मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 61 का 100

शैतान को इसे चुराने न दो

यीशु ने अक्सर जीवन में आनेवाली साधारण परिस्थितियों से सम्बन्धित उदाहरण दिए, जो किसी के जीवन में भी आ सकती हैं। चोरों को दृष्टान्त इसी प्रकार का एक उदाहराण है। तोड़ा यीशु मसीह के दिनों में उपयोग किये जानेवाला मुद्रा (बनततमदबल) था। एक तोड़े की कीमत एक हजार डॉलर से भी ज्यादा था। यह दृष्टान्त एक व्यक्ति के बारे में बताता है, जिस ने अपने तीन सेवकों को व्यापार करने के लिए कुछ रूपये दिये।

मैं इस कहानी में दो रोचक विन्दुएँ देखती हूँ। पहला, भूस्वामी ने प्रत्येक व्यक्ति के योग्यता के अनुसार उन्हें धन वितरित किया। उस ने अपने कर्मचारियों को अपने योग्यता से अधिक देकर, उन पर बोझ डालने का प्रयास नहीं किया। दो व्यक्ति जिन को उसने धन दिया था उन्होंने उसकी मुख्य धन को व्यापार में लगाया और उस राशी को दुगूना कर दिया। भूस्वामी के व्यापार में, वे दोनो उसके संपूर्ण सहभागी बनाए गए। दूसरी बात जो मैंने देखा वह यह है कि दोनो व्यक्ति जिन के पास ज्यादा योग्यताएँ थी, और बुद्धिमानी के साथ उसे खर्च किया था, उन्हें अधिक संपत्ति देकर प्रतिफल किया गया, और तीसरे व्यक्ति जिस के पास कम योग्यता थी वह पराजित हो गया।

इस बारे में सोचिए। परमेश्वर ने तीसरे व्यक्ति से पाँच या दो तोड़ों को व्यापार में लगाने के लिये नहीं कहा। वह जानता था कि वह व्यक्ति ऐसा काम करने के लिये योग्य नहीं है। उसने तीसरा व्यक्ति को कम से कम उत्तरदायित्व दिया था, फिर भी वह पराजित हो गया। इस के लिए बुरा यह है कि, उसने अपने पराजय को स्वामी पर आरोप लगाते हए अपने आप को सही ठहराने का प्रयत्न किया। परंतु उसने कुछ और भी कहा, और यही इस कहानी को समझने का रहस्य है। ‘‘मैं डर गया था और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया।'' (मत्ती 25:25)।

उसने धन नहीं खोया परन्तु उस ने उसके साथ कुछ भी नहीं किया। और स्वामी ने कहा, ‘‘हे दुष्ट और आलसी दास; यह तू जानता था, कि जहां मैं नहीं बोया वहां से काटता हूँ; और जहां मैंने नहीं छींटा वहां से बटोरता हूँ।'' (मत्ती 25:26)।भय की आत्मा ने उस व्यक्ति को निष्क्रिय बना दिया था। 

आगे बढ़ें। तब स्वामी ने कहा, ‘‘तो तु मेरा रूपया सर्राफों को देदेता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता''। (मत्ती 25:27)।

मान लिजिए वह व्यक्ति बैंक जाता और स्वामी के सब धन को लगा देता। तब भी वह अन्य लोगों के समान धन नहीं कमाया होता। परन्तु यह ठीक ही होता, क्योंकि स्वामी ने जो कहा था वही किया होता और उस से यही अपेक्षा किया जाता।

शैतान का यह भी एक तरीका है, वह हमें अपनी तुलना दूसरों से कराता है, और यह देखने देता है कि दूसरों के पास कितना धन या तोड़े हैं। या फिर वह कहता है कि, अन्य लोगों को अधिक अवसर दिए जाते हैं, जितना हमें कभी नहीं मिला। परन्तु परमेश्वर हम से कभी नहीं पूछता है कि अन्य लोग क्या कर रहे हैं। वह हम से उन उपहारों और योग्यताओं के बारे में पूछता है, जो उसने हमें दिया है।

मैं सच में विश्वास करती हूँ, कि हम सब के लिये परमेश्वर की एक योजना है। परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञाकारिता और विश्वास के साथ व्यतीत किए जानेवाला जीवन हमारे आँखों के सामने उसकी योजनाओं का प्रकटीकरण करता है। हमारे पास जो कुछ है उसे भय के साथ सामने रखना परमेश्वर की योजना हम में पूरा करने नहीं देता है। वास्तव में इस प्रकार का मन शैतान को हम से झूठ बोलने देता है और हमें अपने सपनों और परमेश्वर के योजनाओं के प्रति हार मानने देता है।

भय हमें केवल निष्क्रिय, दुष्ट और आलसी सेवक बनाता है। जब हम शैतान की सुनते हैं, तब जल्द ही विश्वास कर लेते हैं कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं। वह हमें कायल करता है, कि जो कुछ हम करेंगे वह पराजित हो जायेगा। यदि हम परमेश्वर की सुनते हैं, हम परमेश्वर की आवाज को सुनेंगे। ‘‘उसके स्वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहाय मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊँगा अपने स्वामी के आनन्द में सहभागी हो।'' (मत्ती 25:21)। यह महत्वपूर्ण नहीं हैं कि हम कितना अधिक काम करते हैं, परन्तु यह है कि परमेश्वर ने हमें जो योग्यता दी है, उसके प्रति हम विश्वासयोग्य हैं या नहीं यही अन्तर है।

‘‘प्रेमी और सम्भालनेवाले परमेश्वर, मैं नहीं जानता कि इन तीन व्यक्तिओं में से योग्यता के सम्बन्ध में, मैं कौन हूँ। परन्तु मैं प्रार्थना करती हूँ कि मुझे अपने जीवन में तेरी योजना को पूरी करने के लिए मुझे विश्वासयोग्य बना। प्रभु यीशु की नाम से मैं तेरी सहायता के लिये धन्यवाद देती हूँ। तुने मुझे जो दिया है उसे अपने शत्रु से बचाने के लिये मेरी सहायता करने के लिए धन्यवाद। आमीन।।''


पवित्र शास्त्र

दिन 60दिन 62

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/