क्रुसित हुआनमूना
श्राप से मुक्ति
एक अच्छी विश्वासी लड़की थी, जो यीशु से प्रेम करती थी, वचन में समय बिताती थी, कलीसिया का हिस्सा थी, जिसने आत्मिक युद्ध के बारे में सिखा था, तो भी हर रात नियमित रूप दुष्टात्माएँ उसे सताती थी, सभी चीजें करने के बावजूद भी उसका जीवन दुःख और सताव से भरा हुआ था।
कारणः पीढ़ियों के श्राप
उससे बातचीत करने के दौरान उसके पासबान को यह पता चला कि उसके दादाजी एक गर्भपात करनेवाले डॉक्टर थे जिन्होंने सौ से भी ज्यादा गर्भ गिराए थे, इसीलिए इस लड़की के पिता में हत्यारें की आत्मा थी, और जब ये लड़की एक साल की थी तब उन्होंने उसे गला घोटकर मारने की कोशिश की थी, अब वही आत्मा उसके अंदर आने की कोशिश कर रहा था और सताव लगातार जारी था, दोनों आशीष और श्राप वचन का मुख्य विशय है, शब्द आशीष 410 से ज्यादा बार इस्तेमाल किया गया है, शब्द श्राप का इस्तेमाल 160 बार किया गया है, और दोनों बिलकुल असली है।
व्यवस्थाविवरण 30:19 मैंने जीवन और मरण, आशीष और शाप दोनों तुम्हारे आगे रखा है, इसीलिए तू जीवन ही को अपना ले, की तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहे।
पाप और आज्ञा उलंघन दोनों हमारे जीवन मे श्राप लाते है, और हमारे आनेवाली पीढ़ी पर इसका प्रभाव आता है।
गलातियों 3:13,14 मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया (क्योंकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है)। यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पहुँचे।
वचन के अनुसार जिसे भी पेड़ पर लटका कर मारा जाता है, वो श्राप के अधीन है, शब्द पेड़ दर्शाता है लकड़ी के टुकड़ों को जिससे क्रूस बनता है।
इस ईश्वरीय आदान प्रदान में मसीह ने हमारे श्राप को लिया जो हमारे पाप और आज्ञा का उल्लंघन के कारण आता है; ताकि बदले में उस पर विश्वास करने के द्वारा हमें उसकी वो आषीश मिले जो उसके सिद्ध आज्ञापालन के द्वारा मिलती है।
घोषणा करेः
- मैं शाप के बदले आशीष को चुनता हूँ और मृत्यु के बदले जीवन चुनता हूँ। (व्यवस्थाविवरण 11:26)
- मुझे व्यवस्था के शाप से छुटकारा मिल चुका है। (गलातियों 3:13)
- नाश करनेवाला मेरे जीवन में और मेरे परिवार में आ नहीं सकता यीशु के नाम में। (निर्गमन 12:23)
- मेरा प्राण पक्षी के समान बहेलिये के जाल से बच गया है। (भजन संहिता 124:7)
- में सारे पीढ़ियों के शाप को और अधर्म को जो मेरे पूर्वजों के पाप के कारण आता है तोड़ता हूँ और अपने आप को स्वतंत्र करता हूँ यीशु के नाम में।
- घमंड और विद्रोह के सारे शाप में तोड़ता हूँ और खुद को स्वतंत्र करता हूँ यीशु के नाम में।
- में मेरे पैसों पर के श्राप को तोड़ता हूँ जो पूर्वजों से आते हैं, धोखा देने या गलत ढ़ंग से पैसे इस्तेमाल करने से यीशु के नाम में।
- में बीमारी और रोग के हर श्राप को तोड़ता हूँ और विरासत में मिले हर बीमारी को आज्ञा देता हूँ वो मेरे शरीर को छोड़ दे यीशु के नाम में।
- मेरे जीवन पर बोले हर शाप को और नकारात्मक शब्द को मैं तोड़ता हूँ यीशु के नाम में।
- मेरे जवीन पर दुसरेां ने बोले हुए (जो अधिकार में है वो भी) हर शाप को और नकारात्मक शब्द को तोड़ता हूँ यीशु के नाम में।
- में उन दुष्टात्मा को आज्ञा देता हूँ जो श्राप के पीछे छुपे हैं और कार्य करते हैं कि वो बाहर आये यीशु के नाम में।
प्रार्थना करे
- प्रार्थना करे कलीसिया में 1000 मज़बूत परिवारों के लिए जो प्रभु की सेवा यहोशू के समान करे।
- प्रार्थना करे कलीसिया में हर परिवार यीशु को प्रभु करके आदर दें।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
यह योजना आपकी यीशु की क्रूस पर बलिदान पूर्ण मृत्यु द्वारा आपके लिए हासिल की गयी आशीषों पर मनन करने, परमेश्वर के वचन की सच्चाई का साहस पूर्ण अंगीकार करने तथा इन 21 दिनों में सरल बिंदुओं के उपयोग द्वारा प्रार्थना करने हेतु प्रोत्साहित करेगी । मैं आपको उपवास, प्रार्थना और अपने जीवन को पुन: समर्पित करने हेतु उत्साहित करता हूँ ।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए न्यू लाइफ चर्च - लोखंडवाला को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: http://vijaynadar.com/