दुख का सामनानमूना

दुख का सामना

दिन 10 का 10

जीवन की क्षण भंगुरता

अपने प्रियजन की मृत्यु से हमें इस जीवन की क्षण भंगुरता का एहसास होता हैं।

जीवन नाजुक और क्षण भंगुर हैं। यह सफर कुछ लोगों के लिये कुछ सालों का होता हैं। ओर के लिए कुछ दशकों का। पर सभों के लिए, एक दिन यह समाप्त हो जाता हैं।

मृत्यु के इस अनिवार्यता को देखते हुए, स्वयं को अनुशासित करते हुए, जीवन की क्षण भंगुरता को समझना हैं।

मगर कभी पूरा जीवन या किसी के जीवन की क्षति होने पर ही हम इसे समझ पाते हैं। इस लिए मूसा हमें भजन ९०:१२ में यह प्रार्थना करने बोलते हैं “ हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं। “

हम उन चीजों को महत्व देते हैं , जो हमारे लिये मूल्यवान हैं : पैसा, खेलों में अंक, भोजन में कैलोरी इत्यादि । अगर हम अपने दिन को मूल्यवान समझते हैं, तो हमें उसे भी गिनना चाहिए। ठीक उसीप्रकार जैसे कोई अपने वित्तीय निवेश को अधिक महत्व देते हुए गैर जिम्मेदार हो सकता हैं, उसी प्रकार एक व्यक्ति अपने जीवन काल को अधिक आँकते हुए गैरजिम्मेदारसकता हैं। जीवन को एक उपहार की तरह इस्तेमाल करनी की लिएबुद्धि औरसमझ की आवश्यकता होती हैं, इसे हल्के में ना ले।

जीवन की क्षण भंगुरता अत्यंत जिद्दी और निर्विवाद सत्य हैं। हम जीवन की अनिश्चितता के बारे में सोच सकते हैं – यह सत्य की हम में से किसी कि, कभी भी मृत्यु हो सकती हैं, आज या कल – जीवन ना केवल अनिश्चित हैं परंतु संक्षिप्त भी हैं।

अयुब में लिखा हैं “मनुष्य जो स्त्री से उत्तान होता हैं , वह थोड़े दिनों का और दुख से भरा रहता हैं। वह फूलों की नई खिलता, पीर तोड़ा जाता हैं; वह छाया की रीति पर ढाल जाता, और कहीं ठहरता नहीं... मनुष्य के दिन नियुक्त किए गए हैं, और उनके महीनों की गिनती तेरे पास लिखी हैं, और तूने उनके लिये ऐसा सिवाना बंधा हैं जिसे वह पार नहीं कर सकता, एक कारण उस से अपना मुख फेर ले, कि वह आराम करें, जब वो मजदूर की नाई अपना दिन पूरा न कर ले।

या फिर मूसा के शब्दों में, जो भजन ९०:१० हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे ब के कारण अस्सी क्यों ना हो जाए , तो भी उनका घमंड केवल नष्ट और शोक ही शोक हैं ; क्योंकि वो जल्द ही कट जाता हैं, और हम जाते रहते हैं।

एक व्यक्ति जो अपने आप को वयस्क समझता हैं, परंतु ऐसा जीवन जीत हो कि, उसकी कभी मृत्यु नहीं होगी,वो मूर्ख हैं। कम से कम परमेश्वर ने ऐसों को पवित्र वचन में, इसी प्रकार संबोधित किया हैं (लुका १२:२०)।

जीवन की क्षण भंगुरता के ज्ञान से हमारे जीवन में गंभीर प्रभाव पड़ना चाहिए। जिससे हमें जीवन में समय का सर्वोत्तम उपयोग करना सीखे।

संसार में जीवन की संक्षिप्तता के बावजूद इस में अर्थ और परिपूर्णता तभी आएगी जब हम प्रभु की आज्ञा मानेंगे और उनकी सेवा करेंगे।

संत पौलुस लिखते हैं, ‘परंतु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता कि उसे प्रिय जानु, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवकाई को पूरा करूँ, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई हैं’ (प्रेरित २०:२४)।

इसी प्रकार, जब आप के क्षणिक सांसारिक जीवन का अंत में होते हैं, आप परमेश्वर से दुखी या शोकित नहीं होते परंतु इसे अपना सम्मान समझते हैं कि , आप के जीवन से प्रभुके राज्य का विस्तार हुआ। और पूरे आत्मविश्वास के साथ पॉल के साथ आप भी यह कह सकते हैं, ‘ मैंने अपनी दौड़ पूरी कर ली हैं, मैं ने विश्वास की रखवाली की हैं। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वो मुकुट रखा हुआ हैं, जिसे प्रभु, जो धर्मी और न्यायी हैं, मुझे उस दिन देगा’ (२ तिमुथियुस ४:६-८)।

हाँ, जीवन क्षण भंगुर हैं, उसी प्रकार अनंतकाल के लिए निवेश करने का समय भी कम हैं। इसलिए अपना जीवन यीशु के लिए हर पल जीए।

उल्लेख: जो इस संसार में कुछ छप छोड़ते हैं, वे बहुत सारी चीजों में महारथी नहीं होते परंतु कम से कम एक चीज में महारत रखते हैं।श्री जॉन पाइपर

प्रार्थना: प्रभु, ये जानते हुए की मेरा जीवन संक्षिप्त हैं, मेरी मदद करें कि मैं इसे सर्वोत्तम इस्तेमाल करूँ ,और जब मेरा समय आप से मुलाकात का आए, मैं तैयार रहूँ । आमीन

पवित्र शास्त्र

दिन 9

इस योजना के बारें में

दुख का सामना

जब हमारे किसी प्रियजन की मृत्यु होती हैं, हम में विभिन्न भावनाएँ होती हैं। इस १० दिन के मनन में, अपने दुख को संभालना सीखे, जब हमारा कोई प्रियजन प्रभु के पाए चला जाते हैं। मेरी यह प्रार्थना हैं की जैसे आप इस मनन को करते हैं , प्रभु इसे आप को प्रोत्साहित करे। शोक करना ठीक हैं। प्रश्न पूछना ठीक हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए विजय थंगैया को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/ThangiahVijay