सच्चा प्यार क्या है?नमूना
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प्यार के लिए तरसजाना
चाहें हमे पता हो या न हो लेकिन हम सब का दिल प्यार के लिए तरसता हैं. हम सब को प्रेम करने के लिए ही बनाया गया है. परमेश्वर ही प्यार है. क्या आप परमेश्वर के सच्चे प्यार के लिए तरस रहे हो? तो क्या बदले में आप फिर उन्हें आपके पूरे दिल, आत्मा, मन और बल से प्यार करते हो?
परंतु सच्चा प्यार क्या है? यही शब्द के अनेक मतलब है. हम एक ही सास में कह सकते हैं, "में कॉफी से प्रेम करता हूॅ. में अपने पति या पत्नी से प्रेम करता हूॅ. में यीशु मसीह से प्रेम करता हूॅ." सच्चा प्यार क्या है यह हम कैसे जान सकते है? वह कैसा दिखता है? वह कैसा महसूस होता है? क्या इससे कोई फर्क पड़ता हैं?
सच्चा प्यार सनसनी, अनुभूति, विशेष कार्य और सिद्धांत से भी बढ़कर हैं. सच्चा प्यार दुसरों की ग्वाही की वास्तविक इच्छा हैं. जीने का मकसद और कलिसिया का अस्तित्व ही सच्चा प्यार का उद्देश्य है जो परमेश्वर को आराधना देता है .
कुछ लोग कहेंगे की सेवकाई ही कलिसिया का एकमात्र उद्देश्य हैं: "दुनिया को इसाई धर्म प्रचार करना ही कलिसिया का प्रथम कार्य है. कलिसिया का विशेष कार्य है सेवकाई" (ओस्व्ल्ड ज स्मिथ).
दूसरे लोग बोलेंगे कि उद्देश्य प्रार्थना है, सेवकाई नहीं हैं. अराधना हैं. सेवकाई मौजूद है क्योंकि आराधना मौजूद नहीं हैं. आराधना ही परम स्थान पर है, सेवकाई नहीं, क्योंकि परमेश्वर परम स्थान पर है न कि मनुष्य. जब यह काल का अंत होगा और अनगिनत छुड़ाया अपने मुह के बल परमेश्वर के सिंहासन के पैर पर गिर जाते, फिर कोई सेवकाई नहीं होगी. यह अस्थायी आवश्यकता हैं. परंतु आराधना सदा के लिए है." (जॉन पाइपर).
में सुझाना चाहता हु कि प्यार परम स्थान पर है और सेवकाई और आराधना उस प्यार का परिणाम हैं. परमेश्वर अपने लोंगो को आदेश देते है की वह उनसे पूरे दिल, आत्मा, और बल से प्रेम करे. प्रभु यीशु जी यह फिर से दोहराते है कि सबसे पहली और अधिकतम आज्ञा है कि हमे प्रभु परमेश्वर को हमारे सम्पूर्ण दिल से, सम्पूर्ण आत्मा से, सम्पूर्ण मन से और सम्पूर्ण बल से प्रेम करना हैं. सम्पूर्ण मतलब सम्पूर्ण. बाद में वो हमे कहते है कि सारे लोग यह जानेंगे की हम उनके शिष्य है, हमारा एक दुसरेसे प्यार देखकर. फिर पॉल अपने पत्र में कुरिन्थियो को समझाता है कि आस्था, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है. परमेश्वर, यीशु जी, और पौलुस के मुताबित प्रेम हमारे लिए और इस तरह कलिसिया के लिए एकमात्र उदेश्य लगता है.
चाहें हमे पता हो या न हो लेकिन हम सब का दिल प्यार के लिए तरसता हैं. हम सब को प्रेम करने के लिए ही बनाया गया है. परमेश्वर ही प्यार है. क्या आप परमेश्वर के सच्चे प्यार के लिए तरस रहे हो? तो क्या बदले में आप फिर उन्हें आपके पूरे दिल, आत्मा, मन और बल से प्यार करते हो?
परंतु सच्चा प्यार क्या है? यही शब्द के अनेक मतलब है. हम एक ही सास में कह सकते हैं, "में कॉफी से प्रेम करता हूॅ. में अपने पति या पत्नी से प्रेम करता हूॅ. में यीशु मसीह से प्रेम करता हूॅ." सच्चा प्यार क्या है यह हम कैसे जान सकते है? वह कैसा दिखता है? वह कैसा महसूस होता है? क्या इससे कोई फर्क पड़ता हैं?
सच्चा प्यार सनसनी, अनुभूति, विशेष कार्य और सिद्धांत से भी बढ़कर हैं. सच्चा प्यार दुसरों की ग्वाही की वास्तविक इच्छा हैं. जीने का मकसद और कलिसिया का अस्तित्व ही सच्चा प्यार का उद्देश्य है जो परमेश्वर को आराधना देता है .
कुछ लोग कहेंगे की सेवकाई ही कलिसिया का एकमात्र उद्देश्य हैं: "दुनिया को इसाई धर्म प्रचार करना ही कलिसिया का प्रथम कार्य है. कलिसिया का विशेष कार्य है सेवकाई" (ओस्व्ल्ड ज स्मिथ).
दूसरे लोग बोलेंगे कि उद्देश्य प्रार्थना है, सेवकाई नहीं हैं. अराधना हैं. सेवकाई मौजूद है क्योंकि आराधना मौजूद नहीं हैं. आराधना ही परम स्थान पर है, सेवकाई नहीं, क्योंकि परमेश्वर परम स्थान पर है न कि मनुष्य. जब यह काल का अंत होगा और अनगिनत छुड़ाया अपने मुह के बल परमेश्वर के सिंहासन के पैर पर गिर जाते, फिर कोई सेवकाई नहीं होगी. यह अस्थायी आवश्यकता हैं. परंतु आराधना सदा के लिए है." (जॉन पाइपर).
में सुझाना चाहता हु कि प्यार परम स्थान पर है और सेवकाई और आराधना उस प्यार का परिणाम हैं. परमेश्वर अपने लोंगो को आदेश देते है की वह उनसे पूरे दिल, आत्मा, और बल से प्रेम करे. प्रभु यीशु जी यह फिर से दोहराते है कि सबसे पहली और अधिकतम आज्ञा है कि हमे प्रभु परमेश्वर को हमारे सम्पूर्ण दिल से, सम्पूर्ण आत्मा से, सम्पूर्ण मन से और सम्पूर्ण बल से प्रेम करना हैं. सम्पूर्ण मतलब सम्पूर्ण. बाद में वो हमे कहते है कि सारे लोग यह जानेंगे की हम उनके शिष्य है, हमारा एक दुसरेसे प्यार देखकर. फिर पॉल अपने पत्र में कुरिन्थियो को समझाता है कि आस्था, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है. परमेश्वर, यीशु जी, और पौलुस के मुताबित प्रेम हमारे लिए और इस तरह कलिसिया के लिए एकमात्र उदेश्य लगता है.
इस योजना के बारें में
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सब जानना चाहतें हैं कि वास्तव में प्रेम क्या है। लेकिन बाइबिल प्रेम के विषय में क्या बताती है, कुछ लोग ही इस बात को जानते हैं। प्रेम, बाइबिल के मुख्य विषयों में से एक तथा मसीह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सदगुण है। थीस्लबेण्ड मिनिस्ट्रीज़ की ओर से यह पठन योजना, बाइबिल आधारित प्रेम के मायने तथा परमेश्वर और सब लोगों से कैसे बेहतर तरीके से प्रेम करें, इन बातों की खोज करती है।
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यह योजना हमें उपलब्ध कराने के लिए हम थिसलबेंड मिनिस्ट्री का शुक्रिया अदा करते हैं ! अधिक जानकारी के लिए कृप्या देखे: www.thistlebendministries.org
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