BibleProject | यीशु-आगमन पर चिंतन Sample
अगापे प्रेम प्रमुख रूप से ऐसी कोई भावना नहीं है जो लोगों को हो जाती है| प्रेम एक क्रिया है| यह एक ऐसा निर्णय है, जो लोग दूसरों का कल्याण करने की खोज में लेते हैं| पौलुस प्रेरित, अपनी एक पत्री में कहता है की प्रेम का होना, आत्मिक ज्ञान या विशेष योग्यताओं के होने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, और इसके बिना कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं रहता है| आगे चलकर, वह सटीक रूप से वर्णन करता है की प्रेम किस प्रकार से सोचता और व्यवहार करता है|
पढ़ें: १ कुरिन्थियों १३:१-७
चिंतन करें: १ कुरिन्थियों १३:४-७ को एक कागज़ के टुकड़े पर लिख डालिए| जब आप इस अंश को अपने हाँथ से लिखते हैं, तो कौन से शब्द या वाक्यांश आपके सामने विशेष रूप से उभर कर आते हैं?
प्रेम के ऐसे कौन से पहलू हैं जिनमें आप को सबसे अधिक बढ़ने की आवश्यकता है? परमेश्वर को बताइए और उससे सहायता माँगिए|
पौलुस के प्रेम की परिभाषा का प्रयोग करते हुए, विचार कीजिए की यीशु ने आपसे कैसे प्रेम रखा है| उद्धारण स्वरूप, किस प्रकार से यीशु आप के प्रति धीरजवन्त, कृपालु, दीन और निस्वार्थ रहा है?
आज किसे यह बात याद दिलानी है की परमेश्वर उनसे प्रेम रखता है? किस प्रकार से इस सप्ताह में यीशु, अपने प्रेम को आप में होकर बांटना चाहता है? कुछ समय निकालकर इसके लिए प्रार्थना कीजिये| प्रार्थना करते समय जो विचार मन में आयें उन्हें लिख डालिए और इस सप्ताह उसके प्रेम को सक्रीय रूप से बांटने के लिए एक योजना बनाइये|
Scripture
About this Plan
बाइबिल प्रोजेक्ट ने व्यक्ति-विशेष, छोटे समूहों एवं परिवारों को प्रेरित करने के लिए यीशु-आगमन सम्बन्धी चिंतन की संरचना की है ताकि वे यीशु के आगमन या आने का उत्सव मना सकें| इस चार सप्ताह की योजना में शामिल हैं एनीमेटेड वीडियो, छोटे सारांश, और चिंतन-प्रश्न जो प्रतिभागियों की सहायता करते हैं ताकि वे आशा, शान्ति, आनंद और प्रेम जैसे विचारों का अध्ययन बाइबिल में दिए गए अर्थ अनुसार कर सकें|
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