मन की युद्धभूमिनमूना
हमारे मनों की दशा
मैं एअरपोर्ट के सामने कार तक पहुँची जहां मेरा दोस्त मुझे लेने आयी हुई थी। मैं शान्त और आराम से थी और मेरे और दोस्त के बीच होनेवाली बात चीत के बारे में विचार कर रही थी। मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने उसे वहां पर नहीं पाया। यह बहुत अजीब सा था, क्योंकि वह एक ऐसी व्यक्ति थी जो कभी लेट नहीं होती थी। मैं शान्त और आराम रही। मैंने एक कार को देखा और उसका समझकर आगे बढ़ गयी। परन्तु वह कार मेरे पास से निकल गई, और उसमें एक अजनबी बैठा हुआ था।
तीन मिनट भी नहीं गूजरा था, मैंने महसूस किया कि मैं व्याकुल और चिन्ताग्रस्त हो गई हूँ। क्या वह मुझे भूल गई? शान्ति से चिन्त तक आने में तीन मिनट से भी कम लगा था, और कुछ भी नही बदला था केवल मेरा मन। चिन्तित विचार मेरे मन के अंदर संघर्ष करने लगे थे।
मैंने अपना फोन निकाला और डायल करना शुरू कर दिया, तभी मैंने एक कार को हॉर्न मारते हुए सुना और वह कर्क की तरफ आई। मेरा मन फिर से शान्त हो गया और आनंदित होने लगा। इतनी जल्दि मेरी भावनाएँ बदल रही थी।
जब मेरी परिस्थिति बदली तो जल्द ही मेरे मन के भाव भी बदल गए। कभी कभी मैं परमेश्वर के आवाज को सुनना मेरे लिए आसान होता है, और बिना किसी कठिनाई के विश्वास करना भी। फिर भी अन्य समयों में चिन्ताएँ और व्याकुल विचार मेरे मन में घूस आती है। बाइबल कहती है, कि हमें देख कर नहीं परंतु विश्वास से चलना है। परन्तु उस दिन एअरपोर्ट पर मैं उन बातों के द्वारा चल रही थी जो मैं देख रही थी। जब हम चिन्ता करते हैं तब हम विश्वास में और परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए नहीं चल रहे होते हैं।
मेरे जीवन में लंबे समय तक मैं आलोचनात्मक और सन्देहग्रस्त और न्याय करनेवाले मन की रही। किसी भी अविश्वासी के लिए यह साधारण सी बात लगती है, लेकिन मैं एक मसीही थी। मैं उसी परिस्थिति में थी जिसके लिये मैं बहुत वषोर्ं से जानी जाती थी। यह मेरे लिए साधारण सी बात थी। यही मेरे जीने का तरीका था। वषोर्ं तक मुझे यह जानकारी नहीं थी कि मेरे गलत सोच मुझ में समस्या पैदा कर रहे हैं।
क्योंकि किसी ने मुझे नहीं सिखाया, इसलिए मुझे नहीं मालूम था कि मैं अपने वैचारिक जीवन को बदलने के लिए कुछ कर सकती हूँ। यह यूं ही मेरे साथ नहीं हुआ था। विश्वासियों के मन की स्थिति के बारे में कभी किसी व्यक्ति ने नहीं सिखाया था। परमेश्वर हमें जीने का एक नया तरीका और सोचने का एक नया तरीका देता है।
परमेश्वर ने हमारे मनों को नया बनाने के लिए बुलाया है। (रोमियों 12:2 देखें)। हम में से बहुतों के लिए यह एक निरन्तर चलनेवाली प्रक्रिया है। हम एक बार तुरन्त हीे अपने विचारों को नियंत्रित नहीं करते हैं।
एक दिन मैं 1 कुरिन्थियों 2ः16 पढ़ा, जहां पौलुस कहता है कि, हम में मसीह का मन है। उसका तात्पर्य क्या था? मैंने बहुत दिनों तक उस पद पर खोज किया। हम में मसीह का मन होने का मतलब यह नहीं है कि हम पाप रहित या सिद्ध हो गये हैं, इसका तात्पर्य है, हम मसीह के समान सोचना शुरू करते हैं। यदि हम में मसीह का मन है तो हम उन बातों को सोचते हैं जो भली हैं, आदरणीय हैं और प्रेममय है।
मैंने परमेश्वर के सामने अंगिकार किया कितनी ही बार मेरे मन गन्दे, नीच और कठोर विचार आये हैं।
1 कुरिन्थियों 2:14 में पौलुस ने लिखा, ‘‘परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।'' हां, मैंने सोचा कि इसी प्रकार यह काम होता है। प्राकृतिक मन चाहें मसीहियों का भी जो शैतान के साथ चल रहा है वह परमेश्वर की बातों को ग्रहण नहीं कर पाता है। यह बातें मूर्खता भरी लगती हैं।
हमने स्वयं को स्मरण दिलाना है, कि हम में मसीह का मन है— हमारे अंदर योग्यता है कि हम स्वयं में और चिन्ता करनेवाले या दूसरों की बोझ उठानेवाले विचार रखें। हम शैतान के आक्रमण को हरा देते हैं।
‘‘पवित्र प्रभु, मैं मसीह के मन के साथ जीना चाहती हूँ। मैं मानती हूँ कि मुझे सकारात्मक, प्रेमी और अच्छे विचार सोचने के योग्यता दे। मैं अपने बारे में और दूसरों के लिए ऐसा कर सकूं। जीवन में अच्छी बातें देखने और विचार करने के लिए मेरी सहायता कर न कि बुरी बातें। यीशु मसीह की नाम से माँगती हूँ। आमीन।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/