एक साथ बेहतरनमूना
दान के लिए चार हार्दिक प्रवृति
ऐसी प्रवृति कैसे अपनायें जो परमेश्वर चाहता है कि आप दान देते समय अपनाएं? ये आपके हृदय से शुरू होता है। परमेश्वर आपकी संपत्ति से ज़्यादा आपके देने की इच्छा के बारे में ज़्यादा रुचि लेता है, क्योंकि वो इसमें रुचि लेता है कि जब आप देने का निर्णय लेते हैं तो आपके मन में क्या चल रहा है।
2 कुरिन्थियो 9:7 में बाइबिल बताती है,"हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।'"(HINDI-BSI). ये वचन विशेष रूप से 4 हार्दिक प्रवृति के बारे में बताता है जो देते समय आपके पास होनी चाहिए
1.विवेक से दान देंआवेश में आकर दान न दें । सबसे आत्मिक दान वैसा दान है जब आप इसके लिए सोचते हैं और प्रार्थना करते हैं और फिर अपना मन बनाते हैं । क्यों? क्योंकि हम उसके लिए योजना बनाते हैं जो हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है। परमेश्वर चाहता है कि आपका दान आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण और सार्थक हो
2.उत्साह से दान दें।सिर्फ ये ना कहें कि, "मुझे तो अवश्य देना है। अगर मैं ना दूं तो परमेश्वर बिजली या कुछ गिरा कर मुझपर घात करेगा" बल्कि ये जानकर दें कि परमेश्वर आपके एक उदार व्यक्ति बनने के बाद आपके हृदय में एक बड़ा काम करने जा रहा है।
3.स्वेच्छा से दान दें। जब भी कभी आप किसी व्यक्ति के दबाव में देने जा रहे हों तो न दें। परमेश्वर वैसे भी इसे आशीषित नही करने वाला। लेकिन जब कभी आप महसूस करें कि परमेश्वर आपको देने के लिए चुनौती दे रहा है, तो ज़रूर दें।
4.आनंद से दान दें । खुशी से दें । ग्रीक भाषा में दान के लिए उपयोग होने वाले शब्दों में से एक है "hilarious" हिलेरियस। परमेश्वर चाहता है कि आप उसे और दूसरे लोगों को देते हुए आनंद मनाएं
कभी कभी जब परमेश्वर आपको देने के लिए चुनौती देता है तो ऐसे में आनंदित होना चुनौतीपूर्ण लगता है। जब भी आपको ऐसा महसूस हो, बस खुद को ये याद दिलाएं की परमेश्वर जो हमारे दिल में करने जा रहा है उसके क्या लाभ हैं। उदार क्यों बनें? ये समुदाय बनाता है। ये भौतिकतावाद को खत्म करता है । यह आपके विश्वास को बढ़ाता हैं । ये अनंतकाल के लिए एक निवेश है। यह बदले में आपको आशीषित करता है। और, ये आपको परमेश्वर के और ज़्यादा सदृश्य बनाता है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
आप बिना किसी मदद के वो नहीं बन सकते जो परमेश्वर आपसे चाहता है की आप बनें और ना ही इसके बिना आप इस ग्रह पर अपने उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं. हमें एक दुसरे की ज़रुरत है और हम मसीह में एक दुसरे से सम्बन्ध रखते हैं. इस श्रृंखला में पास्टर रिक बताते हैं की दुसरे लोगों के साथ अपने संबंधो को जीवंत कैसे रखें.
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