परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना नमूना

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

दिन 9 का 10

अन्याय के समयों में

सम्भवतः आपने अन्याय की भावनाओं को महसूस किया होगा। शायद आप ने त्यागे जाने की पीड़ा को, व्यापार में साझेदार के द्वारा दिए गए धोखे को, वंश से निकाल दिए जाने के झटके को, अन्य सबसे बढ़कर कठिन मेहनत करने की झुंझलाहट के साथ ही अन्य किसी को आप से पहले ही पदोन्नति मिलते हुए देखने को अनुभव किया होगा। शायद आपने अपने बच्चे को इस बात को समझाने में संघर्ष किया होगा कि क्यों वह मैदान के बगल में बेंच पर बैठा या बैठी हुई है जबकि प्रशिक्षक का बच्चा खेल रहा है। एक अधूरा सौदा भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। अनुचित रवैया हमें निगल जाता है।

 मुझे उस प्रकार से महसूस करना स्मरण है जब कॉलेज के दिनों में एक लम्बे समय के सम्बन्ध को मैंने मसीह के लिए इस आशा में त्याग दिया था कि परमेश्वर उसे मेरे पास वापस लेकर आएगा, और मुझे केवल मेरी भूतपूर्व-सहेली को किसी दूसरे लड़के के साथ जाता हुआ देखना ही मिला। और अपने छात्रावास में मैंने अपनी बाइबल को खोलकर परमेश्वर को एक अंतिम चेतावनी दी थी—या तो मुझ से बातें करिए, या फिर मैं जा रहा हूँ। मैं भजन संहिता में से पढ़ रहा था और सब कुछ त्याग देने से पूर्व मैं लगभग तीन या चार अध्यायों को उसे देने जा रहा था। प्रथम दो अध्यायों ने मुझ पर कोई प्रभाव नहीं डाला। उसके बाद मैंने भजन 73 को देखा और तुरन्त ही कुछ अलग सा महसूस किया। इसने मुझे परमेश्वर से आमना-सामना करने में अगुवाई की, जिसने मुझे हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। उस समय अपनी आँखों में आँसुओं को लिए और आत्मा में उथल-पुथल लिए, मैंने ऊँची आवाज में उस भजन को पढ़ा। उस भजनकार की शिकायतों में मैंने अपने ही शब्दों को सुना।

 मैं बंधनों में जकड़ा हुआ था क्योंकि मैं उन बातों को करने का प्रयास कर रहा था जिनको परमेश्वर सही कहता है, तब पर भी एक मसीही के रूप में मेरे पास अत्यधिक समस्याएँ और निराशाएँ थीं, और जितना मैं याद कर सकता था इतनी परेशानी पहली कभी नहीं हुई थी। जिस प्रकार से भजनकार कहता है, “जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूँ, तो यह मेरी दृष्टि में अति कठिन समस्या थी” (पद 16)। और, भजनकार के जैसे ही, उसका समाधान मेरे मुँह के आगे ही धरा था: “जब तक कि मैंने परमेश्वर के पवित्रस्थान में जाकर उन लोगों के परिणाम को न सोचा” (पद 17)। मैं अनन्त दृष्टिकोण से फिर से जीवन को देखना आरम्भ कर दिया।

 उस परमेश्वर की आराधना जो हर एक चीज पर सर्वोपरि है—और जो अन्त में  अपने लोगों को पहचान प्रदान करता है—यह हमारी अन्याय की समझ को सुलझा देता है। उसकी प्रतिज्ञाएँ और दृष्टिकोण पीड़ा को कम करते हैं। जो कुछ भी इस समय पर अनुचित प्रतीत होता है वह अन्त में उसके लोगों के लिए विशिष्ट रूप से भलाई को लेकर आता है। हमारे हृदय कोमल हो जाते हैं, हमारे दृष्टिकोण बदल जाते हैं, और हम पद 26 में भजनकार के शब्दों के साथ उत्सव मनाते हैं: “परमेश्वर सर्वदा के लिए मेरे भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।”

पवित्र शास्त्र

दिन 8दिन 10

इस योजना के बारें में

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

आपको चोट लगने पर ,परमेश्वर कहाँ होते हैं ? समस्याओं में,उसे कैसे महसूस कर सकते हैं? वह दुविधाओं और भय को कैसे स्पष्टता और शान्ति में बदल देता है ? अनेकों भजन क्लेशों से प्रारंभ होकर परमेश्वर की उपस्तिथि और सामर्थ्य पे समाप्त होते हैं। उनकी शिक्षाओं को सीखने और पालन करने से, हमारी गवाही भी उनके समान हो जाती है। हम गहन आवश्यकताओं में परमेश्वर को पा सकते हैं।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज पर लिविंग को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/