गलत सोच से हटते हुए उपवास करनानमूना
दिन 40
“मैं सीदमत हूँ।”
आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “्ैं सीड्त हूँ।”
हो सकता है आपने अपने अतीत, अपने पालन पोषण, या अपनी पीड़ा से सवयं को सीदमत महसूस दकया हो। हम सभी के पास ऐसा कु छ है जो हमें सीदमत करता है।
आइए आज हम इसे बिल
1. परमे मेश्वर सक्षम है! (इफ़िसि यों 3:20) वह आपकी सोच से बढ़कर और मांगने से अधिक करेगा। वह सीमि त नहीं है, और इसलि ए आप भी सीमि त नहीं हैं क्य ोंकि आप उसकी छवि में बने हैं।
2. यि प्तह से मि लें! उसके अतीत ने उसे बताया कि वह एक वेश्या का बेटा था। परन्तु ्तु परमेश्वर ने उसे बताया कि वह एक सामर्थी योद्धा था! हम में से प्रत्ये ्येक के पास परस्प र वि रोधी आवाजें हैं जो हमें यह बताती हैं कि हम कौन हैं। आपको स्व यं का वह संस्क रण चुनना होगा जो परमेश्वर ने बनाया है, न कि वह जो लोगों ने बनाया है। जो परमेश्वर आपके बारे में कहता है, वह पक्ष लें।
3. कमरे को छोड़ दें। विश्वा स के पि ता, अब्रा हम और उसकी पत्नी सारा ने सन्ता न प्रा प्त करने में स्व यं को असमर्थ और सीमि त महसूस कि या। इसलि ए परमेश्वर ने अब्रा हम को घर से नि काला और उसे ऊपर देखने और सि तारों की गि नती करने को कहा। जब भी आप सीमि त महसूस करें, बाहर घूमें और ऊपर देखें। परमेश्वर की ओर देखें।
4. जब आप ऊपर देखते हैं तो आप केवल सि तारों को देख सकते हैं! ऊपर के तीसरा चरण दोहराएँ! छत को देखना बन्द करें और सि तारों को देखना आरम्भ करें।
5. अपनी नई आत्मा के साथ सम्पर्क ्पर्क में रहें। आपकी आत्मा आपकी ऊर्ध्वाध र्ध्वाध र्ध्वाधर्ध्वाध र अर्था ्थात् ऊपरी खि ड़की है, जो आपको ऊपर देखने की और परमेश्वर के दृष् टिकोण से देखने की क्ष मता देती है। आपका शरीर आपकी क्षैति क्षैति ज अर्था ्थात् समानांतर खि ड़की है, दजससे आप के वल अपनी पररदसरदतयों को िेख सकते हैं या अपनी दपछली सीमाओ को िेख सकते हैं। अपनी ऊधवा्तिर दखड़की खोलें और परमेश्वर की ओर िेखें और यह अपेषिा करें दक वह आपकी सोच और माँग से परे कु छ भी कर सकता है!
6. अपनी सबसे असीमि त अपेक्षाेक्षा ओं और स्व प्न ों को जीने का आरम्भ कुछ असीमि त अपेक्षाेक्षा ओं और स्व प्न ों के साथ होता है! बड़ा सोचें। बड़ा ड़ा मांगें। बड़ी अपेक्षा करें! वह आपके उच्च तम वि चारों और स्व प्न ों से भी बढ़कर करेगा!
7. परमे मेश्वर को सीमि त न करें। भजन 78:41 कहता है: “उन्ह ोंने इस्रा एल के पवित्र को सीमि त कर दिया।” जब हम छोटा सोचते हैं, छोटे स्व प्न देखते हैं, और छोटी माँग करते हैं तब हम परमेश्वर को सीमि त करते हैं। याबेस ने प्रा र्थना की: और मे मेरा देश बढ़ाता (1 इति हास 4: 9-10)। यही हम भी आज माँगे।
इसे सोचें और इसे कहें
आज परमेश्वर मेरे बारे में जो कुछ कहता है, मैं उससे सहमत हूँ। मैं एक सामर्थी योद्धा हूँ। मुझे मेरे अतीत से परिभाषि त या सीमि त नहीं कि या जाएगा। मैं अपनी विफ लता, गलति यों, या दूसरों द्वा रा मुझ पर लगाई गई सीमाओं से सीमि त होने से इन्का र करता हूँ।
मैं उस कमरे को छोड़ता हूँ जहाँ छत है, और मैं ऊपर की ओर देखता हूँ। मैं परमेश्वर से अपेक्षा करते हुए उसकी ओर देखता हूँ कि मैं अपनी सर्वो च्च आशाओं, वि चारों, इच्छा ओं और स्व प्न ों से अधिक पूरा करूँ रूँ !
आज मैं परमेश्वर से मुझे आशीष देने और मेरे क्षेत्र क्षेत्र को बढ़ा ने के लि ए कहता हूँ; मैंने उसे सीमि त करने से इन्का र कर दिया है, और इसलि ए मैं यीशु के नाम के द्वा रा यह सब करूँ रूँ गा!
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पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
यह भोजन से "तेज" नहीं है, यह 40 नकारात्मक विचारों से उपवास है जो आपको संकट, चिंता, उदासी, दर्द, अवसाद और चोट पहुंचा रहे हैं - और वे विचार जो आपको मार रहे हैं - और आपको वास्तविक अनुभव करने से रोक रखा है यीशु। हजारों लोगों ने गलत सोच से उपवास का अनुभव किया है। यह आपके जीवन को बदल देगा।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए ग्रेगरी डिको मंत्रालयों को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://gregorydickow.com