मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 19 का 100

एक सिद्ध योजना

मुझे नहीं मालूम कितनी बार हमने प्रचारकों को यह कहते सुना है। परमेश्वर आपके जीवन के लिये एक योजना रखता है। हम सिर हिलाते हैं, शायद मुस्कुराते हैं, और इसके बाद हम अपने राह चले जाते हैं। मुझे यह निश्चय नहीं है कि हम में से अधिकांश लोग इस बात पे विश्वास करते हैं। कम से कम हमारे जीवन से यह नहीं दिखता है, कि हम इस बात पर विश्वास करते हैं।

यह सोचने का क्या तात्पर्य है कि, परमेश्वर हमारे जीवन के लिए एक सिद्ध योजना रखता है? सम्भवतः यह सिद्ध शब्द हमें परेशानी में डालता है। हम असिद्ध लोग हैं और बहुत सारी गलतियाँ करते हैं। हमारे जीवन में कोई चीज सिद्ध कैसे हो सकती है? हम अपने आपको बहुत अच्छी रीति से जानते हैं। तुरन्त ही हम अपने कमियों को सोचने लगते हैं और हम अपने सिर हिलाते हैं।

यह शैतान की एक चाल है। योजना सिद्ध इसलिये नहीं हैं कि हम सिद्ध हैं। योजना इसलिये सिद्ध है क्योंकि परमेश्वर सिद्ध है। इसलिये अब इसे इस प्रकार से कहें, परमेश्वर हम सब के जीवन के लिये एक विशेष योजना रखता है।

आईये उस योजना के बारे में विचार करें। पीछले पद में पौलुस ने हम से कहा, कि परमेश्वर ने हमें बचाया और हम में एक भला कार्य प्रारम्भ किया है। आत्मा अभी भी हमारे साथ है, और हमे आगे बढ़ाता है। पौलुस ने यह भी लिखा कि, हम परमेश्वर के हाथों के कार्य हैं। इस से पहले दो पद़ हमसे कहते हैं कि हम परमेश्वर के अनुग्रह से बचाए गए हैं। उद्धार के कार्य से हमें कुछ भी लेना देना नहीं है। हमने इसे कमाया नहीं है, और हम इसके लायक भी नहीं हैं। परमेश्वर के राज्य में हमारा पैदा होना एक उपहार के समान है। परमेश्वर यह करता है और हम इसे प्राप्त करते हैं। हाँ हम विश्वास करते हैं, लेकिन यह उद्धार पाने के लिये कुछ करना नहीं है।

जब हम अपने जीवन में परमेश्वर के कार्य के बारे में सोचते हैं तो हम अपने आपको स्मरण दिलाते हैं कि हम सिद्ध नहीं हैं, लेकिन परमेश्वर सिद्धतावाला है। हम चाहे कुछ भी कर लें लेकिन वह परमेश्वर के सिद्धता को सिद्ध करने के लिये काफी नहीं होगा। केवल यीशु, जो सिद्ध है, वही उत्तम है और कुछ नहीं, परन्तु उस पर हमारा विश्वास हमें परमेश्वर के ग्रहणयोग्य बनाता है।

प्रेरित आगे यह कहता है, कि हम यीशु मसीह के द्वारा बचाऐ गए हैं, ताकि हम भले कार्य कर सकें। परमेश्वर ने हमें तैयार किया है ताकि हम उसके योग्य जीवन जीयें। उसका वचन यह स्पष्ट करता है कि यह जीवन कैसे काम करता है।

ऐसा नहीं है कि हम सिद्ध हैं, या हम कभी होंगे जब हम पृथ्वी पर हैं। मुख्य बात यह है कि परमेश्वर सिद्ध है और हमारे लिये एक योजना रखता है। हमारे जीवन के लिये जो योजना है वह सिद्ध है, क्योंकि यह एक सिद्ध योजना बनानेवाले से आता है। हमारे लिये परमेश्वर की योजना मे, आज्ञाकारिता और गम्भीर हृदय के साथ उसकी सेवा करना शामिल है।

एक पूर्ण और संतुष्ट जीवन जीने के लिए, परमेश्वर हमें मार्ग दर्शन देता है। हमारी भूमिका है कि हम उस योजना के साथ सामंजस्य रखें। हमे अपने आँखों को यीशु पर लगाना है। स्वयं पर नहीं और अपनी अयोग्यताओं पर भी नहीं।

जब हम कहते हैं, ''रूको! मैं सिद्ध नहीं हूँ, मैं पराजित होता हूँ। हम परमेश्वर से अपने ध्यान को हटा लेते हैं और गलत विचारों के साथ परेशान करने के लिये शैतान को अनुमति देते हैं। हमारा प्रेमी प्रभु विनती करता है कि हम अपने मनो और हृदयों को उसकी तरफ लगाए। जितना सम्पूर्णता के साथ हम ऐसा करेंगे, उतना ही सम्पूर्णता के साथ उसकी भले और सिद्ध योजना के साथ जीऐंगे।

हमें यहोशू के समान होना है, जिस से परमेश्वर ने कहा, ‘‘व्यवस्था की यह पुस्तक तेरी चित से कभी उतरने न पाएँ।'' परन्तु दिन रात उसी पर ध्यान किये रहना। ताकि तुम इसका पालन कर सको और इसके अनुसार कार्य कर सको। तब तेरे मार्ग समृद्ध होंगे और तूम सही निर्णय करोगे और सफल होगे। यहोशू 1ः8।

‘‘सिद्ध परमेश्वर मन की इस युद्ध में मेरी सहायता कर। शैतान लगातार मुझे याद दिलाता है, कि मैं असिद्ध हूँ, और मैं कमजोर हूँ। लेकिन मैं तुझ से माँगता हूँ कि तू अपना दिशा मुझे स्मरण दिला। तेरा प्रेम, तेरी निकटता स्मरण दिला ताकि मैं सदा विजयमय जीवन जिऊं। यह बाते मैं यीशु मसीह के नाम से माँगती हूँ। आमीन।''


दिन 18दिन 20

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/