मन की युद्धभूमिनमूना
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मनन के परिणाम स्वरूप सफलता
जब हम ‘मनन‘ की बात करते हैं, तो हमारा तात्पर्य होता है, कि हम कुछ खोज निकालते हैं और उस पर हमारा पूरा ध्यान लगाते हैं। एक फ्रेन्च दम्पति ने मुझे यह समझने में सहायता किया कि मनन खाने के समान है, वे प्लेट में सजे हुए खाने को देखकर भरपूर आनन्दित होने के बाद उसे मुँह में डालते हैं। वे उसकी खुशबू पर टिप्पणी करते हैं, और अक्सर एक या दो चीजों के बारे में वर्णन करते हैं। वे धीरे धीरे इसे चबाते हैं और कभी कभी वे इस पर भी टिप्पणी करते हैं उनके मुँह के अंदर यह कैसा लगाता है।
आमेरीकियों के लिए यह बहुत अजीब सा लगे, परन्तु परमेश्वर के वचन पर मनन करने के लिए यह एक चित्रण है। हम जल्दबाजी में कुछ एक पद या कुछ एक शब्दो को पढ़ कर अगले पद की ओर नहीं भागते हैं। हम एक शब्द पर मनन करने के लिए रूकते हैं। एक व्याक्यांश या एक पहलू पर हम मनन करते हैं। एक अवधारणा पर। हम वचन को अन्य पदों के साथ तुलना करते हैं, जो हमारे मनों में आता है। हम अध्याय के अन्त तक पहुँचने में कोई जल्दबाजी नहीं करते हैं। शब्दों पर मनन करके हम आनंद प्राप्त करते हैं। हमें मात्रा से अधिक विशेषता पर ज्यादा ध्यान देना सीखना है। हम वचन के एक पद को गहरे समझना पाँच अध्यायों को पढ़कर कुछ नहीं रखने से बढ़कर है।
परमेश्वर के वचन पर मनन करना अनुशासन की माँग करता है। हम एक ऐसे जल्दबाजी वाले दुनिया में रहते हैं, जिसमे बहुत कम लोगों को मनन करने का समय मिलता है। हमें कुछ देर बैठकर परमेश्वर के वचन पर मनन करने, और उसके अद्भूत प्रतिज्ञाए जो उसने अपने विश्वास करनेवालों को दी है, पर मनन करने का समय निकालने का आदद बनाना चाहिए। भजन 1 में धन्य व्यक्ति का वर्णन है, जो दिन रात मनन करता है। दिन रात की अभिव्यक्ति का अर्थ यह है कि उस व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण भाग है मनन। यह एक कहने का तरीका है, कि उस व्यक्ति के दैनिक गतिविधि में परमेश्वर के वचन पर मनन करना, उसके दैनिक कार्यक्रम में शामिल है। उसके लिए गलत विचारों को मन से दूर करना चाहिए जब वे आती हैं, और ऐसी बातों पर विचार करने का चुनाव करना चाहिए जो हमें लाभ पहुँचाती हैं। यदि हम स्वयं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो हमारी आत्मिक अवनति है।
मैं प्रत्येक सुबह प्रार्थना में और परमेश्वर के वचन पर मनन करने में समय व्यतीत करती हूँ। परन्तु मैं दिन भर की गतिविधि में परमेश्वर के वचन को हर एक परिस्थिति में लागू भी करती हूँ। इस मनन के लेखन के समय मैंने फोन में कुछ बुरे समाचार को प्राप्त किया, तब मेरी प्रतिक्रिया यह थी, कि परमेश्वर की कुछ प्रतिज्ञाओं का उद्धरण देते हुए उस विषय पर विचार करें। उसका वचन हमे मजबूत करता है और अपने शान्ति और आनन्द को बनाए रखने में सहायता करता है।
मैंने इसका शीर्षक ‘मनन के परिणाम स्वरूप सफलता‘ रखा है। क्योंकि हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि परमेश्वर वचन के अर्थ को प्राप्त करना केवल अच्छी बात ही नहीं है, या ऐसी गतिविधि नहीं है जो विद्वानों के लिए है। या हमारे लिए परमेश्वर की आज्ञा है। सच्ची सफलता के लिये यह अत्यन्त अपेक्षित है।
मैंने यहोशू को दिए गए निर्देशों पर विचार किया जब वह इस्राएलियों को लेकर प्रतिज्ञात देश में जाने की तैयारी कर रहा था। यहोशू पुस्तक के प्रथम कुछ पदों में उसके लिए परमेश्वर के निर्देश हैं। कम से कम बीस लाख लोग थे, जो उस भूमि की ओर जा रहे थे और उनके अगुवाई करने की जिम्मदारी बहुत बड़ी थी।
परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया कि वह यहोशू के साथ रहेगा, जैसा वह मूसा के साथ था। और इसलिए उस से कहा कि उसे बहुत ही साहसी होने की आवश्यकता है। तब उसने कहा, व्यवस्था की यह पुस्तक तेरी चित से कभी उतरने न पाए। (व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित से कभी न उतरने पाये) इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिए कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करेय क्योंकि ऐसा करने से तेरे सब काम सफल होंगे।'' निर्देश स्पष्ट दिखाई देते हैं। यहोशू के पास परमेश्वर की आज्ञाए थी। और उसका प्राथमिक दायित्व उन वचनों को पूरा करना था। अपने आप को व्यवस्था में डूबोने के द्वारा, वह और अच्छी रीति से परमेश्वर के मन को समझना सिख रहा था। परमेश्वर ने लगातार उस से यह कहा कि यदि यहोशू अपने मन और हृदय को व्यवस्था पर लगाए तो वह समृद्ध और सफल होगा।
अक्सर लोग अपनी समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, बजाय यह कि परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर मनन करें। और जब वे ऐसा करते हैं, तो उनकी समस्याएँ बड़ी दिखाई देती है और परमेश्वर की सामर्थ कमतर होती जाती है।
परमेश्वर नहीं चाहता है कि शैतान आपके मन को भरे, वह आपको ऐसा अवसर नहीं देना चाहता है कि वह शैतान आपके मन में नकारात्मक और गलत विचारों को भर दे। वह नहीं चाहता है शैतान आपके जीवन को नियंत्रित करे। आपको बस इतना करना है कि अपने विचारों को नियंत्रित करें। अभी एक निर्णय लें कि आप उसे ऐसा करने न देंगे। उसे आपको पराजित करने न दें।
‘‘पिता परमेश्वर आपने मुझसे आपके वचन पर मनन करने के लिए कहा है, और मैं आपकी सहायता माँगती हूं। मैं चाहती हूँ कि आपका वचन मेरे जीवन का केन्द्र बनें। जब समस्याएँ आती हैं, तब मेरी सहायता करें कि मैं तुरन्त आपकी वचन की ओर मूड़ूँ। जब शैतान मेरे मन पर आक्रमण करता है, आपके वचन के द्वारा उस पर आक्रमण करने के लिए मुझे स्मरण दिलाए। जैसे मैं लगातार आपके वचन पर मनन करती हूँ, मैं विश्वास करती हूँ कि मैं अपने जीवन में भले उन्नति देखूंगी। यीशु के नाम में माँगती हूँ। आमीन।''
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/