यीशु मसीह के दृष्टांतनमूना
![The Parables of Jesus](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fimageproxy.youversionapi.com%2Fhttps%3A%2F%2Fs3.amazonaws.com%2Fyvplans%2F603%2F1280x720.jpg&w=3840&q=75)
पेड़ को उसके फल से पहचानें
कई लोग अपने कामों से नहीं बल्कि अपने उद्देश्यों से खुद को अवलोकित करते हैं, परंतु यीशु समझाते हैं कि ना केवल हमारे उद्देश्य बल्कि हमारे काम, या फल भी हमारे मन की अवस्था को दर्शाते हैं।
क्या आपके जीवन में ईश्वर-विरोधी करतूतें हैं जिन्हें आप "अच्छे उद्देश्य से" कह कर बरकरार रखते आ रहे हैं? अपने जीवन के किन क्षेत्रों में आप अपने उद्देश्यों व क्रियाओं को सबसे अधिक मेल खाते हुए पाते हैं? और किन क्षेत्रों में सब से कम मेल खाते हुए पाते हैं? आपको क्या लगता है कि इसका करण क्या है? प्रार्थना करें और परमेश्वर से निवेदन करें कि वे प्रकट करें कि वे कौन से विषय हैं जहां आपका मन और क्रियाएं मेल नहीं खाते।
यीशु कहते हैं की हमारा हृदय ही हमारी क्रियाओं का स्रोत है तथा ऐसा हो नहीं सकता कि हमारा हृदय ईश्वरीय हो और जीवन ईश्वर-विरोधी हो। हमें निरंतर परमेश्वर से निवेदन करना है कि वे प्रकट करें कि जीवन के वे कौन से क्षेत्र हैं जहां हमारे कामों में सुधार की आवश्यकता है, और यह भी निवेदन करना है कि वे प्रकट करें कि अपने हृदय में हमें क्या परिवर्तन लाना है जिससे कि हमारी क्रियाएं भी परिणाम स्वरूप बदल जाएं।
कई लोग अपने कामों से नहीं बल्कि अपने उद्देश्यों से खुद को अवलोकित करते हैं, परंतु यीशु समझाते हैं कि ना केवल हमारे उद्देश्य बल्कि हमारे काम, या फल भी हमारे मन की अवस्था को दर्शाते हैं।
क्या आपके जीवन में ईश्वर-विरोधी करतूतें हैं जिन्हें आप "अच्छे उद्देश्य से" कह कर बरकरार रखते आ रहे हैं? अपने जीवन के किन क्षेत्रों में आप अपने उद्देश्यों व क्रियाओं को सबसे अधिक मेल खाते हुए पाते हैं? और किन क्षेत्रों में सब से कम मेल खाते हुए पाते हैं? आपको क्या लगता है कि इसका करण क्या है? प्रार्थना करें और परमेश्वर से निवेदन करें कि वे प्रकट करें कि वे कौन से विषय हैं जहां आपका मन और क्रियाएं मेल नहीं खाते।
यीशु कहते हैं की हमारा हृदय ही हमारी क्रियाओं का स्रोत है तथा ऐसा हो नहीं सकता कि हमारा हृदय ईश्वरीय हो और जीवन ईश्वर-विरोधी हो। हमें निरंतर परमेश्वर से निवेदन करना है कि वे प्रकट करें कि जीवन के वे कौन से क्षेत्र हैं जहां हमारे कामों में सुधार की आवश्यकता है, और यह भी निवेदन करना है कि वे प्रकट करें कि अपने हृदय में हमें क्या परिवर्तन लाना है जिससे कि हमारी क्रियाएं भी परिणाम स्वरूप बदल जाएं।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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यह पाठ योजना आपको यीशु द्वारा सुनाये दृष्टांतों में से लेकर जायेगी, जिससे आप यह जान सकोगे कि उसके कुछ महान उपदेश आपके लिए कितना महत्त्व रखतें हैं! बहुत से दिनों की यह पठन योजना पाठकों को चिंतन-मनन करने का समय देती है और उन्हें वर्तमान से जोड़े रहती है और उन्हें यीशु के प्रेम तथा सामर्थ के द्वारा उत्साहित करती है!
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We would like to thank Trinity New Life Church for this plan. For more information, please visit: http://www.trinitynewlife.com/