मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 98 का 100

बहुत कठिन?

प्रिय परमेश्वर मेरे लिये तू सब कुछ आसान और साधारण बना दे। मै संघर्ष करना नहीं चाहती और बिना प्रयास के तात्कलिक विजय चाहती हूँ। मुझे अपने रास्ते पर जाने दे, जब कि मैं अपने सुरक्षा के लिये तुझे सब कुछ करने देती हूँ।

मैंने कभी किसी को ऐसी शब्दों में प्रार्थना करते हुए नहीं सुना, परन्तु मैंने लोगो को ऐसी प्रार्थना करते हुए सुना है जब लोग जीवन में आसान समय की माँग करते हैं। बहुत से लोग बिना युद्ध के विजय चाहते हैं और बिना प्रयास के जीत चाहते हैं, और मेहनत करने से जी चुराते हैं। परमेश्वर का संसार इस प्रकार से काम नहीं करता है।

यह बहुत कठिन है। न मालूम मैंने कितनी ही बार लोगों को ऐसी बात करते हुए सुना है। नहीं मालूम जॉयस मेयर ने कितनी ही बार ऐसी बात किया है। और मैंने किया भी है। एक ऐसा समय भी था जब मैंने प्रभु के अनुकरण करने के प्रति दृढ़ निश्चय किया था। परन्तु मेरे हृदय में (अपने मुहं में) यह शब्द थे, ‘‘यह बहुत ही कठिन है।''

परमेश्वर ने मुझे नकारात्मक सोच के प्रति कायल किया। उसने मुझे सिखाया कि यदि मैं लगातार कठिनाइयों को देखना बन्द करती, और आज्ञापालन करती हूँ तो वह मेरे लिये रास्ता निकालेगा। पिछला पद हमें बताता है कि परमेश्वर हमें आशीष देना चाहता है और हमारे हाथों के कामों को समृद्ध करना चाहता है। परन्तु हमें उसकी आज्ञाओं का पालन करना है। और पद 11 में वह निश्चय दिलाता है कि हम यह कर सकते हैं। क्योंकि यह आज्ञा इस दिन मैं तुम्हें देता हूँ, यह बहुत कठिन नहीं है, न ही यह तुम से दूर है।

क्योंकि हम ने बहुत समय नकारात्मक विचारों को सोचने में और घटनेवाली बुरी बातों की कल्पना करने में बिताया है इसलिये बहुधा हम उसकी प्रतिज्ञा को भुल जाते हैं कि उसकी इच्छा हमारे लिये कठिन नहीं है। यदि आप प्रगट कठिनाइयों को परमेश्वर की आशीष के रूप में सोचते हैं, तो यह हमारी सहायता करती हैं।

उदाहरण के रूप में यूसुफ से प्रोत्साहन लीजिये। मिस्र में वषोर्ं गुजारने के बाद और कनान में रहनेवाले अपने परिवार की जिन्दगी बचाने के बाद उसके भाई उस से भयभीत थे। वे उस से घृणा करते थे, और उसको मारने का षढ़यंत्र किया था और उसे गुलामी में बेच दिया था। उनके पिता के मृत्यु के बाद वे अपेक्षा करते थे कि यूसुफ उन्हें दण्ड देगा। वह ऐसा कर सकता था, और अपने जीवन की कठिनाईयों के लिये रो सकता था — और उसका जीवन आसान नहीं था। न केवल अपने भाइयों के द्वारा गुलाम होने के लिये बेच डाला गया और गलत रीति से कारागृह में डाला गया और यदि परमेश्वर उसके साथ न होता तो वह कब का मर गया होता।

‘‘जीवन बहुत कठिन है'', यह कहने के बजाय यूसुफ ने कहा, ‘‘यद्यपि तुम लोगो ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगो के प्राण बचे हैं।'' (उत्पत्ति 50:20)। वह समझ गया था कि परमेश्वर किस प्रकार मानव जीवन मे काम करता है।

यूसुफ ने कठिनाइयों को नहीं देखा, उसने अवसरों को देखा। उसने शत्रु की फुसफुसाहट की तरफ कान नहीं लगाया। वह अपने परमेश्वर के उत्साहित करनेवाले शब्दों को सुना। किसी भी स्थान पर हम उसे शिकायत करते हुए नहीं पाते हैं। उसने उन सारी बाते स्वयं पर परमेश्वर के हाथ के रूप में देखा जो उसके जीवन में हुआ था।

मैंने प्रेम में हाथ शब्द का इस्तेमाल किया यद्यपि यह हमेशा ऐसा नहीं दिखता था। और यहीं पर शैतान हमें कभी कभी पकड़ता है और कहता है, ‘‘यदि परमेश्वर तुम्हें सचमूच प्यार करता, तो तुम ऐसी दुर्दशा में क्यों हो?''

बहुत श्रेष्ठ उत्तर जो मैं दे सकती हूँ वह महान प्रेरित पौलुस के शब्दों को दोहराना है। ‘‘केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।'' (रोमियों 5:3—5)।

परमेश्वर कभी भी एक आसान जीवन की प्रतिज्ञा नहीं करता है परन्तु वह एक आशीषमय जीवन की प्रतिज्ञा करता है।

प्रेम और सहानुभुति के परमेश्वर, जीवन की कठिनाईयों के प्रति मेरे शिकायत को क्षमा करें। बातें आसान होने की मेरी इच्छा को क्षमा करें। आप जहाँ कहीं मुझे ले जाना चाहते हैं, वहाँ के लिये मुझे अगुवाई दें। और यीशु के नाम से मैं प्रार्थना करती हूँ कि हर प्रकार से आनन्दित होने के लिये मेरी सहायता करें — चाहे समस्याओं के बीच में ही होऊ क्योंकि उन्हें सुलझाने के लिये आप मेरे साथ हैं। आमीन।।


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इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/