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BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन Sample

BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

DAY 28 OF 28

पौलुस अपनी पत्रियों में, परमेश्वर के प्रेम के विषय में चिंतन करता है| वह शिक्षा देता है की कैसे यह प्रेम यहूदियों के पार जाकर अन्यजातियों को भी शामिल करता है और कैसे परमेश्वर के लोगों को इसकी भरपूरी से कोई अलग नहीं कर सकता है| एक पत्री में पौलुस स्वीकार करता है की यीशु का प्रेम इतना विशाल है की लोगों को आलौकिक सहायता की आवश्यकता पड़ती है उसे समझने और उसपर भरोसा रखने के लिए| पौलुस अपने पाठकों के लिए फिर प्रार्थना करता है की वे परमेश्वर के आत्मा द्वारा समर्थ्य किये जाएँ|


पढ़ें: इफ़िसियों ३:१४-२१, रोमियों ८:३८-३९


चिंतन करें: आज के दिन के लिए दिए गए अंशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए| उन शब्दों और रूपकों पर ध्यान दीजिये जिनका प्रयोग पौलुस करता है| आप क्या देखते हैं?


क्या आपने कभी ऐसा सोचा है की आपने (या किसी और ने) इतने ज़्यादा पाप किये हैं की अब आप परमेश्वर के प्रेम को प्राप्त नहीं कर सकते हैं? हमारे पाप ऊंचे और गहरे हो सकते हैं, पर यीशु का प्रेम उनसे भी अधिक ऊंचा और गहरा है| दूसरे शब्दों में, जहाँ पाप इतना अधिक हो की हम उसे स्मरण भी न कर पायें, वहाँ यीशु का प्रेम, हमारी समझ से परे जाकर, उन्हें क्षमा कर सकता है| हम परमेश्वर के प्रेम को कमा नहीं सकते हैं; हम केवल स्वयं को दीन बनाकर उसे प्राप्त कर सकते हैं| आज यह सुसमाचार और किसे याद दिलाने की आवश्यकता है?


अपने चिंतन को, परमेश्वर के लिए, ह्रदय से निकली हुई प्रार्थना में बदल दीजिये| परमेश्वर से अपने लिए सामर्थ मांगिये ताकि यीशु का प्रेम, जो आपके और दूसरों के लिए है, उसे समझ कर आप उस पर भरोसा रख सकें|

Day 27

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BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|

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