मन की युद्धभूमिनमूना
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चिन्तित मन
चिन्ता शब्द की परिभाषा परेशान, चिन्तित, निराश और उत्सुक मन के भावना या अस्वस्थ मन के रूप में किया गया है या बेचेनी महसूस करने के रूप में की गई है। दूसरी परिभाषा जो मैंने चिन्ता शब्द के लिए चुना है, वह है विचलित करनेवाले विचारों से किसी को यातना देना। जब मैंने दूसरी परिभाषा को सुना तो मैंने तुरन्त यह निर्णय कर लिया कि मैं इतना स्मार्ट हूँ। मैं विश्वास करती हूँ कि शत्रु चिन्ता और व्याकुलता का उपयोग करके हमारे जीवन के लिये परमेश्वर के बुलाहट से अलग करता है। बुरी बात यह है कि बहुत से लोग चिन्ता करनेवाले लत से ग्रस्त होते हैं। मेरा एक मित्र है जो बिना किसी कारण के चिन्तित होते रहता है। वह स्वीकार करता है कि उसकी माँ ने उसे चिन्ता करना सिखाया है। उसे अपने जीवन का कोई भी ऐसा क्षण याद नहीं है जब उसकी माँ किसी घटणा के लिए चिन्तित रही हो, जो हो चुकी थी और जो हो रही थी और जो हानेवाली थी। मुझे यह स्वीकार करना है कि मैं एक समय इसी प्रकार थी। यदि मेरे पास चिन्ता करने के लिये कुछ भी नहीं होता था तो मैं दूसरे की समस्या के लिए चिन्ता करती थी।
मैं नहीं जानती थी कि शान्ति के साथ रहना क्या होता है। मैं इस बात के प्रति कायल थी, कि चिन्ता करना और शान्ति में जीना एक ही समय पर सर्वथा असम्भव है। फिर भी मैं अक्सर लोगों को ऐसा करने का प्रयास करते हुए देखती हूँ।
उन्हें चिन्ता करने की इतना अधिक आदत होती है कि वे अपने जीवन के हर क्षेत्र में उसे लागू करते हैं। कुछ लोगों के लिये सही समय पर किसी सभा पहुँचने जैसा आसान होता है। कुछ लोगों के लिए नर्भस होना सभा के विषय में ध्यानपूर्वक पहली बार जा रहे हैं नर्भस होने के समान है या नौकरी के साक्षात्कार के लिये जाने के समय जो लगती है उसके समान हैं। मैं हमेशा इस चिन्ता शब्द को इस्तेमाल किए जाते हुए सुनती हूँ।
क्या होगा जब हम यातना शब्द का इस्तेमाल करेंगे? यदि हम चिन्ता को शैतानिक यातना या मानसिक पीड़ा मानेंगे, तो हम बाइबल के धारणा के निकट पहुँचेंगे। कष्ट, दुख और पीड़ा को यातना के भाग के रूप में सोचें। क्या यह ऐसा ही नहीं जो शैतान काम करता है? निश्चय ही शैतान ऐसा काम करता है, कि हमें वह इसके श्रोत के रूप में महसूस करने नहीं देता है। यह उसके लिए आसान है कि हमें वह यातना देता है, यदि हम अपने पड़ोसियों और बच्चों और माता पिताओं पर दोष लगाते हैं। अगर वे मुझे अकेले छोड़ दिए होते और मुझे शान्ति देते, हम कहते हैं। जब तक हम किसी और से या किसी और परिस्थिति से जिस से हम कुछ विरोध नहीं कर सकते, हम यातना में जीते हैं। इसी समय शैतान हम पे हमला करता है और, उसे और बुरा बना देता है।
प्रेरित यूहन्ना ने प्रेम के विषय में लिखा, ‘‘कि यदि हम एक दूसरे से सचमूच में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हमारे अन्दर रहता है और उसका प्रेम हमारे अन्दर सिद्ध होता है। परन्तु इस बात पे ध्यान दें, हम परमेश्वर के प्रेम को जानते और विश्वास करते हैं। परमेश्वर प्रेम है और जो प्रेम करता और परमेश्वर में बना रहता है और परमेश्वर लगातार उसमें बना रहता है ‘‘और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति हैय परमेश्वर प्रेम हैरू और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता हैय और परमेश्वर उसमें बना रहता है। प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।'' (1 यूहन्ना 4:16,18)।
यह शब्द सामर्थी शब्द हैं जिन्हें मैं किसी उद्देश्य के साथ लिख रही हूँ। यदि शैतान आपको कायल करता है कि चिन्ता एक छोटी सी बात है। आपको इसे गम्भीरता पूर्वक नहीं लेना है। ''नहीं सब लोग चिन्ता नहीं करते हैं'' यह कह के छोड़ दे। नही, सभी चिंत्ता नही करते है।
चिन्ता शैतान का एक हथियार है। इसलिये यह एक मसीही के रूप में आप को और सहने की आवश्यकता नहीं है। 'चिन्ता' और कुछ नहीं, आपके मन पर शैतानिक आक्रमण है। यह कुछ भी भला नहीं करता है।
बहुधा हम जिन बातों के लिये चिन्तित होते हैं, उन के विषय में हम कुछ नहीं कर पाते हैं। वे आप के नियंत्रण के बाहर होते हैं। आप अपने भविष्य के विषय में या अपने बच्चों के विवाह के विषय में या आप के कम्पनी के विषय में की वह बन्द हो जाएगा या खप पड़ जाएगा उस के विषय में चिन्ता कर सकते हैं। लेकिन स्वभाविक रूप से आप इनके विषय में कुछ नहीं कर सकते हैं। यह एक बहुत ही अच्छी योजना है कि आप अपने समय और ऊर्जा को अपने आप को परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को स्मरण दिलाने की चिन्ता में व्यतीत करें। ‘‘जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोस रखता है।'' (यशायाह 26ः3)।
अफ्रिका में एक मिशनरी परिवार जो विश्वास से परिपूर्ण था, चिन्ता के विषय में बहुत ही रचनात्मक रूप से उन्होंने काम किया। जब कभी भी कोई भी किसी विषय में चिन्ता करना शुरू करता था, तो माता पिता और बच्चे घर के सामने दरवाजे पे जाते थे, और वे जोर से लात मारने की क्रिया करते थे और कहते थे, ‘‘शैतान इस घर से बाहर जा। हम परमेश्वर के हैं, और हम तुम्हें अन्दर नहीं आने देगे।'' मैं इसे पसन्द करती हूँ। परमेश्वर ने जब शत्रु के ऊपर आक्रमण करने का जो अधिकार दिया है उसे इस्तेमाल कीजिये।
आज ही प्रारम्भ कीजिये, ‘‘पवित्र परमेश्वर, कृपया मुझे क्षमा कर कि मैंने शैतान को अपने आपको यातना करने की अनुमति दी है। और विशेष करके उसके चालों को छोटी छोटी चिन्ता और व्याकुलता के रूप में सहने के लिये मुझे क्षमा कीजिये। यीशु के नाम से मैं तुझे माँगती हूँ कि मुझे योग्यता दे कि मैं उसकी चालों से और उसे मेरे जीवन से बाहर निकाल दूं। आमीन।।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/