मन की युद्धभूमिनमूना
समय सब कुछ है
समय सच मे सब कुछ है। 1984 में, मैंने जॉयस मेयर मिनिस्ट्रीज प्रारम्भ की। मैंने विश्वासयोग्यता से परिश्रम किया और विश्वास किया कि, मैंने वह किया जो मैं विश्वास करती थी कि परमेश्वर मुझसे करवाना चाहता है। मेरी यह भावना थी कि परमेश्वर मुझ से बहुत बड़े काम करवाना चाहता है। परन्तु नौ वषोर्ं तक ऐसी कोई बड़ी गतिविधि नहीं दिख रही थी।
1993 में मुझे और देव को अवसर मिला कि जॉयस मेयर मिनिस्ट्रीज को हम टेलिविश्न् पर दिखाएँ। यह उत्तेजनापूर्ण था, परन्तु यह डरावना भी था। यदि मैं अपने पुराने सोच के मार्ग में होती — नकारात्मक विचार जो मेरे मन में कभी भरे रहते थे — तो मैं कभी भी आगे नहीं बढ़ पाती। मैंने महसूस किया, परमेश्वर के साथ यह अभी नहीं तो कभी नहीं वाला समय है।
जब मैं और देव ने प्रार्थना किया तो परमेश्वर ने मुझ से कहा कि मेरे लिये द्वारा खोलनेवाला वही है। यदि तुम अभी अवसर नहीं लेती हो तो यह अवसर कभी तुम्हारे सामने से नहीं आएगा। ठीक उसी दिन मैंने और देव ने हाँ कहा। क्या बाधाएँ खतम हो गई? नहीं, वास्तव में हाँ कहने के बाद हमने समझा कि वास्तव में हमने कितना बड़ा उत्तरदायित्व लिया था। बहुत दिनों तक हर प्रकार की समस्या मेरे मन पर आक्रमण करती रही। मानो मुझ पर व्यंग करते हुए कहते हों, तुम मुँह के बल गिरनेवाली हो।
मैंने उन आवाजों पर कान नहीं दिया — चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न रहें हों। मैं परमेश्वर की इच्छा को जानती थी। मैं वह करने को जा रही थी जो प्रभु ने मुझ से करने के लिये कहा था — परिणाम चाहे कुछ भी हो।
दो कारणों से मैं यह कहानी आप के साथ बांटती हूँ। पहला, सभोपदेशक के लेखके ने इसी बात को एक भिन्न तरीके से कहा है। उसने लिखा कि यदि हम सिद्ध समय के लिये ठहरते हैं, तब हम कभी कुछ नहीं कर पाएँगे। परमेश्वर के आज्ञा न मानने के लिये हम अक्सर कारण प्राप्त कर सकते हैं।
वास्तव में जब हम कभी कभी परमेश्वर को हाँ कहते हैं, तो शत्रु हमारे मन को बदलने के लिये शक्ति का इस्तेमाल करता है, और हमारे मन में सन्देह और भ्रम डालता हैं, और हमें आश्चर्य में डालता है। क्या परमेश्वर ने सच में मुझे बुलाया ?
दूसरा कारण में समय शामिल है। जब परमेश्वर कहता है अभी तो परमेश्वर का तात्पर्य ठीक वही होता है। पुराने नियम में एक शक्तिशाली कहानी है जो इसका वर्णन करता है। मूसा ने कनान में बारह भेदियों को भेजा। दस भेदियों केवल बाधाओं को देखे, और लोग वहाँ जाने के लिये तैयार नहीं थे। परमेश्वर क्रोधित हो गया और मूसा ने लोगों को क्षमा करने के लिये विनंती की। उसने क्षमा किया परन्तु उन में से कोई भी उस देश में नहीं जाएगा और सभी मरूभूमि में मर जाएँगे। ‘‘तब मूसा ने ये बातें सब इस्राएलियों को कह सुनाई और वे बहुत विलाप करने लगे।'' (गिनती 14:39)।
यह घटना का अन्त नहीं है। ‘‘और वे बिहान को सवेरे इस्राएलि लोग उठकर यह कहते हुए पहाड़ की चोटी पर चढ़ने लगे, कि हम ने पाप किया हैय परन्तु अब तैयार हैं, और उस स्थान को जाएँगे जिसके विषय यहोवा ने आज्ञा दिया था।'' (गिनती 14:40)।
अब बहुत देर हो चुकी थी। परमेश्वर ने उन्हें एक अवसर दिया था, और उन्होंने उसे निराश कर दिया था। अब सही समय नहीं रहा था।
मूसा ने पूछा, ‘‘तुम यहोवा की आज्ञा का उलंघन क्यों करते हो? यहोवा तुम्हारे मध्य में नहीं है, मत चढ़ो, नहीं तो शत्रुओं से हार जाओग। वहां तुम्हारे आगे अमालेकी और कनानी लोग हैं, सो तुम तलवार से मारे जाओगेय तुम यहोवा को छोड़कर फिर गए हो, इसलिये वह तुम्हारे संग नहीं रहेगा। परन्तु वे ढिठाई करके पहाड़ की चोटी पर चढ़ गए, परन्तु यहोवा के वाचा के सन्दूक, और मूसा, छावनी से न हटे। तब अमालेकी और कनानी जो उस पहाड़ पर रहते थे उन पर चढ़ आए, और होर्मा तक उनको मारते चले आए।'' (गिनती 14:41—45)।
अभी भी वह उनके लिये काफी नहीं था। वे उस देश को अपने वश में करने के लिये आग बढ़ चले, जिसे परमेश्वर ने उनके नहीं, परन्तु समय सब कुछ है अपने नाम के निमित्त लेने के लिये उनसे कहा था। यहाँ पर कहानी इस प्रकार खतम होती है, ‘‘तब अमालेकी और कनानी जो उस पहाड़ पर रहते थे उन पर चढ़ आए, और होर्मा तक उनको मारते चले आए।'' (पद 45)।
यह सब परमेश्वर के समय पर होता है। परमेश्वर कभी भी मुझ से या आप से नहीं कहता है, वह है जो मैं चाहता हूँ, तुम इसे तब करो जब तुम तैयार हो। पवित्र आत्मा के अगुवाई को सुनने का भाग कार्य करने की बुलाहट है, जब परमेश्वर हम से कार्य करवाने को चाहता है। समय सब कुछ है, क्योंकि परमेश्वर का समय ही महत्वपूर्ण है, आपका नहीं।
परमेश्वर आपके सही समय पर हाँ नहीं कहने के द्वारा आपकी इच्छा को खो देना बहुत आसान है। यीशु मसीह के द्वारा मैं तुझ से प्रार्थना करती हूँ कि तू मेरी सहायता कर, ताकि मैं तेरी आबाज सुनने में और आज्ञापालन करने में त्वरित हो सकूँ। आमीन।।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/