मजबूत बने रहें -Majaboot Bane Rahen ( Stay Strong)नमूना
दिन एक - परिचय
कुलुस्सियों 2:6-7 “इसलिए तुमने जैसे यीशु को मसीह और प्रभु के रूप में ग्रहण किया है, तुम उसमें वैसे ही बने रहो। 7 तुम्हारी जड़ें उसी में हों और तुम्हारा निर्माण उसी पर हो तथा तुम अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो जैसा कि तुम्हें सिखाया गया है। परमेश्वर के प्रति अत्यधिक आभारी बनो।”
जीवन, किए जाने वाले और अधूरे पड़े कामों का, कभी न खत्म होने वाला भंवर है। अक्सर हम सोचते हैं टाइम कितनी जल्दी निकल जाता है: दिन हफ़्तों में और हफ्ते सालों में और फिर साल दशकों में तब्दील हो जाते हैं।
हम एक तुरंत संतुष्टि, आर्डर पर मंगाए जाने वाले मनोरंजन, घर पर मंगवाए जाने वाले सुख और सुविधाओं की तेज़ गति वाले जीवन में जी रहे हैं। हम बहुत जल्दी बोर हो जाते है और अगली चीज़ को ढूंढते हैं चाहे वह जो भी है शायद इस आशा में की वह, उस तकलीफदेह खालीपन को भरेगा जिसे भरा जाना ज़रूरी है। फिर भी, चीज़ों के ढेर में, दुःख की बात है, अक्सर हम इससे अनजान होते हैं, सच में जिसे हम इतनी बेताबी से खोज रहे हैं वह उस “अगले” से बिलकुल उल्टा होता!
हम सभी को हमारे लगातार जीवनों में कोई चीज़/व्यक्ति चाहिए। यही “लगातार” हमें स्थिर रखता, दृढ़ रखता है, वह हमारा अंदरूनी यंत्र होता है जो हमें राह दिखाता है जब जीवन हमारी ओर एक गोल बॉल फेंकता है। यही हमारी परिभाषा देता है, हम सच में यही हैं।
वह ‘लगातार’ जिसकी हमें ज़रूरत है, अनजाने में ही जिसे हम खोज रहे हैं, वह ऐसे जीवन से नहीं आता जो हमेशा बदलता रहता है। उसे उससे आना होगा जो समय की सीमा से नियंत्रित ना हो। इस ‘लगातार’ को समय से परे होना है - वह अनंत है।
यह मुझे उस वचन पर ले आता है जिसका चिंतन मैं आज आपके साथ कर रही हूँ और जिसके हर वाक्य और हर शब्द पर मैं ध्यान देना चाहती हूँ क्योंकि मुझे लगता है इस छोटे परन्तु भरपूर निर्देश में बहुत कुछ है जो पौलुस हम मसीह-अनुयाइयों को दे रहा है।
आयत6 -इसलिए तुमने जैसे यीशु को मसीह और प्रभु के रूप में ग्रहण किया है - पौलुस कुलुस्से के मसीहियों को सत्य को थामे रहने के लिए उत्साहित कर रहा है बजाय अच्छा सुनाई देने वाले तर्क (आयत4) या उस झूठे सुसमाचार द्वारा भटक जाने के जो प्रचलित हो रहा था (आयत8)।
हमने यीशु को कैसे ग्रहण किया?
वह चाहता है की वे उन बातों को मजबूती से थामे रहें जो उन्हें प्रेरितों ने सिखाई थी। उन्होंने इसे विश्वसनीय बन्दों से पाया था और विश्वास से ग्रहण किया था।
मैं रुक कर इसके बारे में सोचती हूं। हमारे पास आज बहुत चुनाव हैं कि हमें किसे सुनना है, हमें कौन सी कलीसिया का संदेश देखना है। कभी-कभी हम बड़ी चालाकी से झूठी शिक्षाओं में फसाए जा सकते हैं, बिना हमारे जाने ही।
हमें यह जानना चाहिए कि हम किससे सीख रहे हैं: उनका पिछला रिकॉर्ड क्या रहा है, उनका जीवन कैसा है, और उनके मूल सिद्धांत क्या है। यह सब कुछ इंटरनेट पर जांचना आसान नहीं है।
एक और बात पौलुस उन्हें याद दिलाता है कि उन्होंने मसीह को किस तरह ग्रहण किया। हमने अपना उद्धार कैसे ग्रहण किया? हमने इसे विश्वास द्वारा अनुग्रह से ग्रहण किया। ना इससे कुछ ज्यादा, ना इससे कुछ कम। मसीह का क्रूस संपूर्ण है और मेरे लिए सब कुछ कर देता है: मैं उसे कमा नहीं सकती, मैं उसके काबिल नहीं हूं। मैं इसे विश्वास द्वारा अपनाती हूं और नम्रता से इस अनुग्रह के वरदान को अपने जीवन में ग्रहण करती हूँ।
इस महान कार्य में ना ही कोई कुछ और जोड़े और ना ही इस में से कुछ निकालें जो हमारे अद्भुत परमेश्वर ने हमारे लिए किया है।
आइए थोड़ा रुकें और अपने उद्धार के लिए धन्यवाद दें।
मनन करें | आपने यीशु के बारे में कैसे सुना था? उस व्यक्ति के लिए धन्यवाद दें जिसने आपको मसीह के बारे में बताया, उन्हें धन्यवाद का एक संदेश भेजें।
वचन उल्लेख:
कुलुस्सियों 2:6-7
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
अच्छी शुरुआत से सिर्फ आधा काम होता है। मैं अंत तक कैसे मजबूत रहूँ? नवाज़ डिक्रूज़ ( Navaz DCruz) द्वारा लिखा और गुरमीत धनोवा द्वारा अनुवाद किया यह आलेख आपको यीशु में हमारे विश्वास को बढ़ाने के विषय में पौलुस द्वारा कुलुसियों में दिए कुछ मुख्य साधनों में से ले जाएगा।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/