हमें ठेस पहुँचाने वालों को क्षमा करनानमूना
रिश्तों को सुधारना
क्या आप अपने मन में कुछ रिश्तों को बसा हुआ पाते हैं, क्योंकि वे इतने टूटे और दर्दनाक हैं?
जब किसी का मन इतना भस्म हो जाता है तो आनंदित आत्मा का होना बहुत कठिन होता है। ऐसे अपराध भी हैं जो हमारे पवित्र परमेश्वर के साथ हमारे रिश्तों में बाधा डालते हैं। हमारी आराधना शुद्ध और दोषरहित होनी चाहिए। मसीह में हमारी क्षमा परमेश्वर तक पहुचने में हमें दृढ़ करती है, लेकिन परमेश्वर चाहता है कि हम उसके पुत्र के सदृश बनें। यीशु हमें प्रोत्साहित करता है कि हम दूसरों के साथ “मेल-मिलाप” करें। मेल-मिलाप का अर्थ है कि उचित क्रम से रिश्तों को सुधारना। हम मसीह का अनादर करते हैं, जब हमारे रिश्ते खराब होते हैं। हम क्षमा के माध्यम से अपने रिश्तों को पुन: व्यवस्थित कर सकते हैं, और एक स्पष्ट अंतःकरण के साथ परमेश्वर की आराधना में आ सकते हैं।
जब हम इस तरह जीते हैं, हम मसीह को सम्मान देते हैं, और परमेश्वर की आराधना हमारे लिए खुली और मुक्त होती है। जैसे हम परिपक्व होते जाते हैं और मसीह के समान बनते हैं, हम देखते हैं कि बहुत से अपराधों को आसानी से “अनदेखा” किया जा सकता है। हम नाराज नहीं होने का चुनाव करते हैं (नीतिवचन 19:11 देखें)। हम दूसरों को क्षमा करने में बढ़ावा करते हैं, यह मानते हुए कि हम एक दूसरे को अनजाने में बहुत चोट पहुंचाते हैं। यह बहुत से पापों के लिए एक दयावान प्रतिक्रिया है, जो व्यर्थ रुकावटें दूर कर सकता है और टूटे रिश्तों को रोक सकता है। ऐसा परिपक्व व्यवहार हमें परमेश्वर और दूसरों के साथ बिना रोके संगति का आनंद लेने के लिए मुक्त करता है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
चाहे हम भावनात्मक या शारीरिक घाव से कष्ट झेल रहे हों, मसीही जीवन का आधारशिला तो क्षमा ही है। यीशु मसीह ने हर प्रकार के अनुचित और अन्यायपूर्ण व्यवहार को सहा, यहाँ तक कि अन्याययुक्त मौत भी! फिर भी अपने अंतिम समय में अपने समीप क्रूस पर चढ़ाए गए चोर जो उसे ठट्ठा कर रहा था, और जल्लादों को माफ़ किया।
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