सच्चा प्यार क्या है?नमूना
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आत्म-प्रेम सच्चे प्रेम को बाधित नहीं करना चाहिए
आत्म-प्रेम सच्चे प्रेम को निषेध ही नहीं करता बल्कि नष्ट भी कर देता है.
'अहम्' किस से भरा होता है ? अहम्, भय, अविश्वास, संदेह, परस्पर विरोधी विचार और भावनाएं. अधर्मी स्वार्थी मनोभाव और इच्छाएं, क्रोध, आघात ... गहरी ठेस. बार बार याद आने वाली भावनाएं और यादें, असत्य, सफलता, प्रसिद्धि, स्व-विवर्धन. सच्चे प्रेम की कमी के इन सारे कारणों की एक उभयनिष्ठ जड़ है परमेश्वर और दूसरों के प्रति बहिर्गामी भाव से ध्यान केन्द्रित करने के बजाये स्वयं पर केन्द्रित करना.
तो आपका ध्यान कहाँ है ? आप अपने समय, पैसे, संसाधन, प्रतिभा और स्नेह को कैसे व्यतीत करते हैं ? दिन भर में आपके विचार कहाँ भटकते हैं या कहाँ टिकते हैं ? आपके मुंह से कैसे शब्द निकलते हैं ? दुसरे शब्दों में आपकी किसकी चर्चा करते हैं या किसके बारे में चर्चा करते हैं ? क्या आपका ध्यान स्वयं पर केन्द्रित है ?
यद्दपि हमने अपने जीवन में मसीह की बुनियाद रख ली होगी, फिर भी हम पा सकते हैं की हम उस बुनियाद पर अबतक अपने अहम् की कारीगरी से जर्ज़र और घटिया ईमारत ही बनाते रहे. लेकिन परमेश्वर उन वर्षों को भी छुड़ा सकता है जो टिड्डियों द्वारा चुरा लिए गए और जो शत्रुओं द्वारा बुराई के लिए इस्तेमाल किये जाने थे उन्हें भलाई के लिए इस्तेमाल किया . वह तो हमारे पापमय और स्वार्थी तरीकों को भी अपने प्रेम, अपनी करुणा और अपने अनुग्रह को और भी प्रभावी रूप से प्रकट करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है.
थोडा समय निकाल कर इसपर मनन करें और फिर ये प्रार्थना करें :
"प्रभु, कृपया मेरी मन की आँखें खोल दे की मैं अन्दर झाँक सकूं. क्या इसमें प्यार है ? क्या इसमें ठेस है ? अहंकार ? क्रोध ? स्वार्थ ? क्या है जो मुझे आपके प्यार को जानने और आपके प्यार में जीने से रोक रहा है ? मैं इस सच्चे प्रेम को इस तरीके से जानना चाहता हूँ की मैं अपने होठों से और अपने जीवन से सुसमाचार के सच्चे प्रेम का प्रचार कर सकूं . पौलुस के अनुसार, अगर हमने प्रेम नहीं किया तो हम कुछ भी नहीं हैं. मुझ पर दया करें. यीशु के नाम में, आमीन"
सच को ह्रदय में अपनाना : एक वचन चुनें जिसका आप मनन कर सकें ताकि वो आपके मन को नया और आपके ह्रदय को बदल दे.
अपने अहम् को मारना : आपके द्वारा लिखे वचन से आपके जीवन का कौनसा पाप उजागर हुआ ? पौलुस हमें सीधे बताता है की हमें हमारे पुराने स्वरुप का त्याग करना चाहिए.
सच को जीवन में लाना : अपने नए स्वरुप - मसीह को धारण करें. स्वयं को उस को समर्पित करने और उसके सच को मन और हृदय में अमल में लाने के क्रम में वो अहम बदलाव कौन कौन से हैं जिसको आपको अपनी सोच, अपनी प्रवृति और अपने व्यवहार में लाने की ज़रुरत है ?
आत्म-प्रेम सच्चे प्रेम को निषेध ही नहीं करता बल्कि नष्ट भी कर देता है.
'अहम्' किस से भरा होता है ? अहम्, भय, अविश्वास, संदेह, परस्पर विरोधी विचार और भावनाएं. अधर्मी स्वार्थी मनोभाव और इच्छाएं, क्रोध, आघात ... गहरी ठेस. बार बार याद आने वाली भावनाएं और यादें, असत्य, सफलता, प्रसिद्धि, स्व-विवर्धन. सच्चे प्रेम की कमी के इन सारे कारणों की एक उभयनिष्ठ जड़ है परमेश्वर और दूसरों के प्रति बहिर्गामी भाव से ध्यान केन्द्रित करने के बजाये स्वयं पर केन्द्रित करना.
तो आपका ध्यान कहाँ है ? आप अपने समय, पैसे, संसाधन, प्रतिभा और स्नेह को कैसे व्यतीत करते हैं ? दिन भर में आपके विचार कहाँ भटकते हैं या कहाँ टिकते हैं ? आपके मुंह से कैसे शब्द निकलते हैं ? दुसरे शब्दों में आपकी किसकी चर्चा करते हैं या किसके बारे में चर्चा करते हैं ? क्या आपका ध्यान स्वयं पर केन्द्रित है ?
यद्दपि हमने अपने जीवन में मसीह की बुनियाद रख ली होगी, फिर भी हम पा सकते हैं की हम उस बुनियाद पर अबतक अपने अहम् की कारीगरी से जर्ज़र और घटिया ईमारत ही बनाते रहे. लेकिन परमेश्वर उन वर्षों को भी छुड़ा सकता है जो टिड्डियों द्वारा चुरा लिए गए और जो शत्रुओं द्वारा बुराई के लिए इस्तेमाल किये जाने थे उन्हें भलाई के लिए इस्तेमाल किया . वह तो हमारे पापमय और स्वार्थी तरीकों को भी अपने प्रेम, अपनी करुणा और अपने अनुग्रह को और भी प्रभावी रूप से प्रकट करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है.
थोडा समय निकाल कर इसपर मनन करें और फिर ये प्रार्थना करें :
"प्रभु, कृपया मेरी मन की आँखें खोल दे की मैं अन्दर झाँक सकूं. क्या इसमें प्यार है ? क्या इसमें ठेस है ? अहंकार ? क्रोध ? स्वार्थ ? क्या है जो मुझे आपके प्यार को जानने और आपके प्यार में जीने से रोक रहा है ? मैं इस सच्चे प्रेम को इस तरीके से जानना चाहता हूँ की मैं अपने होठों से और अपने जीवन से सुसमाचार के सच्चे प्रेम का प्रचार कर सकूं . पौलुस के अनुसार, अगर हमने प्रेम नहीं किया तो हम कुछ भी नहीं हैं. मुझ पर दया करें. यीशु के नाम में, आमीन"
सच को ह्रदय में अपनाना : एक वचन चुनें जिसका आप मनन कर सकें ताकि वो आपके मन को नया और आपके ह्रदय को बदल दे.
अपने अहम् को मारना : आपके द्वारा लिखे वचन से आपके जीवन का कौनसा पाप उजागर हुआ ? पौलुस हमें सीधे बताता है की हमें हमारे पुराने स्वरुप का त्याग करना चाहिए.
सच को जीवन में लाना : अपने नए स्वरुप - मसीह को धारण करें. स्वयं को उस को समर्पित करने और उसके सच को मन और हृदय में अमल में लाने के क्रम में वो अहम बदलाव कौन कौन से हैं जिसको आपको अपनी सोच, अपनी प्रवृति और अपने व्यवहार में लाने की ज़रुरत है ?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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सब जानना चाहतें हैं कि वास्तव में प्रेम क्या है। लेकिन बाइबिल प्रेम के विषय में क्या बताती है, कुछ लोग ही इस बात को जानते हैं। प्रेम, बाइबिल के मुख्य विषयों में से एक तथा मसीह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सदगुण है। थीस्लबेण्ड मिनिस्ट्रीज़ की ओर से यह पठन योजना, बाइबिल आधारित प्रेम के मायने तथा परमेश्वर और सब लोगों से कैसे बेहतर तरीके से प्रेम करें, इन बातों की खोज करती है।
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यह योजना हमें उपलब्ध कराने के लिए हम थिसलबेंड मिनिस्ट्री का शुक्रिया अदा करते हैं ! अधिक जानकारी के लिए कृप्या देखे: www.thistlebendministries.org
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