दुख का सामनानमूना

दुख का सामना

दिन 9 का 10

दुख के दो उद्धरण

१९२१ में, एक नव दम्पत्ति, डेविड और उनकी पत्नी सवेय फ्लड, अपने २ साल के पुत्र के साथ, मिशनरी के रूप में कांगो गए।

कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी को मलेरिया हो गया। इसी मध्य उन्हें पता चला कि, वो गर्भवती हैं और उन्हें कई महीनों तक तेज बुखार आता रहा।

अंततः सवेय, इतनी बीमार हो गई की वो बिस्तर से उठ नहीं पाई और एक स्वस्थ बेटी को जन्म देने के बाद, उनकी मृत्यु हो गयी।

उनकी पत्नी की मृत्यु की वजह से डेविड फ्लड को काफी सदमा पहुँचा। जब अपने बेटे के साथ वे अपनी पत्नी की कब्र के पास खड़े थे, उन्हें अपनी कुटिया उन्होंने से, अपनी बेटी के रोने की आवाज सुनी। हृदय की कटुता में गुस्से से बाहर गए, वो अपने आप को संभाल नहीं पाए और चिल्लाने लगे “परमेश्वर, तूने यह क्यों होने दिया? क्या हम अपने जीवन की आहुति देने यहाँ आए! मेरी पत्नी इतनी सुंदर थी, इतनी काबिल और अब यहाँ वो, सत्ताईस वर्ष की आयु में मृत लेटी है।“

“मैं अपने दो वर्ष के बेटे का खयाल रख नहीं पा रहा, बेटी का कैसे करूँ? परमेश्वर तूने मुझे निराश कर दिया। मेरे जीवन बर्बाद हो गया!“

उन्होंने अपनी बेटी दूसरे मिशनरी की देख रेख में दे दिया और जोर से बोले “मैं स्वीडन वापस जा रहा हूँ। मैंने अपनी पत्नी को खो दिया हैं और बच्चों का ख्याल रखने की योग्यता मुझ में नहीं हैं। परमेश्वर ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया हैं।“ यह कहते हुए वो बंदरगाह की ओर चल पड़े, ना केवल वो अपनी बुलाहट को छोड़, परंतु परमेश्वर को भी त्याग दिया।

कई वर्षों पश्चात उनकी बेटी ने उन्हें एक खंडर में, शराब की बोतलों के बीच पाया। वे अब ७३ वर्ष के थे ओर वे डियबीटीज़ की बीमारी से ग्रस्त थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ चुका था और दोनों आंख मोतियाबिंद से कमजोर हो गई थे।

प्रभु का धन्यवाद हो कि, अपनी बेटी से मिलने के बाद उन्होंने पश्चाताप किया और अपनी मृत्यु से पहले परमेश्वर की ओर फिर लौट आए। परंतु उन्होंने अपना सारा जीवन व्यर्थ गवा दिया।

लएट्टी क्रोमेन और उनके पति चालर्स १९०० वी सदी में जपान मिशनरी के रूप में गए।

१६ साल के प्रतिदिन प्रार्थना सभा के बाद, एक बाइबल संस्था, एक संगठन, कोरिया और चीन में वाचनप्रचार करने के बाद, चालर्स के बिगड़ते स्वस्थ के कारण दोनों यूनाइटेड स्टेट वापस लौट आए ।

कैलिफोर्निया में, चार्ल्स को दिल का दौरा पड़ा और उनकी हालत गंभीर हो गई। लएट्टी ने अपने पति की ६ वर्ष सेवा की। परंतु लंबे संघर्ष के बाद चार्ल्स की मृत्यु सितंबर १९२४ में हुई।

चार्ल्स की मृत्यु लएट्टी के लिए एक बहुत बड़ा धक्का था। क्योंकि उनका कोई संतान नहीं , था और चार्ल्स उनके लिए सब कुछ थे। उनका विवाह मानो “ स्वर्गी विवाह था” वे एक दूसरे के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थे। उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, ”यह मानो धरती में जीवित नरग हैं!” लएट्टी ने परमेश्वर से प्रार्थना की थी कि चार्ल्स पूर्ण रूप से ठीक हो जाए। वो चंगे क्यों नहीं हुए? क्या बहुतों ने चार्ल्स की चंगाई के लिए परमेश्वर के प्रार्थना नहीं की थी? परमेश्वर कहाँ हैं?

लएट्टी परमेश्वर के वचन की ओर मदद के लिए फिरी। मानो परमेश्वर उन से यह कह रहे थे कि, उसके जीवन में परमेश्वर की इच्छा से ज्यादा, क्या वो अपने पति की चंगाई की कामना करती हैं? लएट्टी कई घंटे बाइबल के वचन पढ़ने में बिताए, किताबें जो दुख और प्रोत्साहन भारी थी उन्हें पढ़ी। उन्होंने कई सत्य इन किताबों से लिखे। उन्हें इक बात का ज्यादा ज्ञान नहीं था की वो यह काम ना केवल अपने लिए पर दूसरों के लिए भी कर रही हैं, क्यों की श्रीमती क्रोमैन के इस अनुभव और टूटे हृदय में पढ़ी गई, और सैकड़ों पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान से “ स्ट्रीमस ऑफ डेजर्ट” पुस्तक का जन्म हुआ। करीब ९० वर्ष के बाद, आज भी स्ट्रीमस ऑफ डेजर्ट कीहजारों प्रतियाँ अनेक भाषाओं में प्रकाशित की जाती हैं।

आप परमेश्वर को आप के दुख का उपयोग कर दूसरों के जीवन में कार्य करने दे सकते हैं या अपना जीवन व्यर्थ बीता सकते हैं, चुनाव आप का हैं।

उल्लेख: याद रखे आपके पास केवल एक जीवन हैं। और नहीं। आप परमेश्वर की लिये बनाए गए हैं। इसे व्यर्थ ना गँवाए। श्री जॉन पाइपर

प्रार्थना: प्रभु, मेरी मदद करें कि, अपने किसी प्रिय जन की मृत्यु के बाद मैं कभी आप को ना छोड़ूँ और जीवन में हार कर हताश नहीं होऊँ।मदद करें कि, अपने जीवन को व्यर्थ ना बिताऊँ परंतु आपको अपने दुख से भी महिमा प्रदान करूँ। आमीन

पवित्र शास्त्र

दिन 8दिन 10

इस योजना के बारें में

दुख का सामना

जब हमारे किसी प्रियजन की मृत्यु होती हैं, हम में विभिन्न भावनाएँ होती हैं। इस १० दिन के मनन में, अपने दुख को संभालना सीखे, जब हमारा कोई प्रियजन प्रभु के पाए चला जाते हैं। मेरी यह प्रार्थना हैं की जैसे आप इस मनन को करते हैं , प्रभु इसे आप को प्रोत्साहित करे। शोक करना ठीक हैं। प्रश्न पूछना ठीक हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए विजय थंगैया को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/ThangiahVijay