जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Mananनमूना

जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Manan

दिन 17 का 18

 

  दिन 17:  प्यार के लिए कैंसर

हमें प्यार करने से क्या रोकता है?

अलगाव 

हमें जुड़े रहना है। हम ऐसी डाली नहीं हो सकते जो जुड़ी हुई नहीं है। यीशु ने जानबूझकर डालियों और दाखलता को जोड़ा है। आप नहीं जानते कौनसी डाली दाखलता से रस लेकर आप तक पहुंचा रही है। 

परमेश्वर अपनी परम प्रधानता में आपको कलीसिया में लोगों के पास रखता है। हमें सीखना है उनके साथ रिश्ता रखना और गहराई से प्यार करना। लोगों को परवाह नहीं कि आप कितना जानते हैं जब तक वह जान लें कि आपको कितनी परवाह है। 

निराशा/झूठी उम्मीदें 

हम सभी “तिनके का नाप” लेकर चलते हैं। हम बहुत अच्छी तरह से अपने पड़ोसी के आंख का तिनका गिनते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि हमारी आंख में एक पूरा पेड़ उग रहा है। यह हमारे लोगों की धारणा और दर्शन को धुंधला कर देता है। हमें आलोचनात्मक और उंगली उठाने वाले भाव को त्यागना होगा। 

मसीही सबसे ज्यादा उंगली उठाने वाले लोग हो सकते हैं क्योंकि हमारे पास ज्ञान हैं और हम सोचते हैं हमें पता है और यही बात हमें अंधा बना देती है और हम सोचते हैं कि हम ज्ञान का उपयोग भी कर रहे हैं। 

यीशु फरीसियों के साथ इतना कठोर क्यों था? वे बहुत आज्ञाकारी थे - पर वह बिना प्यार और अनुग्रह के था। 

हमें खुद को अपने जीवन पर परमेश्वर के अनुग्रह की याद दिलानी चाहिए। वह हमसे कभी वैसा बर्ताव नहीं करता जिसके लायक हमारे पाप हैं। फिर भी हम न्याय पाना चाहते हैं जब हमारे विरुद्ध पाप किया जाता है। 

हमें हमारी कमियों, हमारी कमजोरियों और खुद को सही तरीके से आंकना चाहिए और दूसरों की ओर अनुग्रह बढ़ाना चाहिए। 

माफ ना करना/अपमान

यह कभी अपने से हम पर असर नहीं करता। धीमा जहर बहुत जल्द उस सब पर असर करेगा जिसे हम छूते हैं। हम सभी के प्रति कटु, निंदक और भरोसा करने वाले हो जाएंगे। 

यह एक चश्मा बन जाता है जिससे हम जीवन की हर बात को देखते हैं। यह गलत चश्मा है। हम स्थितियों और लोगों के बारे में गलत निचोड़ निकालने लगेंगे और ज्यादा दर्द ही लाएंगे। 

जब बात माफ करने की हो तो हमारे पास कोई चारा नहीं है। हमें मुक्त करना ही होगा ताकि हम आजाद हो सके। अपने आप पर मेहरबानी करें और आज ही माफ करें। माफ ना करना आपको परमेश्वर के प्यार का अनुभव करने से भी रोक सकता है। मैं यह कैसे जानती हूं? मैं भी इसमें रही हूँ, जहाँ हर उभरने वाला विचार उस चोट की याद दिलाता। मुझे समर्पण करना और अक्षमाशीलता को पकड़े रहने से पश्चाताप करना सीखना पड़ा। 

हमें माफी मांगने के लिए कहा गया है जिस तरह हम भी दूसरों के पाप माफ करते हैं। 

लूका 11:4 हमारे अपराध क्षमा कर, क्योंकि हमने भी अपने अपराधी को क्षमा किये, और हमें कठिन परीक्षा में मत पड़ने दे।

मत्ती 6:15  किन्तु यदि तुम लोगों को क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा परम-पिता भी तुम्हारे पापों के लिए क्षमा नहीं देगा।

यह गंभीर है मेरे दोस्त। 

घमंड और खुदगर्जी 

वो चेले सामर्थ, तरक्की और शोहरत के लिए लड़ रहे थे। याद रखें कि यूहन्ना 15 यीशु के पकड़वाए जाने से कुछ घंटे पहले ही हो रहा है। वह जानता था क्या होने वाला है और यह कि उनकी आस्था के नए अध्याय में उन्हें एक दूसरे की जरूरत होगी। वे एक दूसरे के साथ मुकाबले में और ना ही परस्पर तुलना में रह सकते थे। 

वह चाहता था कि वे जानें की उसके साथ जुड़े रहने की अहमियत क्या है। उस परम संपर्क से ही उन्हें उनकी पहचान मिलेगी और नाकि एक दूसरे से या एक दूसरे के संबंध में, नाही उनके कुछ करने से या उनके कुछ ना करने से। 

आप यीशु की आवाज में तुरंतत़ा का अंदाजा लगा सकते हैं जैसे वह इस सत्य को समझाने की कोशिश कर रहा है चेलों के उस विचलित समूह को। 

उन्हें एक दूसरे के साथ संबंध रखना सीखना पड़ा। हमारे मामले में भी ऐसा ही है। 

अक्सर मैंने इस बात से चुनौती पाया हुआ महसूस करती हूँ। यीशु की तरह प्यार करना जो कि पूरा 1 कुरिन्थियों 13 है। मुझे चुनौती मिलती है कभी कभी धीरज रखने की, कभी-कभी किसी की कमजोरी को अनदेखा करने की, कभी-कभी किसी को दया दिखाने की इत्यादि। 

मनन करें और खुद से पूछें |

क्या आपको माफ़ करना मुश्किल लगा है? याद करें कि आपको कितना माफ़ किया गया है और उन लोगों के लिए आशीषों की प्रार्थना करने की शुरुआत करें जिन्होंने आपको चोट पहुंचाई है

वचन उल्लेख यूहन्ना 15:9, यूहन्ना 15:17, लूका 11:4, मत्ती 6:15 

दिन 16दिन 18

इस योजना के बारें में

जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par Manan

कुछ समय से परमेश्वर मुझे दोबारा यूहन्ना 15 के पास ले आ रहा है। इन हालातों में यह मेरे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए ज्योति बन गया है। मैं आपको आमंत्रित करती हूं इन वचनों के कुछ मुख्य विषयों पर मनन करने; जानने, बढ़ने, और प्रेम करने के लिए। English Title: Know, Grow, Show - Reflections on John 15 by Navaz DCruz

More

हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वर्ड ऑफ ग्रेस चर्च को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://somequietthoughts.blogspot.com/