BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन Sample
पौलुस प्रेरित कहता है की यीशु स्वयं हमारी शान्ति है| यीशु ने उन सभी वस्तुओं को हटा दिया जो मनुष्य को एक दूसरे और परमेश्वर से, दूर करती हैं और अब वह अपनी शान्ति दूसरों को दान में देता है| यीशु के चेलों को बुलाया गया है की वे इस शान्ति के दान को ग्रहण करके, इसकी रखवाली और पोषण करें, जिसे करने के लिए उन्हें भलाई, दीनता, सहनशीलता और प्रेम की आवश्यकता पड़ेगी|
पढ़ें: इफ़िसियों २:११-१५, इफ़िसियों ४:१-३, इफ़िसियों ४:२९-३२
चिंतन करें: इस अंश के अनुसार यीशु ने कैसे गंभीर रूप से विभाजित दो दलों (यहूदियों और अन्यजातियों) के मध्य शान्ति-स्थापना की, और उसने ऐसा क्यूं किया (देखें पद २:१६)?
क्या आप जीवन में किसी से अलगाव महसूस करते हैं? क्या आप फिर से, इस व्यक्ति के साथ शान्ति का आनंद अनुभव करना चाहते हैं? क्यूं और क्यूं नहीं? विचार कीजिये की यीशु ने शान्ति-स्थापना के लिए क्या किया| जब आप इस पर चिंतन करते हैं तो कौन से प्रश्न और भावनाएं उभर कर सामने आती हैं?
इफ़िसियों ४:१-३ का ध्यानपूर्वक पुनरावलोकन कीजिये| आपके अनुसार भलाई, दीनता, सहनशीलता और प्रेम किस प्रकार से सहायता करते हैं उस शान्ति को बनाए रखने में जिसकी स्थापना यीशु ने अपने चेलों के लिए की थी? क्या होता है जब इनमें से कोई भी गुण अनुपस्थित हो? आप दूसरों के लिए तो निर्णय नहीं ले सकते हैं, पर आज आप कौन सा एक व्यवहारिक निर्णय ले सकते हैं जिसके द्वारा शान्ति स्थापित हो सके?
इफ़िसियों ४:२९-३२ का ध्यानपूर्वक पुनरावलोकन कीजिये| यीशु ने आपको कैसे क्षमा किया है? किसको आपके क्षमा की आवश्यकता है?
About this Plan
बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|
More