फ्राँसिस चैन के साथ अत्यंत उत्साहपूर्ण प्रेमनमूना
“कुनकुनेपन का रेखाचित्र/रुपरेखा”
क्या आप अपने-आप का वर्णन या स्वयं को परिभाषित कर सकतें हैं कि आप सम्पूर्ण रीति से यीशु मसीह से प्रेम करतें हैं? या फिर केवल आधे-अधूरे मन से ही ऐसा बोलतें हैं, या कुनकुनापन, या आँशिक रूप से वचनबद्धता जैसे शब्द बोलना बेहतर होगा?
बाइबिल हमें स्वयं की जांच/परीक्षा लेने के बारे में कहती है, और इसीलिए कुनकुने लोग कैसे दिखतें/होतें हैं, उसका पूर्ण वर्णन मैं आपके लिए पेश करने जा रहा हूँ। जब आप इन उदाहरणों को पढ़ोगे तो, मैं आपको उत्साहित करना चाहता हूँ कि आज आप कैसे जीतें/रह रहें हैं, या आज आप क्या हैं, इन बातों को ईमानदारी से देखें और अपने अंदर ढूँढें।
कुनकुने लोग:
- यह लोग उचित रूप से नियमित रीति से चर्च जातें हैं। और इन लोगों से यही उम्मीद की जा सकती है, उनका मानना है कि“अच्छे मसीह लोग” ऐसा करतें हैं और इसलिए वो भी ऐसा करतें हैं।
- …जब तक कि उनकी जीवन-शैली प्रभावित न हो’, रुपये दान-पुण्य और चर्च में देतें हैं। अगर इनके पास थोड़ा-सा भी अतिरिक्त है और देना आसान तथा सुरक्षित है, तो ये ऐसा करतें हैं।
- चर्च के अंदर और बाहर दोनों जगह अपने-आप को फिट करने/योग्य बनाने की इच्छा रखतें हैं; इन्हें बहुत चिंता रहती है कि लोग इनकी क्रियाओं या कार्यों के बारे में क्या सोचतें हैं, वनस्पित इसके कि परमेश्वर इनके ह्रदय और जीवन के बारे में क्या सोचतें हैं।
- वास्तव में, ’अपने पापों या गुनाहों से नहीं बचाया जाना चाहते; ये केवल अपने पापों के दण्ड से ही बचना चाहतें हैं।
- जो लोग मसीह के लिए वास्तविकता कुछ करतें हैं, यह लोग उनकी कहानियों/उदाहरणों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जातें हैं, तौभी कुछ नहीं करते न ही कोई कदम उठाते हैं। यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों/चेलों से क्या अपेक्षा रखी, कुनकुने लोग उसे “आमूल परिवर्तनकारी या कट्टरपंथी” कहतें हैं।
- यह लोग बामुश्किल अपना विश्वास अपने पड़ोसियों से, साथ काम करने वालों से, या दोस्तों से साँझा करतें हैं। अन्य लोगों द्वारा अस्वीकार किया जाना या त्यागा जाना, इन लोगों को पसंद नहीं है,और न ही अपने व्यक्तिगत मसले जैसे कि धर्म के बारे में बात करके ये लोग अन्य लोगों को असुविधा या बेचैनी देना चाहतें हैं।
- अपनी नैतिकता या “अच्छाई/भलाई” की दुनियावी बातों से तुलना करके नापते/तौलते हैं। इन लोगों को यह सोचकर बहुत संतुष्टि मिलती है कि इनकी हालत सड़क पर चलने वाले किसी भी व्यक्ति जैसी भयानक नहीं है।
- यह बोलतें तो हैं कि ये यीशु से प्रेम करतें हैं, और वो इनके जीवन का हिस्सा हैं। लेकिन सिर्फ एक हिस्सा ही। यह लोग अपना धन, समय तथा विचारों का एक हिस्सा तो यीशु को देतें हैं परन्तु अपने जीवनों को ’नियंत्रित करने की अनुमति उसे नहीं देते।
- यह लोग परमेश्वर से प्रेम तो करतें हैं,लेकिन सम्पूर्ण ह्रदय, आत्मा और सामर्थ से उसे प्रेम नहीं करते। दूसरों से प्रेम तो करतें हैं लेकिन जिस तरह से स्वयं से प्रेम करतें हैं, उस तरह से दूसरों को प्रेम करने के बारे में नहीं सोचते।
* “कुनकुनेपन की इन निशानियों/लक्षणों” में कितनी ऐसी हैं, जो इस ओर इशारा करतीं हैं कि आप’ अपना जीवन अपने अनुसार जी रहे हो? परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वो आपके ह्रदय को नम्र करें, फिर उन लक्षणों में से एक को चुनें और पूरे सप्ताह भर उस पर काम करें (और प्रार्थना करतें रहें)।
और अन्त में, इस वीडिओ को देखें तथा जिन बिन्दुओं पर इसमें चर्चा हुई है, उन पर थोड़ा ग़ौर करें:
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
फ्राँसिस चैन की न्यूयॉर्क टाइम्स की बहुचर्चित पुस्तक "क्रेज़ी लव" में से लिया गया है, जिसमें उन्होंने, हमारे प्रति परमेश्वर के अद्भुत उत्साहपूर्ण प्रेम की, तथा ऐसे प्रेम के लिए हमारी उपयुक्त प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए, इन बातों का गहराई से गहन शोध किया है। परन्तु वे वहाँ नहीं रुके, बल्कि हमें परमेश्वर की महानता पर विचार करने, तथा उसकी अनंतकाल की महिमा और यहाँ पृथ्वी पर हमारे अस्थाई जीवन के बीच के उस बड़े अन्तर पर विचार करने की चुनौतियों को दे रहें हैं।
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