परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना नमूना

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

दिन 1 का 10

क्लेशों के समय में 

मेरे परिवार में घर का कूड़ा फेंकने की जिम्मेदारी अधिकतर घर के सबसे छोटे बच्चे को दी जाती है। यह सबसे छोटा काम माना जाता है। लेकिन पौराणिक इब्री परिवार में, सबसे छोटा काम भेड़ों की रखवाली करना होता था। एक चरवाहे को उनके साथ रहना, उनकी ज़रूरतों को पूरा करना, उनकी सुरक्षा करना, और उनकी अगुवाई करना होता था। दाऊद, जो यिशै का सबसे छोटा बेटा, जो बाद में इस्राएल का राजा बना, और जिसने भजन संहिता 23 को लिखा, चरवाही के क्षेत्र में निपुण था। 

दाऊद जानता था कि भेड़ें परमेश्वर द्वारा बनाए गए सारे जानवरों में सबसे भोली होती हैं। वे बहुत धीमी, आसानी से डरने वाली, सुरक्षाहीन, और मुश्किल से अपना भोजन और जल अपने आप खोजने में सक्षम होती हैं। उन्हें एक चरवाहे की ज़रूरत होती है जो बहते सोते के पानी को रोक सके ताकि उन्हें पानी के शोर से डर न लगे, जब वे एक चराई की घास को पूरी तरह खा चुके हों तो उनका चरवाहा उनकी अगुवाई नई चराई में कर सके, जो परभक्षियों से तथा जीवन निर्वाह करने के लिए ज़रूरी कौशल के अभाव से उनकी रक्षा कर सके। 

भजन संहिता 23 में दाऊद परमेश्वर और लोगों के बीच के संबंध को इसी संदर्भ में दर्शाता है। पहले पहल तो पाठकों को इस चित्रण को देखकर हैरानी होगी - क्योंकि परमेश्वर स्वयं जगत के सबसे छोटे काम को, जगत के सबसे भोले जानवर के लिये कर रहे हैं। परन्तु एक चरवाहे के द्वारा असहाय भेड़ों की रखवाली करना उसके तरस और देखभाल की घनिष्ट व प्रेम से भरी हुई तस्वीर को प्रकट करता है। कुछ इसी प्रकार का रिश्ता परमेश्वर हमारे साथ बनाना चाहते हैं, और हमें भी इसी प्रकार के रिश्ते की ज़रूरत पड़ती है, विशेषरूप से क्लेशों के समय में।   

ध्यान दें कि दाऊद यह नहीं कहता कि “यहोवा एक चरवाहा है” वह कहता है  “यहोवा मेरा चरवाहा है”। यह परमेश्वर व्यक्तिगत परमेश्वर है – वह केवल सर्वोच्च व परमपवित्र परमेश्वर ही नहीं वरन् वर्तमान में उपस्थित और हमारे जीवन के हर क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करने वाला परमेश्वर है। वह अपनी भेड़ों को समझता, उन्हें प्रेम करता और उनका पोषण करता है। वह चाहता है कि हम उस पर हर बात के लिये उस पर निर्भर हों।  

यीशु ने (यूहन्ना 10:11) में अपने आप को एक “अच्छे चरवाहे” के रूप में इसलिये ढाला कि वह चाहता था कि हम इस बात का भरोसा करें कि वह हमारी शारीरिक, भावनात्मक, आत्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध है। हमारे जीवन के सबसे बुरे समय में भी हम उस पर पूर्ण भरोसा करते हैं। 

पवित्र शास्त्र

दिन 2

इस योजना के बारें में

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

आपको चोट लगने पर ,परमेश्वर कहाँ होते हैं ? समस्याओं में,उसे कैसे महसूस कर सकते हैं? वह दुविधाओं और भय को कैसे स्पष्टता और शान्ति में बदल देता है ? अनेकों भजन क्लेशों से प्रारंभ होकर परमेश्वर की उपस्तिथि और सामर्थ्य पे समाप्त होते हैं। उनकी शिक्षाओं को सीखने और पालन करने से, हमारी गवाही भी उनके समान हो जाती है। हम गहन आवश्यकताओं में परमेश्वर को पा सकते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज पर लिविंग को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/