फ्राँसिस चैन के साथ अत्यंत उत्साहपूर्ण प्रेमनमूना
''आप शायद ये अध्याय समाप्त न कर पाएं''
इस से पहले की आप इसे ख़तम कर पाएं आप मर भी सकते हैं. जबकि आप इसे पढ़ रहे हैं तब मैं भी मर सकता हूँ. आज. किसी भी क्षण.
औसत दिन में हम अपने आप को व्यस्त पाते हैं, एक औसत दिन में, हम परमेश्वर की इतना महत्व नहीं देते. औसत दिन में, हम भूल जाते हैं की हमारा जीवन वाकई में वाष्प की तरह है.
क्या आप वाकई में यकीन करते हैं की आप किसी भी क्षण नष्ट हो सकते हैं? या की आप आज मर जायेंगे? या किसी कारण आप खुद को अमर मानते हैं? मैंने तबतक ह्रदय से जुडी किसी समस्या को अनुभव नहीं किया था जबतक की मेरे ह्रदय में धुकधुकी की समस्या नही होने लगी. समय बीतने के साथ इसकी आवृति और बढ़ गयी, और इसने मुझे डरा दिया.
ईमानदारी से कहूं तो मुझे पता था की समस्या क्या है. मैं तनावग्रस्त था. ये क्रिसमस का समय था और मुझे बहुत सारी चीज़ों का ख्याल रखना था और उनके बारे में सोचना था
लेकिन क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मैंने अपनी पत्नी से कहा की मैं चर्च की सभा के बाद मैं आपातकालीन कक्ष में जाऊंगा. फिर भी, सभा के दौरान, मैंने अपनी सारी चिंता और तनाव को परमेश्वर को सौंप दिया. मेरे लक्षण धीरे धीरे चले गए, और मैं कभी डॉक्टर के पास नहीं गया
जब मैं अपनी समस्याओं में डूबा हुआ था, अपने जीवन, अपने परिवार और अपने रोज़गार को लेकर तनावग्रस्त था, तब मैंने वाकई में मान लिया था की परिस्थितियां परमेश्वर की हमेशा आनंदित रहने की आज्ञा से बढ़कर हैं. दुसरे शब्दों में, मुझे अपनी जिम्मेदारियों के परिमाण के कारण परमेश्वर की अवज्ञा करने का अधिकार है
मैं अक्सर खुद को ये सीख लेते देखता था. यद्यपि मैंने परमेश्वर की पवित्रता की झलक देखी है, फिर भी मैं मूर्खता में भूल जाया करता हूँ की जीवन परमेश्वर के लिए है मेरे लिए बिलकुल भी नहीं है.*आप कितनी बार अपने जीवन की क्षण भंगुरता के बारे में सोचते हैं? ये एहसास आपको और पारदर्शी, प्रेम और विश्वास से भरे जीवन को जीने में कैसे मदद करता है?
अंत में, इस विडियो को देखें और उन बिन्दुओं के बारे में सोचें जिसकी चर्चा हुयी है
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
फ्राँसिस चैन की न्यूयॉर्क टाइम्स की बहुचर्चित पुस्तक "क्रेज़ी लव" में से लिया गया है, जिसमें उन्होंने, हमारे प्रति परमेश्वर के अद्भुत उत्साहपूर्ण प्रेम की, तथा ऐसे प्रेम के लिए हमारी उपयुक्त प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए, इन बातों का गहराई से गहन शोध किया है। परन्तु वे वहाँ नहीं रुके, बल्कि हमें परमेश्वर की महानता पर विचार करने, तथा उसकी अनंतकाल की महिमा और यहाँ पृथ्वी पर हमारे अस्थाई जीवन के बीच के उस बड़े अन्तर पर विचार करने की चुनौतियों को दे रहें हैं।
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