मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 80 का 100

सुखद शब्द, स्वस्थ शब्द

हमारे विचार हमें या तो समस्या में डल सकते हैं या हमें समस्या से ऊंचा उठा सकते हैं। बहुधा हम अपने मन को गलत प्रकार के विचारो से भरने की अनुमति देते हैं। ऊपर लिखित पद, यह कहता है कि बुद्धिमान का मन अपने मुँह को सिखाता है। इस कहावत का अर्थ है, कि हम जिन विचारों में बढ़ते हैं वे क्रमशः हमारे मुँह में आ जाते हैं। यदि हमारे शब्द भले और ऊंचे उठानेवाले हैं, ये हमें और दूसरों को उत्साहित करते हैं।

वे विचार केवल दूसरों के बारे में नहीं हैं, यह विचार हमारे बारे में हैं कि हम स्वयं से कैसे प्रतिबिबं होते हैं। मेरे स्कूल के स्मार्ट मित्रों में से एक, एक दिन यह अंगिकार किया, कि उसने बौद्धिक रूप से अपने आपको कमतर महसूस किया। उसके शब्दों से मुझे झटका लगा और मैंने उससे ऐसा कहा। मैंने पाया कि जब उसे कोई बात पहली बार समझ नहीं आती थी, तो उसके पिता उसे मूर्ख कहा करते थे। क्रमशः उसके विचारों ने उसे कहा, इसे समझने के लिये तुम्हारी बुद्धि पर्याप्त नहीं है।

एक अच्छा उदाहरण है कि हमारे शब्द दूसरों को किस प्रकार से फाड़ सकते हैं। परन्तु हम दूसरों को अपने शब्दों से ऊंचा उठा भी सकते हैं। जब हम भले पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, तब हम लोगो में देखते हैं और उनसे कहते हैं और हम उनके लिये परमेश्वर के सन्देशवाहक होंगे।

उदाहरण के लिये, मैं भीड़ के सामने खड़ी होकर बहुत बार प्रवचन की। क्योंकि मेरे पास विजय है, इसलिये वे सोचते हैं कि मैं हमेशा विजयी हूँ, और जैसे वे संघर्ष करते हैं मुझे वैसा संघर्ष नहीं करना पड़ता। कभी कभी कोई व्यक्ति मेरे पास आकर कहता है, ‘‘जॉयस, परमेश्वर ने निश्चय ही आपको आज रात इस्तेमाल किया। मैं यहाँ पर निराश होकर आई थी और लगातार परमेश्वर से पूछती रही कि मुझे क्या करना चाहिए? आपकी शिक्षा के बीच में आपके द्वारा परमेश्वर को मैंने बोलते हुए सुना''।

यह अच्छे शब्द हैं—मधु के छत्ते से भी मिठे। वे लोग जो मुझसे बात करते हैं अक्सर इस बात से अनजान रहते हैं कि मैंने शत्रु से कितनी कठिन लड़ाई लड़ी है, और उसके प्रभाव से अपने मन को छुड़ाने के लिये कितना संघर्ष किया है। जब वे मुझसे कहते हैं, कि मैं उनके लिये कितनी आशीष का कारण रही हूँ। वे अक्सर महसूस नहीं कर पाते हैं कि उनके शब्दों का मेरे लिये क्या तात्पर्य है?

हर कोई सुखदायक और चंगा करनेवाले शब्द सुनना चाहता है। यह कल्पना करना बहुत आसान है कि जैसा संघर्ष हम करते हैं, वैसा संघर्ष कुछ लोगों को नहीं करना पड़ता। हम सब संघर्ष करते हैं और कुछ लोगो को अन्य लोगो की तुलना में ज्यादा बुरा होता है। मैं विश्वास करती हूँ, कि परमेश्वर हमें जितना अधिक उपयोग में लाना चाहता है, उतनी ही शक्ति से शैतान अपने विरूद्ध ताकत दिखाता है।

हम एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं। जब हम गंभीरतापूर्वक सुखदायक और चंगाकरनेवाले शब्द बोलते हैं। तब न केवल हम शैतान की ताकत को निष्क्रिय करते हैं, परन्तु हम एक दूसरे को बड़ने मे सहायता करते हैं। हमें दूसरों को उतना ही बड़ाने की आवश्यकता है, जितना हमें उनके द्वारा उत्साहित किए जाने की आवश्यकता है।

मैं ऐसे समय स्मरण कर सकती हूँ, जब मैं किसी से कुछ दयालु शब्द कहना चाहती थी और मैं सोचती, ओह...वह तो यह जानती है! उसने पहले भी यह सुना है, और तब मैं स्वयं से कहती, हाँ, शायद वह जानती है, और शायद उसने पहले यह सुना है, परन्तु उसने मुझ से नहीं सुना है। ऐसा नहीं है कि मेरे शब्द किसी और से श्रेष्ठ हैं। परन्तु पवित्र आत्मा ही हमारे शब्दों को लेकर उसका अभिषेक करता और दूसरों के लिये चंगाई के काम और सहायता करता है।

क्या होता यदि हम सब यह निर्णय करते, कि मैं दूसरों के घाव को और चोटिल हृदय को चंगा करने के लिये अच्छे शब्द बोलनेवाले परमेश्वर की सेवक हूँ? क्या होता यदि परमेश्वर हमें दयापूर्ण और गंभीर अर्थवाले शब्दों के द्वारा दूसरों को मजबूत बनाने के लिये हमें चुनता? न केवल हम शैतान को भागने पर मजबूर करेंगे, परन्तु हमारे मित्रों का आनन्द वापस आएगा और हमारा भी। क्योंकि हम चंगाई के लिये परमेश्वर की उपकरणों के द्वारा उपयोग किये गए हैं। मैंने बहुत पहले सिखा था, कि बहुत भला करने में थोड़ा समय लगता है। बहुधा यह केवल एक उत्साहित करनेवाला शब्द हो सकता है, या एक आलिंगन हो सकता है, या यह कहना होता है कि, मुझे तुम्हारी चिन्ता है।

परमेश्वर के पवित्र आत्मा, मेरे भीतर जो शब्द हैं कृपया उन्हें मुझे स्मरण दिला। भले, दयालु, और ऊँचे उठानेवाले शब्दों को सामने रखने के लिये मुझे स्मरण दिला। और मुझे सामर्थ दे कि में उन शब्दों को दूर हटा सकू जो लोगो को चोट पहुँचाए और घायल करे — मुझे भी। मैं यह यीशु के नाम से माँगती हूँ।


पवित्र शास्त्र

दिन 79दिन 81

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/