7 बातें जो बच्चों की परवरिश के विषय में बाइबल हमें बताती हैनमूना
अपने परिवार की दो बेटियों में कनिष्ठ मैंं हूं, इसलिए मेरा बचपन चाय पार्टी करती गुड़ियों, प्रतिरूपी रसोई में भोजन तैयार करने व विभिन्न वस्त्रों को बदल बदल कर पहनने जैसे खेलों से भरा हुआ था—ये सभी शांत, शिष्ट व निरापद क्रियाए हैं। अब, जब मैं स्वयं दो लड़कों की मां हूं, जिनकी आयु पांच से भी कम है, मेरा घर न तो मेरे बचपन के समान दिखाई पड़ता है न ही वैसा सुनाई पड़ता है। अपने बच्चों के लिए प्रार्थना करना मेरे मातृत्व के सफर का एक अनिवार्य भाग बन चुका है, विशेषकर मेरे लड़कों की फुर्ती के कारण। जैसा कि मेरी सास ने सभी सामान्य बेटों के जीवन के विषय में चेतावनी दी थी, जल्द ही मैं आपातकालीन विभाग की नर्सों को प्रथम नाम से जान पाऊंगी!
मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी ऐसी कल्पना भी की होगी कि इस रोमांचक सफर के केवल कुछ आरंभिक वर्षों में ही मैं अपने जेठे लड़के को मुंह के बल गिरते देख चुकी होंगी (जिसके कारण आखिरकार रूट कैनाल करवाना पड़ा) और फिर, इसके केवल एक वर्ष पश्चात उसे सिर के बल गिरते हुए भी देखूंगी(जिसके कारण तीन नत्थियां करवानी पड़ीं)। मैंने यह कल्पना भी कभी न की होगी कि मैं अपने 10 माह के शिशु को, उस अवस्था के कारण जिसके साथ उसका जन्म हुआ था, एक सर्जरी से गुजरते हुए देखूंगी। प्रत्येक परिस्थिति सम्पूर्ण रीति से मेरे नियंत्रण के बाहर रही है। इन में से किसी भी घटना को होने से रोकने के लिए मैं कुछ नहीं कर सकती थी —एक ऐसी अनुभूति जिसने मुझे अपने बच्चों के लिए प्रार्थना हेतु अपने घुटनों पर ला पहुंचाया।
माता-पिता होने के नाते, बच्चे परमेश्वर की ओर से मिले उपहार स्वरूप हैं जिनका भरण-पोषण करने, सुरक्षा करने, यीशु के प्रेम व अनुग्रह को दर्शाने, व उनके अपने जीवन के सफर के लिए उन्हें तत्पर बनाने के दायित्व हमें सौंपे गए हैं। न ही उनकी दैनिक परिस्थितियां और न ही उनके जीवन का समस्त क्रम हम तय कर पाएंगे —या इन पर किसी भी रीति से नियंत्रण रख पाएंगे। तो फ़िर जब माता-पिता होने के नाते हमने अपनी ऊर्जा का एक-एक कण उदार, आदरकारी, भक्त बच्चों को पालने-पोसने व उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित रखने में डाल दिया हो तो आखिरकार करने के लिए क्या बचा? हम अपनी चिंताएं, अपने संदेह व अधूरी आकांक्षाएं परमेश्वर के समक्ष ले जा सकते हैं— इस बात का आभार प्रकट करते हुए कि हमें नियंत्रण रखने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसा हो कि हम अपने बच्चों के लिए प्रार्थना करते हुए व अपने सिर्जन्हार पर भरोसा व विश्वास रखते हुए उन्हें खुले हाथों से उठाए रहने में कभी न थकें—क्योंकि परमेश्वर हमारे बच्चों से इतना प्रेम करते हैं जितना हम कभी नहीं कर सकते एवं उन्हें अपने सर्व-सामर्थ्यवान हाथों में थामे हुए है।
लिसा ग्रे
यूवर्जन स्थानीयकरण संचालक
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
बच्चों की परवरिश करना, अतिउत्तम परिस्थितियों में भी, कठिन है। इस सात दिन की योजना में वास्तविक-जगत के माता-पिता — जो यूवर्जन के स्टाफ के सदस्य भी हैं — बताते हैं कि वे परमेश्वर के वचन के सिद्धांतों को अपने जीवनों के इस मुख्य पहलू पर किस रीति से अपनाते हैं। प्रतिदिन के संदेश के साथ एक बाइबल-पद चित्र भी दिया गया है जिसे आप अपने खुद के सफर में प्रयोग कर सकते हैं।
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