पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)नमूना

पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)

दिन 4 का 7

 शिष्य डर गये थे जब उन्होंने पहली बार एक दम रात को यीशु उनकी लहरों से उड़ाने वाली नाव की ओर चलते देखा। “हिम्मत बांधो यह मैं हूँ! मत डरो,” उसका जवाब था। पतरस का अभी भी यकीन नहीं था, लेकिन वह हिम्मत बाँधने की कोशिश की। जब उन्होंने यीशु यह कहते हुए सुना “आओ” वह हिम्मत बाँधकर नाव से निकल गया। कदम-से-कदम यीशु की तरफ वह पानी पर चला। अचानक वह इन डरावने वाली परिस्थितियों के वश में आ गया। एक बार फिर वह डर रहा था। वह डूबने लगा।

डरने के कारण पतरस डूबने गया। डर हमारे भी डूबने का कारण बनता है। जब हम डरते-डरते डूब जाते हैं, तो हम निष्फल हो जाते हैं। मत्ती के 25:14-30 में यीशु ने दो अच्छे और भरोसेमंद सेवकों की कहानी को बताया और फिर एक तीसरा नौकर जो डर में डूब गया। वास्तव में, वह अपने मालिक का सोना जमीन में गाढ़ा। अपने नाराज़ मालिक के लिए उनका बहाना: “तो मैं डर गया था और बाहर चला गया और आपके सोने को जमीन में छिपा दिया।” उसके मालिक ने उसे दुष्ट कहा।

डरने से सावधान रहना। इस हफ़्ते मुझे किसी दक्षिण एशियाई सहकर्मी से एक पत्र मिला जो मध्य एशिया में सेवा करता है। उसने लिखा, “पिछले कुछ सालों में, मैंने सीखा है कि तालिबान, अल कायदा और इस्लामी सरकार हमारे दुश्मन नहीं हैं, लेकिन हम खुद हैं हमारे अपने दुश्मन। हमारा डर और चिंता हमें लकवा मारता है और हमें परमेश्वर की इच्छा करने से रोकता है।” डर लकवा मारता है।

डर हमारे डूबने का कारण बनता है, लेकिन विश्वास हमेशा हमें उठाता है। जब पतरस डूबने लगा, तो उसने पुकारा, “हे प्रभु, मुझे बचाओ!” यीशु ने तुरन्त अपना हाथ बढ़ाकर उसके हाथ पकड़ लिया। साथ-ही-साथ, यीशु और पतरस हाथ-में-हाथ नाव पर चले गए।

ऐसा लगता है कि मैंने हमेशा इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि पतरस डूबने लगा – वह डर के वश में आ गया और विफल हो गया। लेकिन कहानी का अंत ये नहीं है। आखिर में, उसने डर से फिरकर यीशु को पुकारा। पतरस जीता, डर हार गया! शाबाश अच्छा और वफ़ादार पतरस!

“आओ” यीशु हमसे कहता है, “मेरे साथ असंभव में चलो।” न-पहुंचे लोगों के बीच शिष्यों को बनाने में चुनौतियों के बावजूद, प्रभु यीशु के साथ चलने के लिए हम अपने घरों, अपने परिवारों और संस्कृतियों से बाहर निकल गए हैं। जब वह समय आएगा, और वह तो ज़रूर आएगा, जब आसपास की परिस्थितियों के कारण डरेंगे, तब यीशु के शब्दों की याद रखें, “हिम्मत बांधो यह मैं हूँ! डरो मत।” डर आप को नीचे खींचना न होने दें। यीशु पर विश्वास करना आपको उठाना होने दें। उनका फैला हुआ हाथ पकड़कर उसके साथ चलते रहें। 

विचार करने के लिए सवाल

1. अपने सत्संग स्थापना की सेवकाई में आप क्या-क्या “असंभव बातें” देख रहे हैं जो कि पतरस को पानी पर चलने की कोशिश के समान हैं? 

2. पिछली बार जब आप को डर का सामना करना पड़ा था, लेकिन फिर यीशु को पुकारा, वह कब था? उसकी नतीजा क्या थी?

शिष्य को बनाने वाले की प्रार्थना:

हे प्रभु यीशु मैं हमेशा अपनी आखें आप पर लगाना चाहता हूँ और मेरे हाथ आप के हाथ में बने रहे। जब परिस्थितियाँ निराशाजनक और डरावनी बन जाएंगी मेरे विश्वास को बढ़ाकर मुझे उठा लीजिये। डर के कारण लकवा जो होता है उसके प्रभाव से मुझे मुक्त कर दीजिये। मैं आप के साथ एक महान फलदार फ़सल में चलूँगा। 

पवित्र शास्त्र

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इस योजना के बारें में

पर्वतों को हटाने का विश्वास: न-पहुंचे लोगों के बीच में आन्दोलन के लिए अपने विश्वास को उतेजित करना (Hindi Edition)

यह 7 दिन का मार्गदर्शक योजना हमें विश्वास के बारे में सिखाती है कि, हम कैसे विश्वास में आगे बढ़ सकते हैं, परमेश्वर के राज्य की सेवकाई के लिए। क्या आप चाहते है कि आप के अन्दर जन समूह आंदोलन को देखने का विश्वास हो? तो ज़रूर इस पुस्तक को आज ही पढ़े और अपने विश्वास को आगे बढ़ाए।

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए YWAM फ्रंटियर मिशनों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://www.dmmsfrontiermissions.com/contact-dmmsfrontiermissions/