दुख का सामनानमूना
मृत्यु जीवन का अंग हैं
मृत्यु एक ऐसा विषय हैं जिसके बारे में बात करने से हम कतराते हैं। बहुत विचलित होते हैं, कुछ डरते भी हैं। परंतु मृत्यु जीवन का अंग हैं।
श्री जार्ज बर्नार्ड शॉ ने ऐसा कहा था मृत्यु के आँकड़े चौंकाने वाले हैं “प्रत्येक व्यक्ति में से हर एक व्यक्ति की मृत्यु होती हैं” इस जीवन में सिर्फ मृत्यु ही निश्चित हैं।
परमेश्वर ने यह वादा कभी नहीं किया कि, हम या हमारे प्रियजनों की कभी मृत्यु नहीं होगी। वास्तव में उन्होंने ठीक इसके विपरीत वादा किया – सब की मृत्यु होगी। इब्रानियों९:२७ बताती हैं “और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त हैं।”
सभों की मृत्यु सुनिश्चित हैं। लोगों की मृत्यु होने देने के द्वारा परमेश्वर ने अपना कोई वादा नहीं तोड़ा हैं। सिर्फ जैसा उन्होंने कहा था वैसा ही होने दिया। जिस वक्त से आदम और हव्वा ने मृत्यु और पतन को इस संसार में प्रवेश करने दिया, मृत्यु उसी वक्त से इस सौदे का हिस्सा हैं। अतः हमें मृत्यु के लिए तैयार रहना हैं।
यूहन्ना ११:११ मेंहम देखते हैं कि, यीशु मसीह किस कोमलता के साथ एक विश्वासी के मृत्यु के बारे में बात करते हैं। वे लाजर की मृत्यु के विषय में घोषणा करते समय सुंदर और नम्र शब्दों का प्रयोग करते हैं- “हमारा मित्र लाजर सो गया हैं।”
मनोवैज्ञानिक हमें बताते हैं कि, थैनाटोफोबिया, अर्थात मृत्यु का डर ही सारे डरो की जड़ हैं। अगर आप में डर की आत्मा हैं, तो आपको वह परमेश्वर की ओर से नहीं मिली। आप डर के स्थान पर विश्वास को अपनाकर डर से छुटकारा पा सकते हैं। जब विश्वास आता हैं तो डर जाता हैं ! जब डर जाता हैं, तब ही विश्वास आता हैं!
यीशु ने मृत्यु के डंक को पहले से ही निकाल दिया हैं, उनके लिए जो उसे उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं (१ कुरिन्थियों १५:५५-५७) यीशु मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के द्वारा, हमें छुड़ाते हैं “और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।” (इब्रानियों २:१४-१५)। क्योंकि परमेश्वर के बच्चों को, जो उस पर विश्वास रखते हैं, मृत्यु का डर नहीं होता, पर महिमा के उस अनंत जीवन की आशा रहती हैं, जो इस क्षणिक सांसारिक जीवन से बढ़ कर उस स्वर्गीय जीवन में मिलेगा। जैसा पौलुस कहते हैं “मरना मेरे लिए लाभ हैं”(फिलिपियों १:२१)
जब कैंसर के कारण डोनाल्ड बर्नहाऊज़ की पत्नी की मृत्यु हुई, जो उन्हें तीन बच्चों के साथ अकेला छोड़ गई, जो १२ वर्ष से कम थे , तब उन्होंने सोचा बच्चों को आशा का संदेश कैसे दे, जब वे अंतिम संस्कार के लिये गाड़ी से जा रहे थे, एक बड़ा ट्रक पार हुआ, अपनी बड़ी बेटी से जो उदासी से शीशे के बाहर देख रही थी, बर्नहाऊज़ ने पूछा “बेटी, मुझे बताओ, तुम इस ट्रक को अपने ऊपर से गुजरने देना पसंद करोगी, या उसकी परछाई को?” बेटी ने उत्तर दिया “परछाई को, क्योंकि उससे कोई क्षति नहीं होगी।“ सभी बच्चों के तरफ देखते हुए उन्होंने कहा, “ आपकी माँ को मृत्यु नहीं परंतु, उनको परछाई ले गई हैं। डरने की कोई बात नहीं हैं।”
मृत्यु की उलटी गिनती हमारे जन्म के साथ ही शुरू हो जाती हैं। बाइबल मृत्यु के विषय में बोलने से घबराती नहीं हैं: उसके विषय में वही बताती हैं जो सत्य हैं। मसीही विश्वास का केंद्र बिन्दु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान हैं।
क्रूस वो द्वार हैं, जिससे होकर यीशु ने संसार के दुख और तकलीफ में प्रवेश किया और अकेलापन और मृत्यु की गहराई का अनुभव किया। पुनरुत्थान के द्वारा यीशु मसीह मृत्यु के डंक को तोड़ते हैं; वो मनुष्य के जीवन में पूर्ण विराम नहीं हैं, यीशु में पुनः परिभाषित हैं और हमें अनंत जीवन प्रदान करते हैं।
अगर हम परमेश्वर को सिर्फ क्रूस के द्वारा समझते हैं तो हम सुसमाचार की आशा और आनंद से वंचित हो जाते हैं ।
अगर हमारी समझ सिर्फ पुनरुत्थान पर आधारित हैं, तब हम पीड़ा को नहीं समझ पायेंगे और हमें वो अर्थ पूर्ण नहीं लगेंगे।
हमें दोनों की आवश्यकता हैं – क्रूस और पुनरुत्थान ।
उल्लेख: जहां पाप को हटा दिया गया हैं, मृत्यु केवल सांसारिक जीवन में एक रुकावट हैं जो हमें स्वर्गीय जीवन में प्रवेश करने में मदद करती हैं - श्री जॉन मैक आर्थर
प्रार्थना: प्रभु धन्यवाद हो की मृत्यु अंत नहीं हैं परंतु जीवन की शुरुआत हैं। आमीन
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जब हमारे किसी प्रियजन की मृत्यु होती हैं, हम में विभिन्न भावनाएँ होती हैं। इस १० दिन के मनन में, अपने दुख को संभालना सीखे, जब हमारा कोई प्रियजन प्रभु के पाए चला जाते हैं। मेरी यह प्रार्थना हैं की जैसे आप इस मनन को करते हैं , प्रभु इसे आप को प्रोत्साहित करे। शोक करना ठीक हैं। प्रश्न पूछना ठीक हैं।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए विजय थंगैया को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.facebook.com/ThangiahVijay