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BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन Sample

BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

DAY 21 OF 28

जब आप इस बात पर विश्वास रखते हैं की यीशु के प्रेम ने स्वयं मृत्यु पर जय प्राप्त की है, तो अत्यधिक अंधकारमय परिस्थितियों में भी, अजीब ढंग से आनंद, उचित लगने लगता है|  इसका यह अर्थ नहीं की आप अपने दुःख को नज़रंदाज़ करें या छुपाएँ|  क्यूंकि यह न तो स्वास्थ्यप्रद है और न ही आवश्यक| पौलुस अनेक बार अपने प्रियों और अपनी स्वतंत्रता की कमी के दुःख को व्यक्त करता है| इसी को वह शोक से भरा हुआ होकर भी आनंद से भरपूर रहना, कहता है| जब उसने अपने दर्द को स्वीकार कर लिया, तब उसने यह निर्णय भी लिया की वह यीशु पर भरोसा रखेगा, इस बात के लिए, की अंतिम निर्णय उसकी हानि का नहीं होगा| 


पढ़ें: २ कुरिन्थियों ६:१०  


चिंतन करें: क्या आप अपने जीवन के किसी ऐसे समय को याद कर सकते हैं जब दुःख से भरे हुए होने के बावजूद भी, आप पूरी तरह से आनंद मना सकते थे? यदि हाँ, तो आप उस अनुभव का कैसे वर्णन करेंगे? 


परमेश्वर से प्रार्थना करने के लिए एक क्षण निकालिए| उसके उस आनंद के लिए उसे धन्यवाद दीजिये जो भारी दर्द में भी बना रहता है| उसे आमंत्रित कीजिये की वह आपको दुखों के मध्य भी, आनंद करना सिखा सके| इमानदारी से उसे उन क्षेत्रों के बारे में बताइये जहाँ आप संघर्ष कर रहे हैं और जो भी आपकी आवश्यकता है, उससे मांग लीजिये| 

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BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन

बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|

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