे हैं ताकि हम आसानी से नज़र अन्दाज़ करने वाले वचनों पर मनन कर सकें। हमारी इच्छा है कि जब आप इस पुस्तक को अकेले या अपने किसी मित्र के साथ पढ़ें तो परमेश्वर आपको इस संसार में आपके ईश्वरीय उद्देश्य के बारे में बताएं और आगे की राह हेतू आवश्यक दिशा प्रदान करें।
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