मन की युद्धभूमिनमूना
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निष्क्रिय मन
शायद प्रेरित पौलुस के इन शब्दों की व्याख्या करने का सब से उत्तम तरीका यह है, शैतान को अवसर प्रदान मत करो। हम शैतान को वास्तव में बहुत प्रकार से अवसर देते हैं कि हमें वह परेशान करे। उन में से एक तरीका है सक्रिय न होना। अक्रिय होना सक्रिय का विपरित है। यह एक खतरनाक समस्या हो सकती है। क्योंकि इसका अर्थ है आप सुरक्षा में नहीं हैं, आप सक्रिय रूप से खड़े नहीं हैं और आप सचेत नहीं हैं। शैतान के धोखा देनेवाले चालों में से एक आपको बिना कुछ किए बिठाऐं रखना है, और उसमें सन्तुष्ट महसूस कराना है। मैंने अक्रिय शब्द का विभिन्न प्रकार के परिभाषाएँ प्राप्त की है। परन्तु मैं इसे महसूस करने का अभाव, इच्छा का अभाव, सहानुभुति का अभाव, आलस्य, गुनगुनापन के रूप में वर्णित करती हूँ। लौदिकिया की कलीसिया को लिखते हुए यूहन्ना ने यही बात कही। ‘‘मैं तेरे कामों को जानता हूँ, कि तू न तो ठण्डा और न तो गर्मः भला होता कि तू ठण्डा या गर्म होता।'' (प्रकाशित 3:15)।
यह मुझे वह बात याद दिलाती है जो किसी ने वषोर्ं पूर्व मुझसे कही थी। उसने कहा, ‘‘मैं आज एक अच्छा मसीही रहा हूँ।'' मैंने किसी को चोट नहीं पहुँचाया या किसी का नुकसान नहीं किया है।
अन्तर्दृष्टि के एक क्षण में मैंने कहा, परन्तु क्या आप ने किसी का कोई भला किया है?
कुछ कहने से पहले वह मेरी तरफ घूर के देखता रहा। मैं सोचता हूँ कि मैंने इस बारे में इस प्रकार से कभी नहीं सोचा। मैं कुछ भी गलत न करने के विषय में बहुत चिन्तित था, कि मैं कभी भी कुछ भला करने के बारे में नहीं सोच सका।
यह शैतान की चालों में से एक है जो हमारे मनों में खेलता है। हमें केवल यह करना है कि, हमें केवल बाइबल को पढ़ना है और देखना है कि परमेश्वर क्या कहता है। पौलुस ने तिमुथियुस को लिखा, ‘‘इसी कारण मैं तुझे स्मरण दिलाता हूँ, कि तू परमेश्वर के उस वरदान को जो मेरे हाथ रखने के द्वारा तुझे मिला है चमका दे। क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है।'' (2 तिमुथियुस 1:6—7)। पौलुस ने अपने जवान शिष्य से कहा, कि वह अपने आपको झँझोडो और कुछ करे। जिस पर विचार करना हमारे लिये भी अच्छा है। पौलुस ने हम से निवेदन किया, कि हमें आगे बढ़ते रहना है और परमेश्वर ने जो वरदान हमें दिए हैं उसे इस्तेमाल करना आरम्भ करना है।
शैतान जानता है कि अक्रिय रहना आलसपन या पराजय या भला करने की अपनी इच्छा को कार्यान्वित करने में असफल होना, निष्क्रिय मन हमें अन्ततः पराजय की ओर ले जाता है। जितना हम शैतान के विरूद्ध बढ़ते हैं उतना हम युद्ध जीतते हैं। जब हम कुछ नहीं कहते हैं तब हम उसका मुख्य लक्ष्य बन जाते हैं। जब हम सक्रिय हो जाते हैं विश्वास के विषय में जलन रखते हैं और परमेश्वर का अनुकरण करने में उत्साहित होते है, तब हम शैतान के प्रभाव को नाश कर सकते हैं।
पतरस ने अपने समय के सताएँ हुए विश्वासियों को लिखा, ‘‘सचेत हो और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाला सिंह की नाई इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए। विश्वास में दृढ़ होकर और यह जानकर उसका सामना करो।'' (1 पतरस 5:8—9अ)। मैं यह इसलिये कहती हूँ क्योंकि मैं बहुत से विश्वासी को देखती हूँ जो किसी भी बात के प्रति वे जलन नहीं रखते हैं, इसलिये वे कुछ नहीं करते हैं। यदि ऐसा करने का मन हुआ, तो वे परमेश्वर की स्तुति करते हैं। वे अपने बाइबल पढ़ते हैं यदि उनके पास समय और ऊर्जा है तो। यदि उन्हें नहीं लगता है कि कुछ करना चाहिये, तो वे कुछ नहीं करते हैं।
यह परमेश्वर का तरीका नहीं है। हमें अपने आपको इस प्रकार से ऊंचा उठाना है जैसे पौलुस ने तिमुथियुस से कहा। मेरा क्या तात्पर्य है, इसे बताने के लिये मैं स्वयं का उदाहरण दूगी। मैं शारीरिक व्यायाम उतना अधिक पसन्द नहीं करती हूँ। परन्तु जितना अधिक मैं अभ्यास करती हूँ, उतना अधिक यह मेरे लिये आसान बनता है, और मुझे अच्छा महसूस होता है। जब मैंने पहले कार्यक्रम शुरू किया था तो यह बहुत कठिन था। वास्तव में यह चोट पहुँचाता था। मैं दुःखी थी। मुझे सब जगह दर्द होता था और मैं छोड़ देना चाहती थी। मैं बहुत समय तक शारीरिक व्यायाम के समय अकर्मक रही, क्योंकि यह दर्दिला था। और जब तक मैंने कुछ नहीं कियाष् मेरी शारीरिक स्थिति बुरी होती गई।
मुझे, आपको उठ खड़े होने के लिये उत्साहित करने दीजिये। सक्रिय होइये, बिना कुछ किए आपको शैतान को स्थान नहीं देना है। यदि आप स्तुति करने और बाइबल पढ़ने का प्रयास करते हैं, तो आप परमेश्वर को आशीष देने का अवसर देते हैं। यदि आप ऐसा प्रयास नहीं करते हैं, तो आप अपने जीवन में शत्रु को निमंत्रित करते हैं। बढ़ते रहिए, आज ही प्रारम्भ कीजिए।
परमेश्वर मुझे उठ खड़े होने के लिये सहायता कीजिये। विशेष करके उन दिनों में जब मैं किसी भी बात के प्रति जलन महसूस नहीं करता हूँ। यह याद करने में सहायता कर, कि यह एक ऐसा कार्य है, जिसका तू आदर करता है। यीशु के नाम से सचेत और सक्रिय रहने के लिये मेरी सहायता कर। और इसका अर्थ जयवन्त होना भी है। आमीन।।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/