दुविधा?नमूना
"मौन संकेत"
ठीक अभी, आपके सिर के चारों ओर अदृश्य तरंगें रहतीं हैं। दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले नाटक, रेडियो कार्यक्रम, फोन की बातचीत और जी.पी. एस. आपके आस-पास के संसार में लगातार तरंगों की बौछार करते रहते हैं! उनमें से बहुत कुछ तो धूल में मिल जाते हैं, या किसी का ध्यान जाने से पहले ही अंतरिक्ष के खाली अँधेरे में खो जाते हैं। उस तमाम शोरगुल के मध्य में, आप बाहर बैठकर, इस गोला बारी को पूरी तरह से भूल कर शांत संध्या का आनंद ले सकते हो। लेकिन यदि आप रेडिओ, या टेलीविज़न, या मोबाईल का बटन दबाएँ, तो अचानक इस चुप्पी का अर्थ निकल जाता है।
उनमें से कुछ संकेत जो इस समय आपके दिमाग के चारों ओर घूम रहे हैं, वह परमेश्वर की आवाज़ है। यह इलेक्ट्रॉनिक नहीं है। यह ना तो यंत्रों से मापा जा सकता है, और ना ही उपकरणों से प्राप्त किया जा सकता है। इस समय तक, आपने शायद परमेश्वर की आवाज़ पर ध्यान न दिया हो, लेकिन वह होती है।
बाइबिल के बीचों-बीच अय्यूब की पुस्तक उस मनुष्य की विचित्र कहानी के बारे में है ,जो उस समय परमेश्वर से गुस्सा हो गया जब उसका जीवन टूटने लगा था। बात न करने के लिए अय्यूब ने परमेश्वर पर दोष लगाया, लेकिन अय्यूब के मित्र एलीहू ने अय्यूब के दृष्टिकोण को सही किया। "तुम उससे क्यों शिकायत करते हो कि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता? क्योंकि परमेश्वर तो एक क्या वरन दो बार बोलता है,परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगते," (अय्यूब ३३:१३-१४)
एलीहू ने बहुत समझदारी से विचार किया। परमेश्वर हमेशा बात करतें हैं, लेकिन हम ही नहीं सुनते। वे प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से बात करतें हैं। वे सपनों तथा लोगों के द्वारा बात करतें हैं। वे दर्द में तथा आनंद के द्वारा बात करतें हैं। वे जीवन तथा मृत्यु के द्वारा बात करतें हैं। वे हमेशा बात करतें हैं, और आज वे आपसे बात कर रहें हैं। परमेश्वर की आवाज़ सुनना, यह वाकई बहुत सरल है। आपको सिर्फ इतना करना है, उसके संकेतों को प्राप्त करने वाले अपने एकमात्र रिसीवर--यानी आपकी आत्मा को उसकी ओर लगाने की आवश्यकता है।जब यीशु मसीह को, पवित्र नियमों का पालन न करने के लिए, उस समय के धार्मिक अगुवों का सामना करने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने इस वाक्य के साथ अपनी प्रतिक्रिया दिखाई। "मैं तुमसे सच सच कहता हूँ वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएंगे।"(यूहन्ना ५:२५)
अपने जीवन की ओर देखें। क्या आपको ऐसी कोई परिस्थिति याद है जिसे, परमेश्वर आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उपयोग कर रहें हों? क्या आप उन लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके जीवन में, उसकी आवाज़ सुनने में आपकी सहायता करने के लिए रखा है। बाइबिल में अय्यूब और यूहन्ना के पदों को पढ़ें, और उन सभी तरीकों को, जिनके बारे में आज से पहले आपने अभी तक सोचा नहीं, जिनमें परमेश्वर आपसे बात कर रहें हैं, पहचानने की कोशिश करें।
प्रार्थना
हे प्रभु, मेरे व्यस्त जीवन के शोरगुल से ऊपर, क्या आप अपनी आवाज़ को स्पष्ट करेंगें? लोगों को और उन घटनाओं को पहचानने में मेरी सहायता कीजिये जिसे आप मेरा ध्यान आकर्षित करने के लिए उपयोग कर रहें हैं। बाइबिल के इन अंशो को समझने के लिए मेरे ह्रदय और दिमाग को खोलिये।
ठीक अभी, आपके सिर के चारों ओर अदृश्य तरंगें रहतीं हैं। दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले नाटक, रेडियो कार्यक्रम, फोन की बातचीत और जी.पी. एस. आपके आस-पास के संसार में लगातार तरंगों की बौछार करते रहते हैं! उनमें से बहुत कुछ तो धूल में मिल जाते हैं, या किसी का ध्यान जाने से पहले ही अंतरिक्ष के खाली अँधेरे में खो जाते हैं। उस तमाम शोरगुल के मध्य में, आप बाहर बैठकर, इस गोला बारी को पूरी तरह से भूल कर शांत संध्या का आनंद ले सकते हो। लेकिन यदि आप रेडिओ, या टेलीविज़न, या मोबाईल का बटन दबाएँ, तो अचानक इस चुप्पी का अर्थ निकल जाता है।
उनमें से कुछ संकेत जो इस समय आपके दिमाग के चारों ओर घूम रहे हैं, वह परमेश्वर की आवाज़ है। यह इलेक्ट्रॉनिक नहीं है। यह ना तो यंत्रों से मापा जा सकता है, और ना ही उपकरणों से प्राप्त किया जा सकता है। इस समय तक, आपने शायद परमेश्वर की आवाज़ पर ध्यान न दिया हो, लेकिन वह होती है।
बाइबिल के बीचों-बीच अय्यूब की पुस्तक उस मनुष्य की विचित्र कहानी के बारे में है ,जो उस समय परमेश्वर से गुस्सा हो गया जब उसका जीवन टूटने लगा था। बात न करने के लिए अय्यूब ने परमेश्वर पर दोष लगाया, लेकिन अय्यूब के मित्र एलीहू ने अय्यूब के दृष्टिकोण को सही किया। "तुम उससे क्यों शिकायत करते हो कि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता? क्योंकि परमेश्वर तो एक क्या वरन दो बार बोलता है,परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगते," (अय्यूब ३३:१३-१४)
एलीहू ने बहुत समझदारी से विचार किया। परमेश्वर हमेशा बात करतें हैं, लेकिन हम ही नहीं सुनते। वे प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से बात करतें हैं। वे सपनों तथा लोगों के द्वारा बात करतें हैं। वे दर्द में तथा आनंद के द्वारा बात करतें हैं। वे जीवन तथा मृत्यु के द्वारा बात करतें हैं। वे हमेशा बात करतें हैं, और आज वे आपसे बात कर रहें हैं। परमेश्वर की आवाज़ सुनना, यह वाकई बहुत सरल है। आपको सिर्फ इतना करना है, उसके संकेतों को प्राप्त करने वाले अपने एकमात्र रिसीवर--यानी आपकी आत्मा को उसकी ओर लगाने की आवश्यकता है।जब यीशु मसीह को, पवित्र नियमों का पालन न करने के लिए, उस समय के धार्मिक अगुवों का सामना करने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने इस वाक्य के साथ अपनी प्रतिक्रिया दिखाई। "मैं तुमसे सच सच कहता हूँ वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएंगे।"(यूहन्ना ५:२५)
अपने जीवन की ओर देखें। क्या आपको ऐसी कोई परिस्थिति याद है जिसे, परमेश्वर आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उपयोग कर रहें हों? क्या आप उन लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने आपके जीवन में, उसकी आवाज़ सुनने में आपकी सहायता करने के लिए रखा है। बाइबिल में अय्यूब और यूहन्ना के पदों को पढ़ें, और उन सभी तरीकों को, जिनके बारे में आज से पहले आपने अभी तक सोचा नहीं, जिनमें परमेश्वर आपसे बात कर रहें हैं, पहचानने की कोशिश करें।
प्रार्थना
हे प्रभु, मेरे व्यस्त जीवन के शोरगुल से ऊपर, क्या आप अपनी आवाज़ को स्पष्ट करेंगें? लोगों को और उन घटनाओं को पहचानने में मेरी सहायता कीजिये जिसे आप मेरा ध्यान आकर्षित करने के लिए उपयोग कर रहें हैं। बाइबिल के इन अंशो को समझने के लिए मेरे ह्रदय और दिमाग को खोलिये।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
अभी भी परमेश्वर के बारे में आपने अपना मन नहीं बनाया है? वास्तव में यकीन नहीं है कि आप क्या मानते हैं? अगले सात दिन बाइबल की खोज में बिताइए और देखिए कि परमेश्वर ने आपको उसके वास्तविक स्वरूप के बारे में क्या बताया। यह आपके लिए कहानी को स्वयं पढ़ने और यह तय करने का अवसर है कि आप क्या मानते हैं। परमेश्वर का विचार आपके लिए अभी भी अनिर्दिष्ट है।
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इस पाठ योजना को उपलब्ध करवाने के लिए हम यूवर्शन का धन्यवाद करते हैं। ज़्यादा जानकारी के लिए www.youversion.com पर जाएं।