मन की युद्धभूमिनमूना
अपने सोच के प्रति सावधान
कंप्यूटर के प्राथमिक दिनों में ऐसा कहा जाता था, जैसी सूचना वेसा परिणाम। यह कंप्यूटर की व्याख्या करने का एक तरीका था, कि कंप्यूटर सूचनाओं पर आधारित काम करनेवाला एक मशीन है, जो उसके अन्दर डाली जाती थी। यदि हम कोई दूसरा परिणाम चाहते तो हमें दूसरी सूचनाए उसमें भरनी होती थी।
कंप्यूटर के विषय में बहुत से लोगों को इस अवधारणा को समझने में दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जब ये उनके मन में आता है, तो ऐसा नहीं लगता है कि वे इसे समझ पाते हैं। या फिर शायद वे उसे समझना नहीं चाहते। बहुत सी चीजें उनके ध्यान आकर्षण की मांग करती है, और उनके ध्यान के लिए याचना करती हैं। वे केवल पापमय बातें ही नहीं है। प्रेरित पौलुस कहता है, कि सब कुछ मेरे लिए व्यवस्था के अनुसार ठीक था, परंतु सब कुछ मेरे लिए लाभ की नहीं थी। (1 कुरि. 6:12 देखें।)।
यदि आप मन की युद्ध को जीतने जा रहे हैं और अपने शत्रु को पराजित करते हैं, जहाँ आपका ध्यान और आकर्षण है, जहाँ आप ध्यान को केन्द्रित करते हैं वह महत्वपूर्ण है। जितना अधिक आप परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं, उतना अधिक आप मजबूत बनेंगे और आप आसानी से लड़ाइ जीतेंगे।
बहुत से मसीही बाइबल पर मनन करने और बाइबल के विषय मे अन्तर नहीं समझते हैं। वे सोचते हैं कि जब भी वे वचन को पढ़ते हैं वे परमेश्वर के वचन की गहरी बातों को प्राप्त कर रहे हैं। अधिकतर समय लोग बाइबल के किसी अध्याय को पढ़ते हैं, और जब वे अन्तिम पद पर पहुँचते हैं तो उन्हें थोड़ी बहुत समझ प्राप्त हो जाती है कि उन्होंने क्या पढ़ा है। जो परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं वे ऐसे लोग हैं जो गम्भीरता पूर्वक सोचते हैं कि उन्होंने क्या पढ़ा।
वे इन शब्दों मे वर्णन नहीं करते होंगे, परन्तु वे कह रहे हैं परमेश्वर मुझसे बात कर, मुझे सिखा। जैसे मैं तेरे वचन को खोजता हूँ, उसकी गहराइयों को मुझ पर प्रकट कर।
पूर्व के अध्याय में मैंने भजन 1 का उद्धरण दिया था। यह पद उस व्यक्ति की व्याख्या करता है जो प्रारम्भ में आशीषीत है, और तब उस व्यक्ति के सही कायोर्ं कि ओर संकेत करता है। भजनकार ने लिखा कि जो मनन करते हैं और रात दिन करते हैं वे फल वाले बृक्ष के समान हैं, औ जो कुछ वे करेंगे वे फलवन्त होंगे।
भजनकार इस बात को स्पष्ट करता है, ताकि परमेश्वर के वचन पर मनन करना और परमेश्वर के वचन के बारे में सोचना परिणाम लाता है। जैसे आप खोजते हैं परमेश्वर कौन है और प्रभु आपसे क्या कहता है, तो आप बढ़ेंगे। यह बहुत साधारण सी बात है। इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि जिस चीज पर आप ध्यान केन्द्रित करते हैं, आप वैसे बनते हैं। यदि आप परमेश्वर के सामर्थ के बारे में पढ़ेंगे और ध्यान केन्द्रित करेंगे, तो वह आपके अन्दर भी काम करेगा।
फिलिप्पियों 4:8 में प्रेरित पौलुस इसे बहुत सुन्दर रीति से कहता है, ‘‘इसलिए हे भाइयो, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय भी हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, अर्थात जो भी सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन पर ध्यान लगाया करो।''
यह दुःख की बात है, परन्तु बहुत सी मसीही वचन का अध्ययन करने में प्रयास नहीं करते हैं। वे अन्य लोगों को सीखाते और प्रचार करते हुए सुनते हैं, और वे सन्देशों की महत्व को सुनते हैं और कभी कभी बाइबल पढ़ लेते हैं। लेकिन वे परमेश्वर के वचन को अपने जीवन का मुख्य भाग बनाने के प्रति समर्पित नहीं होते हैं।
आप सतर्क रहें कि आप क्या सोचते हैं। आप जितना अधिक भले बातों के बारे में सोचेंगे, आपका जीवन उतना ही भला दिखाई देगा। जितना अधिक मसीह यीशु के बारे में और उस के सिखाए गए सिद्धान्तों के बारे में सोचेंगे, उतना अधिक आप उसके तरह बनेंगे और सामर्थ से बढेंगे। और जैसे आप बढ़ते हैं आप मन के युद्ध को जीत जाते हैं।
‘‘प्रभु परमेश्वर ऐसी बातों के बारे में सोचने के लिए मेरी सहायता कर जीस से आप को आदर मिलती है। आप के प्रति ज्यादा भूख मेरे अन्दर भर दें, और आपके वचन का भी। ताकि सब बातों में मैं आगे बढ़ूँ। मैं यीशु मसीह की नाम से यह माँगती हूँ। आमीन।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/