मन की युद्धभूमिनमूना
![मन की युद्धभूमि](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fimageproxy.youversionapi.com%2Fhttps%3A%2F%2Fs3.amazonaws.com%2Fyvplans%2F11206%2F1280x720.jpg&w=3840&q=75)
बड़ी बातें
शैतान लगातार मन की युद्धभूमि में लड़ाई लड़ता है। हमारी आत्मा जहां पे परमेश्वर स्वयं रहता है, और हमारे शारीरिक देह बीच का एक वास्तविक स्थान है। यह हमारे मन, इच्छा और भावनाओं से बना है। यह हमें बताता हैं कि हम क्या सोचते हैं, हमें क्या चाहिये और हम कैसा महसूस करते हैं। जब हमारा मन लगातार चिन्ताओं और परेशानिओं और व्याकुलताओं से भरा रहता है, तो परमेश्वर द्वारा प्रदत्त आन्तरिक आवास और अन्तर्दृष्टि और समझ कहीं खोया हुआ चला जाता है। इस प्रकार की अस्थिर दशा में हम यह नहीं जानते हैं कि परमेश्वर की इच्छा इस विषय में क्या है, कि हमें क्या करना चाहिये और हमें क्या नहीं करना चाहिय?
जब हम परमेश्वर के आत्मा का अनुकरण के बजाय शैतान को अपने मन में चिन्ताओं और व्याकुलताओं से हस्तक्षेप करने देते हैं और शरीर में जीते हैं और यह परमेश्वर की इच्छा को हम से दूर करता है। रोमियों 8ः8 कहता है, ‘‘और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।'' इसका अर्थ यह नहीं कि परमेश्वर हम से प्रेम नहीं करता है। इसका अर्थ यह है कि वह हम से सन्तुष्ट नहीं है, न ही वह हमें स्वीकार करेगा, न ही वह हमारे शारीरिक व्यवहार को स्वीकार करेगा।
परमेश्वर हमारी और हमारे आवश्यकताओं की चिन्ता करता है। हम जितना अपने लिये चाहते हैं, उस से महान बातें परमेश्वर हमारे लिये चाहता है। शैतान की अन्तहीन झूठ को स्वीकार करने की परीक्षा का विरोध करने के लिये हमें कठिन लड़ाई लड़ना चाहिये। जब मैं अपने जीवन में अशान्ति का अनुभव करते करते थक गई, तो मैं अन्ततः एक निर्णय ली कि मुझे जो कुछ आवश्यक्ता हो उसे पाने के लिये करूंगी। मैंने परमेश्वर से पूछा कि मुझे क्या करना चाहिये? उसका उत्तर स्पष्ट था, ‘‘जॉयस, तुम्हें एक गहरे स्तर पर जीवन जीना प्रारम्भ करने की आवश्यकता है।'' अंत में प्रभु ने यह बात मुझ पर प्रगट किया कि जिस गहरे स्तर पर मुझे जीवन जीना है, वह आत्मा का स्तर है। हम बहुतायत के जीवन का आनन्द उठाऐ। इसलिए यीशु क्रूस पर मरा और हमें भी हमें जो चाहिये या जो जरूरत है उसके प्रति चिन्तित होना, रोकने की आवश्यकता है और पवित्र आत्मा के प्रेरणा का अनुकरण करना प्रारंभ करना चाहिये। चिन्ता के विरूद्ध यही एक सन्देश है। आपकी जरूरत नौकरी हो, या भोजन हो, या वस्त्र हो, या बच्चों की अच्छी शिक्षा हो, या भविष्य हो, या आपके परिवार का भविष्य हो। परमेश्वर सब कुछ जानता है और वह चिन्ता भी करता है। शैतान की चाल हमारे कानों में फुसफुसाना है, 'परमेश्वर तुम्हारी चिन्ता नहीं करता'। यदि परमेश्वर तुम्हारी चिन्ता करता होता, तो तुम ऐसी दुर्दशा में नहीं होते।
जब हम स्वयं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, जो हमारे पास नहीं हैं, तो हम दूसरों पर ध्यान केन्द्रित करके उनकी सहायता करने के लिए थोड़ी सी ऊर्जा बचा रखते हैं। जब हम इस भय में रहते हैं कि हम नौकरी खो देंगे या हमारे बिलों की भूगतान के लिए हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं होगा तो हम धन किसी को भी मूफ्त में देने से डरते हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं कि वह हमारे हर एक आवश्यकताओं को पूरा करेगा, तो हम दूसरों को बांटने में स्वतंत्रता अनुभव करते हैं।
मुझे आपको उत्साहित करने दीजिये कि आप अपने स्वयं की जरूरतों के लिये चिन्तित होने के बजाय, परमेश्वर के वचन पर ध्यान दे। आपको शायद अपने आप को जोर से कहने की आवश्यकता होगी, परमेश्वर मुझ से प्रेम करता है और मुझे कोई भी बात उसके प्रेम से अलग नहीं कर सकती। परमेश्वर ने मेरे अंगिकार को सुना है, और उसने मुझे क्षमा किया है और मुझे शुद्ध किया है। परमेश्वर मेरे भविष्य के लिए एक सकारात्मक योजना रखता है, क्योंकि उसका वचन ऐसा कहता है''। (रोमियों 8:29—48; 1 यूहन्ना 1:9; यिर्मयाह 29:11 देखें।)।
प्रत्यके बार जब चिन्ताएँ और व्याकुलताएँ, आपके धार्मिकता, शान्ति और आनन्द को चुराने का प्रयास करती हैं, तो यह प्राप्त करने का प्रयास करें कि परमेश्वर का वचन क्या कहता है, और तब आप अपने मुँह को खोलें और परमेश्वर के वचन को कहें। परमेश्वर का अंतिम लक्ष्य है कि हम शान्त रहें, चाहे कुछ भी हो रहा हो और किसी भी हद तक हो रहा हो। कौन हमें शान्त करने जा रहा है? इस प्रश्न का उत्तर यह है, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ जो हमारे भीतर कार्य करती हैं। परमेश्वर हमारे भीतर अनुग्रह के लिये उसकी तरफ दौड़ने की एक आदत विकसित करना चाहता है, कि हम शैतान के झूठ का प्रतिरोध करें। अंतः मे सच्छ कि विजय होगी और हमारा जीवन बदलेगा।
‘‘मेरे स्वर्गीय पिता, मेरी चिन्ता करने के लिये और मुझे निश्चय दिलाने के लिये कि आप मेरे हर एक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। बहुधा मैंने शैतान को अनुमति दिया है कि मेरे मन में चिन्ताओं को डाले, और मेरे जीवन से आनन्द और शान्ति को चुरा ले। छोटी बातों में चिन्ता करने के कारण कभी कभी मैं उन बड़ी बातों को करने में असमर्थ रहती हूँ जो तू मेरे लिए करता है। यीशु मसीह के नाम में मुझे इन बातों से मुक्त करें जो मुझे बन्धन में डालती है। ताकि मैं सम्पूर्ण रूप से मुक्त हो सकूँ और तेरी आराधना और सेवा करूँ। आमीन।।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/