मन की युद्धभूमिनमूना
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स्मरण दिलानेवाली बातें
इसका कोई अर्थ नहीं कि हमारे जीवन में कैसी समस्या है। परन्तु हमें विजय पाने के लिए और विजय को बनाए रखने के लिये आत्मनियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता है। मैं विश्वास करती हूँ कि हमारे वैचारिक जीवन और मन के युद्ध के विषय में यह विशेष रूप से सच है। जो मन मे प्रारंभ होता है अंतः में वह मुह से बाहर आता है, और हमारे जानने से पहले, हमें जो महसूस होता है, हम उस व्यक्ति को कहते हैं जो हमें सुनतो हैं। हमें अपने मन, भावनाएँ और कायोर्ं को अनुशासन में लाना होगा ताकि वे सब परमेश्वर के वचन के साथ सहमत हो सकें।
परमेश्वर की प्रत्येक विशेषता जो मुझ में और आप में है, परमेश्वर ने स्वयंम हम में उसे बीज के रूप में रोपित किया है जिस दिन हम ने मसीह को स्वीकार किया था। (कुलुसियों 2:10 देखें।)। समयानुसार और जीवन के अनुभवों से, धीरे धीर मसीह के स्वभाव बीज हम में बढने लगता है और वह आत्मा के फल उत्पन्न के करना प्रारंभ करता हैय प्रेम, आनन्दं, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम है। (गलातियों 5:22, 23 देखें।)।
मैंने यह पाया है कि यह बहुत ही असंभव बात है कि, बिना संयम के बाकी आठ फलों को व्यवहार में लाएं। मैं और आप कैसे धैर्यशाली रह सकते हैं उदाहरण के लिए—एक बहुत ही खराब परिस्थिति में जब तक हम आत्म नियंत्रण नहीं रखते हैं? जब तक हम संयम के फल का इस्तेमाल नहीं करते हैं तब तक हम कैसे किसी ऐसे व्यक्ति को प्रेम कर सकते हैं और उसके लिये अच्छा और भला चाह सकते हैं जब उसने लगातार हमें चोट पहुँचाया हो।
मसीही होने के नाते हम में आत्मा के फल है। परन्तु हमें लक्ष्य पूर्वक उन्हें अभ्यास में लाना है। आत्मा के फल का अभ्यास नहीं करने का चुनाव करना, हमें शारीरिक मसीही या नामधारी मसीही बनाता है। जो साधारण बातों के अधिन नियंत्रण में रहते हैं और शरीर की इच्छाओं के अनुसार चलते हैं। (1 कुरिन्थियों 3:3)। हम जिस चीज पर ज्यादा अभ्यास करते हैं वह ज्यादा मजबूत होता है।
हमारे विचार और शब्द वे दो क्षेत्र है जिन में पवित्र आत्मा लगातार हम से कहता है कि हम संयम का अभ्यास करे। बाइबल कहती है कि, ‘‘क्योंकि जैसा वह अपने मन में विचार करता है, वैसा वह आप है। वह तुझ से कहता तो है, खा पी, परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं।'' ‘‘और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्डार से बुरी बातें निकालता हैय क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है।'' (नीतिवचन 23:7 य लूका 6:45ब)। शैतान लगातार प्रयास करता है कि हम गलत विचारों को स्वीकार करें। हम उस विषय के बारे में हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम, या उसकी कमी, या जो बहुत भयानक बात होनेवाली है, उसके बारे में भी। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि यदि हम एक बार उसके झूठ को स्वीकार करना और विश्वास करना शुरू कर देते हैं, तो कुछ ही समय में हम उसे अपने मुँह से बोलना भी प्रारंभ कर देते हैं। और जब हम गलत बातें बोलते हैं, तो हम गलत बातों को अपने जीवन में आने के लिये द्वार को खोल देते हैं। ‘‘मनुष्य का पेट मुँह की बातों के फल से भरता है; और बोलने से जो कुछ प्राप्त होता है उससे वह तृप्त होता है। जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। (नीतिवचन 18:20—21)।
क्या होता यदि हम अपने मन को उन सारी बातों को सोचने की अनुमति देते जो उसने हमे चोट पहुँचाया हो, तो हम अपने आपको परमेश्वर के उन सारी भलाई के बारे में कैसे स्मरण दिलाएँगे जो उसने हमारे जीवन में किया हैं। जब हम शैतान को अपने मन को चिन्ताओं, सन्देहों और व्याकुलताओं से भरने देते हैं, तो हम अपने निर्णय लेने के क्षमता को खो देते हैं। चिन्ता हमेशा स्वभाव से अधन्यवादी होता है। मैने ध्यान दिया है कि वे लोग जो कम से कम चिन्ता करते हैं वे अपने जीवन में बहुत भलाईयों को देखते हैं। वे जो दुर्घटाओं, पराजयों, बिमारियों और नुकसान के बारे में बात करते हैं ऐसा लगता है कि वे अच्छी बातों पर मनन नहीं कर पाते हैं जो अभी भी उनके जीवन में हैं।
इसकी कोशिश करें प्रतिदिन उन बातों को ध्यान दें, जो परमेश्वर ने किसी दिन आपके जीवन में किया हैं। यह भविष्य के लिए भली बातों की अपेक्षा करना आपके लिये आसान बनाएगा। जैसे मैने इन शब्दों को लिखा, मैंने उन स्मारको के विषय में विचार किया जो पुराने नियम में पाया जाता है। बहुधा लोग सुव्यवस्थित रूप से पत्थरो को जमा किया करते थे, इस बात की सूचना के रूप में कि यीशु ने उन्हें छुड़ाया है, या उन्हें दर्शन दिया है। जब वे पीछे मूड़के देखते थे और याद करते थे, तो वे स्मरण करने और विश्वास करने में सक्षम होते थे।
भजनकार ने लिखा, ‘‘हे मेरे परमेश्वरय मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, इसलिये मैं यर्दन के पास के देश से और हर्मोन के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर से तुझे स्मरण करता हूँ।'' (भजनसंहिता 42:6)। वह स्वयं को पुराने विजयों का याद दिला रहा था। जब उसके पास समस्याएँ थीं, तो वह लोगों के जीवन में परमेश्वर के महान कामों को स्मरण कर रहा था।
जब सन्देह अन्दर आने का प्रयास करते हैं, आप भजनकार के समान कर सकते हैं। आप पीछे मूड़कर देख सकते हैं और याद कर सकते है कि परमेश्वर ने हमेशा आपका साथ दिया है। सबके सामने ऐसे समय आते हैं जब हमें मालूम नही होता है कि हम कर सकते थे। परन्तु हमने किया और आप भी करेंगे।
‘‘मेरे महान परमेश्वर, जीवन की छोटी बातों को मुझे परेशान करने के लिये अनुमति देने में मुझे क्षमा कीजिये, कि मैं अपने विचारों को तुझ से दूर करूँ। यीशु मसीह के द्वारा मेरे सहायता कर कि मैं हमेशा स्मरण करूँ कि मेरे अच्छे और बुरे समय में तू मेरे साथ है। आमीन।।'
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/