क्रिसमस की आशानमूना
यीशु: एक योग्य सफर
मत्ती २:१ पढ़ें
सत्य की खोज करना कोई अंशकालिक काम नहीं है। इसमें आपका सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है। यह बात हमें क्रिसमस की कहानी के ज्योतिषियों से सिखने को मिलती है।
सत्य की खोज में ये ज्योतिषी किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।मत्ती २:१ लिखा है "हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ, तो देखो, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे" (BSI) । इसकी हम कल्पना कर सकतें हैं कि इन ज्योतिषियों ने, केवल यीशु को पाने के लिए, पूर्व के दूर देश से लेकर मध्य पूर्व तक की मीलों की यात्रा, बहुत मूल्य/लागत लगाकर पूरी की होगी।
यीशु का जन्म बैतलेहम में हुआ, जो यरूशलेम से छः मील की दूरी पर है। यीशु के जन्म के समय, यरूशलेम को दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता था । हर प्रकार की आध्यात्मिक गतिविधियाँ यरूशलेम में हुआ करतीं थीं। सारी दुनियाँ के तमाम बड़े एवं मुख्य धार्मिक अगुवे भी येरूशलेम में हुआ करते थे, परन्तु उनमें से किसी ने भी यीशु को नहीं ढूँढा/ढूँढने की कोशिश भी नहीं की। केवल बाहर से आये हुए लोग—वे ज्योतिषी लोग जो पूरी तरह से अन्य संस्कृति के थे— वे यीशु को खोज रहे थे।
राजा हेरोदेस बालक यीशु को नहीं समझ पाया। और न ही बैतलेहम में व्यापार करने वाले अगुवे समझ पाए। और यदि आप भी उसे नहीं खोजोगे, तो आपके पास होते हुए भी या आपके बीच होते हुए भी, आप भी उसे नहीं समझ पाओगे।
परंतु वे ज्योतिषी यीशु को खोज रहे थे। वे यीशु को पाने के लिए चार-पांच महीने कड़ी धूप में रेगिस्तान को पार करके जाने के लिए भी तैयार थे। वे परमेश्वर को खोजने के प्रति बहुत ही संजिदा थे। उसे पाने के लिए, वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।
यही, वह समझदारी है। हमें भी यही करना चाहिए। परमेश्वर को खोजने के लिए हम हमारे रास्ते के बीच में, किसी भी वस्तु या कोई और बात को, नहीं आने दे सकते। पूरे संसार में, यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
यीशु ने कहा है कि स्वर्ग का राज्य उस बहुमूल्य मोती के समान है जिसे पाने के लिए हम अपना सब कुछ बेचने के लिए तैयार हो जायेंगें। ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व से आये वो ज्योतिषी, यीशु द्वारा कहे इस दृष्टांत के काफी पहले से, इस बात को भली-भांति समझ गए होंगे।
प्रभु यीशु की आराधना करने के लिए ये ज्योतिषी अपना सब कुछ छोड़ने/त्यागने को तैयार थे। अपने घर की सारी सुख सुविधा को त्याग कर, वे एक बहुत लम्बे और कठिन सफर पर चल दिये थे, क्योंकि उनके पास एक बहुत ही उत्तम एवं सही उद्देश्य था-और वह था यीशु को ढूँढना । वे उसकी आराधना-स्तुति करना चाहते थे।
प्रभु यीशु की आराधना के लिये,आप क्या त्यागेंगे?
मत्ती २:१ पढ़ें
सत्य की खोज करना कोई अंशकालिक काम नहीं है। इसमें आपका सब कुछ दाव पर लगाना पड़ता है। यह बात हमें क्रिसमस की कहानी के ज्योतिषियों से सिखने को मिलती है।
सत्य की खोज में ये ज्योतिषी किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।मत्ती २:१ लिखा है "हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ, तो देखो, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे" (BSI) । इसकी हम कल्पना कर सकतें हैं कि इन ज्योतिषियों ने, केवल यीशु को पाने के लिए, पूर्व के दूर देश से लेकर मध्य पूर्व तक की मीलों की यात्रा, बहुत मूल्य/लागत लगाकर पूरी की होगी।
यीशु का जन्म बैतलेहम में हुआ, जो यरूशलेम से छः मील की दूरी पर है। यीशु के जन्म के समय, यरूशलेम को दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता था । हर प्रकार की आध्यात्मिक गतिविधियाँ यरूशलेम में हुआ करतीं थीं। सारी दुनियाँ के तमाम बड़े एवं मुख्य धार्मिक अगुवे भी येरूशलेम में हुआ करते थे, परन्तु उनमें से किसी ने भी यीशु को नहीं ढूँढा/ढूँढने की कोशिश भी नहीं की। केवल बाहर से आये हुए लोग—वे ज्योतिषी लोग जो पूरी तरह से अन्य संस्कृति के थे— वे यीशु को खोज रहे थे।
राजा हेरोदेस बालक यीशु को नहीं समझ पाया। और न ही बैतलेहम में व्यापार करने वाले अगुवे समझ पाए। और यदि आप भी उसे नहीं खोजोगे, तो आपके पास होते हुए भी या आपके बीच होते हुए भी, आप भी उसे नहीं समझ पाओगे।
परंतु वे ज्योतिषी यीशु को खोज रहे थे। वे यीशु को पाने के लिए चार-पांच महीने कड़ी धूप में रेगिस्तान को पार करके जाने के लिए भी तैयार थे। वे परमेश्वर को खोजने के प्रति बहुत ही संजिदा थे। उसे पाने के लिए, वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे।
यही, वह समझदारी है। हमें भी यही करना चाहिए। परमेश्वर को खोजने के लिए हम हमारे रास्ते के बीच में, किसी भी वस्तु या कोई और बात को, नहीं आने दे सकते। पूरे संसार में, यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
यीशु ने कहा है कि स्वर्ग का राज्य उस बहुमूल्य मोती के समान है जिसे पाने के लिए हम अपना सब कुछ बेचने के लिए तैयार हो जायेंगें। ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व से आये वो ज्योतिषी, यीशु द्वारा कहे इस दृष्टांत के काफी पहले से, इस बात को भली-भांति समझ गए होंगे।
प्रभु यीशु की आराधना करने के लिए ये ज्योतिषी अपना सब कुछ छोड़ने/त्यागने को तैयार थे। अपने घर की सारी सुख सुविधा को त्याग कर, वे एक बहुत लम्बे और कठिन सफर पर चल दिये थे, क्योंकि उनके पास एक बहुत ही उत्तम एवं सही उद्देश्य था-और वह था यीशु को ढूँढना । वे उसकी आराधना-स्तुति करना चाहते थे।
प्रभु यीशु की आराधना के लिये,आप क्या त्यागेंगे?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
बहुत से लोगों के लिए, क्रिसमस एक लंबे समय तक चलने वाली सूची बन गई है जो उन्हें थका हुआ और २६ दिसंबर की उम्मीद करवाती है। संदेशों की इस श्रृंखला में, पास्टर रिक आपको क्रिसमस का जश्न मानाने के कारणों को याद करने में आपकी मदद करना चाहता है और आपको छुट्टियों का जश्न मनाने के साथ-साथ अपने जीवन के बाकी हिस्सों को भी क्यों नहीं बदला जाना चाहिए।
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रिक वर्रेन द्वारा यह भक्ति © 2014 सर्वाधिकार सुरक्षित है। अनुमति द्वारा प्रयुक्त।