जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Mananनमूना
दिन 18: निष्कर्ष
इन वचनों से मुझे यह पता चलता है कि यह मेरे यीशु के साथ और अन्य डालियों - मेरे संगी मसीही अनुयाई - के साथ संबंध के बारे में है।
यह कुछ नियमों और विधियों का पालन करने के बारे में नहीं है। जैसा मैंने पहले कहा फरीसी इसे भली-भांति करते थे। लेकिन, वह अंतिम सौंफ और जीरे तक ठंडा और नापा-तुला होता। प्यार को वे कभी समझ नहीं पाए। उन्हें धार्मिक विधियां समझ आई नाकि एक संबंध, जो सदा परमेश्वर के मन में था; कि हम गहराई से उसे चाहेंगे। इसीलिए, उन्होंने यीशु को गलत समझा। वे कभी उसकी दया को नहीं समझ पाए जिसने एक अपंग को चंगा करने के लिए सब्त को तोड़ा।
धर्म कितने आसानी से संबंध को हटाकर उसकी जगह ले लेगा कि हमें अपने दिलों में इस बदलाव का पता भी नहीं चलेगा। हमें पवित्र आत्मा की जरूरत है इसे जांचते रहने के और जुड़े रहने के लिए।
40 साल से ज्यादा समय से यीशु के साथ चलते हुए, मुझे और भी एहसास होने लगा है कि मैं चाहती हूं कि मेरे जीवन का बाकी हिस्सा महत्वपूर्ण हो। मैं एक असर डालना, प्यार की विरासत छोड़ना, और मेरे आस-पास संस्कृति को बदलना चाहती हूं जो अधिक से अधिक इस धरती पर उसके राज्य को प्रकट करें जैसे वह स्वर्ग में है।
यह सब संभव है लंबे असर के साथ जब मैं कदम उठाती हूं यीशु को करीब से जानने के स्थान से और जैसे आयत 17 में यीशु फिर से जोर डालता है “एक दूसरे से प्रेम करो”।
और अंत में, मैं और भी ज्यादा समझ गई हूं कि दाखलता से जुड़े रहने का वास्ता “आत्मिक अनुशासन” से नहीं (हालांकि उसकी अपनी अहमियत है) पर यीशु के और एक दूसरे के साथ मेरे संबंध से है।
जैसे पौलुस बहुत बढ़िया तरीके से बताते हैं
1 कुरिन्थ 13:1-7 (मेसेज अनुवाद)
प्रेम का मार्ग
13अगर मैं मनुष्यों की उत्तम ज़बान और स्वर्दूतों के उत्साह में बोलूं पर मेरे अन्दर प्यार न हो, तो मैं एक ज़ंग लगे गेट की चरमराहट से ज्यादा कुछ नहीं।
अगर मैं परमेश्वर के वचन को सामर्थ्य के साथ बोलूं, उसके सारे रहस्य को खोलते हुए और सबकुछ स्पष्ट करते हुए, और अगर मेरे पास ऐसा विश्वास है जो पहाड़ से कहे, “कूद जा,” और वह कूद पड़े, पर अगर मुझमे प्यार न हो, तो मैं कुछ भी नहीं।
अगर मैं अपना सबकुछ गरीबों को दे दूँ और जलकर शहीद होने के लिए चला जाऊं, पर अगर मुझमे प्यार न हो, तो मैं कहीं भी नहीं पहुंचा। तो चाहे मैं जो भी कहूँ, जो भी विश्वास करूँ और जो भी करूँ, मैं प्रेम के बिना कंगाल हूँ।
मनन करें और खुद से पूछें |
इस भक्ति-अध्ययन ने आप पर क्या असर किया है?
यूहन्ना 15 में इस अध्ययन के बाद आप क्या बदलेंगे?
लिखें ले कि आप क्या अलग तरह से करेंगे।
आप हर रोज़ परमेश्वर की उपस्थिति में कैसे बने रहेंगे और लोगों के लिए आपका प्यार पिता को महिमा कैसे लाएगा?
इस अध्ययन को पूरा करने के लिए शाबाश। मैं प्रार्थना करती हूँ की यीशु के साथ आपका रिश्ता गहराई से बदल जाएगा और आने वाले दिनों में आप बहुत फल लाओगे।
वचन उल्लेख
यूहन्ना 15:17, 1 कुरिन्थ 13
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
कुछ समय से परमेश्वर मुझे दोबारा यूहन्ना 15 के पास ले आ रहा है। इन हालातों में यह मेरे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए ज्योति बन गया है। मैं आपको आमंत्रित करती हूं इन वचनों के कुछ मुख्य विषयों पर मनन करने; जानने, बढ़ने, और प्रेम करने के लिए। English Title: Know, Grow, Show - Reflections on John 15 by Navaz DCruz
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/