यीशु मसीह के दृष्टांतनमूना

दाख की बारी में मजदूर
जब आप इस दृष्टांत को पढ़ते हैं, आप किसके पक्ष में खड़े होना चाहते हैं, गृहस्वामी के या मजदूरों के? क्या आप इस रीति से विवाद करते हैं कि वेतन बराबर नहीं होना चाहिए था, या जितना उसने कहा था उतना ही वेतन देने के लिए गृहस्वामी का समर्थन करते हैं?
यह दृष्टांत हमारे प्रयत्नों व परमेश्वर के अनुमोदन के संबंध में हमारी मनोदशा को प्रकट करता है। इफिसियों 2:9 हमें स्मरण करवाता है कि, "उद्धार परमेश्वर का दान है तथा हमारे कर्मों का प्रतिफल नहीं है कि हम इस पर घमंड करें।" फिर भी कई लोग परमेश्वर के लिए किए गए अपने कर्मों के विषय में घमंड करने के लिए उत्सुक हैं और ऐसे "अच्छे" कर्मों के लिए "उपयुक्त" वेतन की मांग करते हैं!
इस कहानी का गृहस्वामी नयाययुक्त और धर्मी है; वह प्रत्येक मजदूर को ठीक उतना ही देता है जैसा कि उसने वायदा किया था और जैसा उसे उचित लगता है। इसी रीति से परमेश्वर भी हमारे कर्मों के कारण नहीं बल्कि अपने प्रेम के कारण अनुग्रह और करुणा दर्शाते हैं। परंतु हम किस प्रकार के मजदूर है? क्या हम अपने कामों को दूसरों से उत्तम समझते हैं व अपेक्षा करते हैं कि उनसे बेहतर प्रतिफल पाएंगे? क्या हमें लगता है कि दूसरे हमसे कम काम करते हैं परंतु हमारे तुल्य अनुग्रह पा रहे हैं, और इसलिए पैरों तले कुचलते हुए विरोध करना चाहते हैं?
या परमेश्वर के हमें स्वीकारने ही के लिए उनका धन्यवाद करते हैं? क्या हम स्मरण करते हैं कि वे हमारे कर्जदार नहीं, फिर भी हमें सब कुछ प्रदान करते हैं? परमेश्वर के अनुग्रह और करुणा की कोई सीमित मात्रा नहीं है, इसलिए आएं हम दूसरों के जीवन में इसके माध्यमों व मात्राओं को देखते हुए डाही या निराश न हों। बदले में, इसमें निरंतर आनंदित हों कि परमेश्वर हमें चुनते हैं!
जब आप इस दृष्टांत को पढ़ते हैं, आप किसके पक्ष में खड़े होना चाहते हैं, गृहस्वामी के या मजदूरों के? क्या आप इस रीति से विवाद करते हैं कि वेतन बराबर नहीं होना चाहिए था, या जितना उसने कहा था उतना ही वेतन देने के लिए गृहस्वामी का समर्थन करते हैं?
यह दृष्टांत हमारे प्रयत्नों व परमेश्वर के अनुमोदन के संबंध में हमारी मनोदशा को प्रकट करता है। इफिसियों 2:9 हमें स्मरण करवाता है कि, "उद्धार परमेश्वर का दान है तथा हमारे कर्मों का प्रतिफल नहीं है कि हम इस पर घमंड करें।" फिर भी कई लोग परमेश्वर के लिए किए गए अपने कर्मों के विषय में घमंड करने के लिए उत्सुक हैं और ऐसे "अच्छे" कर्मों के लिए "उपयुक्त" वेतन की मांग करते हैं!
इस कहानी का गृहस्वामी नयाययुक्त और धर्मी है; वह प्रत्येक मजदूर को ठीक उतना ही देता है जैसा कि उसने वायदा किया था और जैसा उसे उचित लगता है। इसी रीति से परमेश्वर भी हमारे कर्मों के कारण नहीं बल्कि अपने प्रेम के कारण अनुग्रह और करुणा दर्शाते हैं। परंतु हम किस प्रकार के मजदूर है? क्या हम अपने कामों को दूसरों से उत्तम समझते हैं व अपेक्षा करते हैं कि उनसे बेहतर प्रतिफल पाएंगे? क्या हमें लगता है कि दूसरे हमसे कम काम करते हैं परंतु हमारे तुल्य अनुग्रह पा रहे हैं, और इसलिए पैरों तले कुचलते हुए विरोध करना चाहते हैं?
या परमेश्वर के हमें स्वीकारने ही के लिए उनका धन्यवाद करते हैं? क्या हम स्मरण करते हैं कि वे हमारे कर्जदार नहीं, फिर भी हमें सब कुछ प्रदान करते हैं? परमेश्वर के अनुग्रह और करुणा की कोई सीमित मात्रा नहीं है, इसलिए आएं हम दूसरों के जीवन में इसके माध्यमों व मात्राओं को देखते हुए डाही या निराश न हों। बदले में, इसमें निरंतर आनंदित हों कि परमेश्वर हमें चुनते हैं!
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

यह पाठ योजना आपको यीशु द्वारा सुनाये दृष्टांतों में से लेकर जायेगी, जिससे आप यह जान सकोगे कि उसके कुछ महान उपदेश आपके लिए कितना महत्त्व रखतें हैं! बहुत से दिनों की यह पठन योजना पाठकों को चिंतन-मनन करने का समय देती है और उन्हें वर्तमान से जोड़े रहती है और उन्हें यीशु के प्रेम तथा सामर्थ के द्वारा उत्साहित करती है!
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We would like to thank Trinity New Life Church for this plan. For more information, please visit: http://www.trinitynewlife.com/