परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना नमूना

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

दिन 8 का 10

जब आपको आनन्द की जरूरत हो

यीशु मसीह चाहते थे कि उसके चेले आनन्दित रहें (यूहन्ना 15:11)। नहेम्याह ने गुलामी में से वापस लौटे दुर्दशा में पड़े  लोगों के समूह से कहा, कि परमेश्वर का राज्य उनकी सामर्थ्य है (नहे 8:10)। पौलुस ने अपने एक पत्र में आनन्द के वचनों से भरते हुए अपने पाठकों से कहा, परमेश्वर में सदा आनन्दित रहो (फिलिप्प्यिों 4:4)। दाऊद कहता है कि परमेश्वर की उपस्थिति में आनन्द की भरपूरी है। (भजन संहिता 16:11)। और मूसा भी कहता है कि परमेश्वर अपने लोगों को अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें (भजन संहिता 90:14)। परमेश्वर के वचन के अनुसार हमारा आनन्द परमेश्वर के लिए अत्यधिक मायने रखता  है।

आनन्द इस बात का प्रमाण है कि परमेश्वर कार्य कर रहे हैं। परमेश्वर के प्रति हमारी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं बदलती रहती हैं, और हम हमेशा उस आनन्द को महसूस नहीं कर पाते जिसे उसने हमारे लिए रखा है। लेकिन हम उसके कामों को होता हुए देखते हैं, उसकी प्रतिज्ञा को गले लगाते हैं, उसकी क्षमा को ग्रहण करते, और विरोधात्मक और दुविधाजनक परिस्थितियों में भी उसका आनन्द छलकने लगता है।

और अन्त में परमेश्वर की उपस्थिति और हमारे जीवन में उसकी शक्ति सदैव हमारे जीवन में आनन्द को उत्पन्न करती हैं। जब हम परमेश्वर के आनन्द का अनुभव करते हैं तो सम्भवतः हमारी परिस्थितियां नहीं बदलती लेकिन उन परिस्थितियों के प्रति हमारा नज़रिया पूरी तरह से बदल जाता है। हम समस्याओं में डूब जाने की बजाये, हम उन समस्याओं को परमेश्वर के अनुग्रह और उसकी शक्ति में होकर देखने लगते हैं। 

पिछले कुछ वर्षों में मैं ने अपने आप से यह प्रश्न पूछना प्रारम्भ किया कि, क्या मैं परमेश्वर के आनन्द को महसूस कर पर रहा हूं। यह कोई सिद्ध या एकमात्र तरीका नहीं है, लेकिन ये जांच करने वाले प्रश्न मुझे यह जानने में मदद करते हैं कि मैं अपने जीवन में पवित्र आत्मा को कहां तक काम करने की अनुमति प्रदान करता हूं। जब मसीही जीवन में, मुझे ऐसा करना चाहिए था या यह जरूरी था जैसे वाक्यों की बाढ़ में घिर जाते हैं, उस समय पर मुझे पता है कि किसी चीज को हमारे ध्यान की आवश्यकता है। 

मेरा मानना है कि गहन, ईमानदार, घनिष्ठ और नियमित प्रार्थनाएं परमेश्वर के साथ हमारे आनन्द के अनुभव को बनाये रखने में हमारी मदद करती हैं। मैं कहीं चलते फिरते प्रार्थना करने, गाड़ी चलाते समय या चाय या कॉफी पीते समय प्रार्थना करने के बारे में बातें नहीं कर रहा हूं। मेरा अभिप्राय उस प्रार्थना से है, जिसमें आप वास्तविक, खुले रूप में परमेश्वर से बातचीत करते है। आप तब तक अपने मन की बातों को परमेवर को बताते रहते हैं जब तक कि आप पूरी तरह से खाली नहीं हो जाते। वही  वह स्थान है जहां पर परमेश्वर हम से बातचीत करते और उसका प्रेम प्रगट होता है। उस जगह पर उसकी प्रतिज्ञाएं प्रमाणिक तौर पर आपका निवास स्थान बन जाती है और आप चारों ओर से अनुग्रह से घिर जाते हैं। उसकी बाहें आपको घेर लेती है। और आपका हृदय फिर से आनन्द को महसूस करने लगता है।

दिन 7दिन 9

इस योजना के बारें में

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

आपको चोट लगने पर ,परमेश्वर कहाँ होते हैं ? समस्याओं में,उसे कैसे महसूस कर सकते हैं? वह दुविधाओं और भय को कैसे स्पष्टता और शान्ति में बदल देता है ? अनेकों भजन क्लेशों से प्रारंभ होकर परमेश्वर की उपस्तिथि और सामर्थ्य पे समाप्त होते हैं। उनकी शिक्षाओं को सीखने और पालन करने से, हमारी गवाही भी उनके समान हो जाती है। हम गहन आवश्यकताओं में परमेश्वर को पा सकते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज पर लिविंग को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/