जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Mananनमूना
दिन 9 अलगाव
वचन 5 “...मेरे बिना तुम कुछ भी नहीं कर सकते”
ये शब्द ज़बरदस्त लगते हैं। “कुछ भी नहीं” से उसका क्या मतलब है? आओ इस वाक्य को थोड़ा थोड़ा करके देखें।
“तुम कर सकते हो” का यूनानी शब्द है “दिनस्ते” जिसका मतलब है सामर्थी होना या कोई योग्यता या सामर्थ का होना।
“कर” के लिए यूनानी शब्द है “पायेन” यानी बनाना, उत्पादन करना, निर्माण करना, कदम उठाना, या वजह होना।
“कुछ नहीं” के लिए यूनानी शब्द है “ओदेन” जिसका मतलब है कोई नहीं, कुछ नहीं।
इसलिए, उस वाक्य का अनुवाद होगा, मैं यीशु के बिना कुछ भी करने में असमर्थ हूँ। मैं वो फल लाने में अयोग्य हूँ जो यीशु जैसा दिखाई दे, अगर मैं उससे जुड़ा हुआ नहीं हूँ। मुझमे उसका डीएनए नहीं हो सकता अगर मैं उससे जुड़ा हुआ नहीं हूँ, इसीलिए उसकी समानता का फल नहीं ला सकता। मेरे जीवन में दूसरे फल हो सकते हैं पर यीशु का फल नहीं।
अलग होने का मतलब हो सकता है दाखलता से कट जाना। यह तुलना दोहरी है, व्यक्तिगत और सामूहिक। यह ना सिर्फ आपके यीशु के साथ रिश्ते पर असर डालती है पर एक दूसरे के साथ भी। हम सभी एक शरीर के भाग हैं जिसमें कई भाग एक दूसरे से और सिर से जुड़े हैं। हम इस विषय पर बाद में और देखेंगे।
यह बने रहना चौबीसों घंटे हैं। हमें उसमें जुड़ते और उससे अलग होते नहीं रहना चाहिए। हमें सिर्फ रविवार सुबह और हर सुबह 15 मिनट के लिए मसीह में नहीं बने रहना हैं। हम यीशु में बने रहते हैं अपने काम पर, घर पर, स्कूल में इत्यादि।
हमें राज्य के नज़रिए से जीना चाहिए ताकि मसीह में बने रह सकें। इसे बार-बार और जानबूझकर करना है। यीशु लगातार अपने पिता की संगति में रहा। उसने अपने पिता से अलग होकर कुछ भी नहीं किया। वह हमसे उसी तरह उस में बने रहने के लिए कहता है और कहता है कि उससे अलग होकर हम कुछ नहीं कर सकते! प्रेरितों 17:28 में हमें याद दिलाया गया है कि हम उसी में रहते और उसी में हमारे गति और अस्तित्व हैं!
यह परमेश्वर के प्रति सचेत रहना है। वही हमारा मापदंड बन जाता है हमारे हर काम में।
ये जीने का एक बढ़िया और सुरक्षित तरीका है। जब मैं उसकी उपस्थिति से जीती और उसकी उपस्थिति से कदम उठाती हूँ, तो उसके गुण मुझमे झलकने लगते हैं। मुझे एक नई सृष्टि बना दिया गया है जिसमे अब उसका स्वभाव प्रकट करने की योग्यता है। मुझे ईश्वरीय विचार आएंगे, मसीह जैसी विचार प्रणाली जो खुद से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचना है।
मनन करें और खुद से पूछें | यीशु के साथ अपने रिश्ते पर विचार करें। वह संबंध का है या फिर लेन-देन का?
क्या मैं काम पर या जब मैं अपने दोस्तों के साथ होता हूँ, यीशु को अपने साथ ले जाता हूँ?
वचन उल्लेख
यूहन्ना 15:5
भजन 84
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
कुछ समय से परमेश्वर मुझे दोबारा यूहन्ना 15 के पास ले आ रहा है। इन हालातों में यह मेरे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए ज्योति बन गया है। मैं आपको आमंत्रित करती हूं इन वचनों के कुछ मुख्य विषयों पर मनन करने; जानने, बढ़ने, और प्रेम करने के लिए। English Title: Know, Grow, Show - Reflections on John 15 by Navaz DCruz
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/