हमें ठेस पहुँचाने वालों को क्षमा करनानमूना
क्षमा का उपहार
हम में से बहुत से लोग अनसुलझे विवाद, टूटे व्यवहार, अपने और दूसरों के बीच चल रहे "मुद्दों" के साथ रहते हैं। लेकिन हमारे पास एक बड़ी आशा है! परमेश्वर ने कलीसिया को एक दूसरे के साथ शांति में रहने वाले विश्वासियों का समूह बनाया है। इस वाक्य में, विश्वासियों को आज्ञा दी गई है कि "दयालु बनें… दरियादिल, क्षमाशील भी। ” क्षमा करने की आज्ञा के माध्यम से दयालु और कोमल हृदय होने की आज्ञा को सदृढ़ किया जा सकता है। क्षमा एक उपहार है जो हम दूसरों को देते हैं, एक बलिदान जीवन शैली जिसमें हम दूसरों के प्रति उनके अपराधों को दायित्व से मुक्त करते हैं। क्योंकि परमेश्वर ने हम सभों के पापों को ढकने के लिए अपना पुत्र दिया, हम दूसरों को क्षमा कर सकेंगे; परमेश्वर ने पहले ही कीमत चुका दी है। जब हम दूसरों को क्षमा करते हैं तो हम परमेश्वर में मसीह के बलिदान के उपहार तक पहुँच पाते हैं।
प्रेम की इस प्रगति की प्रेरणा हमें अपने दिलों में नहीं मिलती। इसके बजाय, प्रेरणा परमेश्वर की ओर से आती है जो उसने हमें मसीह में क्षमा करने के लिए किया है। ऋण चुकाना पड़ता है क्योंकि वास्तविक में गलतियां हुई हैं। यद्यपि, जब हम अपने विरुद्ध की गई गलतियों का बोझ छोड़ते हैं, तो हमको ऋण चुकाने के लिए परमेश्वर की दया पर भरोसा करना है। इसका हमारे अपने जीवन पर मुक्ति का प्रभाव पड़ता है। यह स्वतंत्रता हमें मसीह में और दूसरों के साथ संगति का आनंद लेने के लिए दृढ़ करती है! सोचिए कि अगर हमारे सभी रिश्तों में पूर्ण और मुफ़्त क्षमा से विशेषता होती तो हम उस स्वतंत्रता और मित्रभाव का अनुभव करते। विश्वासियों के रूप में हमारी संगति दयालु, कोमल हृदय और क्षमाशील संबंधों के माध्यम से बनी रहती और मजबूत होती है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
चाहे हम भावनात्मक या शारीरिक घाव से कष्ट झेल रहे हों, मसीही जीवन का आधारशिला तो क्षमा ही है। यीशु मसीह ने हर प्रकार के अनुचित और अन्यायपूर्ण व्यवहार को सहा, यहाँ तक कि अन्याययुक्त मौत भी! फिर भी अपने अंतिम समय में अपने समीप क्रूस पर चढ़ाए गए चोर जो उसे ठट्ठा कर रहा था, और जल्लादों को माफ़ किया।
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