मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 22 का 100

और बहाना नहीं

‘‘मैं हमेशा से एक बुरी मिजाज में रही हूँ। मैं ऐसा ही हूँ।''

‘‘मैं खरा बोलनेवाला व्यक्ति हूँ। मैं ऐसा ही हूँ और लोगों को मुझे ऐसा ही स्वीकार करना चाहिये।''

‘‘मैं चीजों को ऐसा ही बुलाती हूँ जैसा मैं उन्हें देखती हूँ। मैं उन्हें शक्कर में घोलके बात नहीं करती हूँ।''

यह सूची इसी प्रकार अनन्त जा सकती है। परन्तु इन सभी बहानों में एक सामान्य बात यह है, कि सभी स्वयं को सही ठहराने का प्रयास करते हैं, जैसा वे हैं। यह परिवर्तन का विरोध करने का एक तरीका है।

यह हमारे मनों में घूसने के लिये शैतान का एक तरीका भी है। वह महान धोकेबाज हमसे कहता है, कि हम अकड़ रखनेवाले नहीं हैं, हम केवल इमानदार बन रहे हैं और लोगों को हमारी इस योग्यता का आदर करना चाहिये। हम सोचते हैं कि जैसा हमने देखा उसका वर्णन करते हुए सत्य बोलते हैं और हम डरपोक या पाखण्डी नहीं हैं।

यदि शैतान हमें कायल कर लेता है, कि हमें बदलने की आवश्यकता नहीं है—हम जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं—तो वह हमारे जीवन में एक गम्भीर युद्ध जीत गया है।

वास्तव में, शैतान हमें न बदलने के लिये बहुत सारे सफाई दे सकता है। यही समस्या हो सकती है। यदि वह हमें कायल कर देता है, कि अन्य लोग गलत हैं क्योंकि ''वे बहुत भावुक हैं'' या ”वे सच्चाई को सुनना और वास्तविकता का सामना करना नहीं चाहते हैं''। तो हम स्वयं को उत्तरदायी महसूस नहीं करते हैं, और हम सोचते हैं कि हम ठीक हैं।

दूसरी बात यह कि हम अपने सोच विचार में कितने भी नकारात्मक हों, हम स्वयं को ‘नकारात्मक' नहीं कहते हैं। हम तार्किक, यतार्थवादी, भविष्य का ध्यान रखनेवाले जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। अपने विषय की सच्चाई का सामना न करना शैतान के धोखा देनेवाले कार्य का भाग है।

जब मैं गम्भीर नकारात्मक दौर से गुजर रही थी, तब भी मैं स्वयं के बारे में नहीं सोचती थी कि मैं ‘नकारात्मक' हूँ। मैं केवल ईमानदार बन रही थी। यदि मै कुछ गलत देखती, तो तुरन्त टोक देती। मैं राह चलते लोगों को मुफ्त सलाह दिया करती, ताकि वे बदलें। मैं दूसरों की समस्याओं और कमजोरियों को देखती और उन्हें यह दर्शाने में आनंद का अनुभव करती कि वे किस प्रकार उस पर विजय पा सकते हैं। मेरे बुरे दिनों में मुझे अपने सारे मित्र और उनके कार्य भी बुरे लगते थे। मुझे आलोचना करने के लिये कुछ ढूँढने की आवश्यकता नहीं होती थी, जिसे मैं बड़ी आसानी से किया करती थी। मैं इसे नकारात्मक नहीं मानती थी, क्योंकि मैं सोचती थी कि ऐसा करके मैं दूसरों की सहायता कर रही हूँ। मेरे घमण्डी स्वभाव में मैंने कभी नहीं सोचा कि लोगों को मेरी सहायता की आवश्यकता नहीं है। वे स्वीकार्यता और प्रोत्साहन चाहते थे, आलोचना और दण्ड नहीं।

जैसा मैंने कहा कि मैं कभी नहीं सोचती थी कि मैं नकारात्मक हूँ— जब तक परमेश्वर ही मुझे कायल नहीं किया।

मैं किसी को नकारात्मक होने के लिये दोषी नहीं ठहराती, चाहे आप उसके लिये सीधे जवाब देनेवाले या इमानदार जैसे किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर लें। क्योंकि दोषी ठहराना भी नकारात्मकता है। इसके बदले मैं विश्वासियों की सहायता करना चाहती हूँ, कि वे अपने स्वभाव की समस्याओं को समझें और इस बात को समझें कि परमेश्वर उन्हें छुड़ा सकता है।

हम मसीही जीवन को परमेश्वर की नई सृष्टि के रूप में प्रारम्भ करते हैं। हमारा पुराना जीवन मिटा दिया जाता है। मसीही जीवन परिवर्तन, विकास और आगे बढ़ने का जीवन है।

स्वतंत्रता की ओर की रास्ता वहाँ से शुरू होती है जब हम समस्याओं का सामना करते हैं और हम बिना सफाई के अपने समस्याओं का सामना करते हैं। ”हाँ, मैं नकारात्मक हूँ, परन्तु आप मेरे ही समान परिवार से आये होते, तो आप“।

रूको! कोई बहाना नहीं। हम जानते हैं कि हम पहले क्या थे, और हम यह भी जानते हैं कि हमें अब वैसे नहीं रहना है, न ही भविष्य में। मसीह की सहायता से, परमेश्वर के वचन के अनुसार हम अपने मन को नया कर सकते हैं।

सबसे मुश्किल परमेश्वर से यह कहना होगा, मैं एक नकारात्मक व्यक्ति हूँ परन्तु मैं परिवर्तित होना चाहती हूँ। स्मरण रखें कि नकारात्मक मन नकारात्मक जीवन को उत्पन्न करता है। सम्भवतः अपने आपको बहुत बार बदलने की सोचे हो, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब आप युद्ध जीतना शुरू कर सकते हैं। इस बात को स्वीकार करके, कि आप कौन हैं और परमेश्वर पर आपको भरोसा करना है कि वह आप को बदले।

‘‘पवित्र और सकारात्मक परमेश्वर मेरे सारे नकारात्मक सोच के लिये मुझे क्षमा करें। आप चाहते हैं कि मैं प्रेमी बनू और आपके आनन्द को पाऊँ। मेरी सहायता कर कि शैतान मुझ पर, मेरे मन पर कोई गढ़ बनाने न पाये। कृपया मेरे विचारों के सारे नकारात्मक पहलुओं को दूर करें।‘‘ आमीन।

पवित्र शास्त्र

दिन 21दिन 23

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/