मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 82 का 100

निष्क्रियता पर जय

यीशु मसीह से यह शब्द डरावना हो सकता है। इसकी चेतावनी का उद्देश्य अशुद्ध आत्माओं के वापस आने के विषय में चिन्तित या हमें परेशान करना नहीं है। हमें यह एक चेतावनी है कि गलत विचारों से छुटकारा पाना ही काफी नहीं है। हमें द्वार को बन्द रखना है ताकि शत्रु वापस न आने पाएँ। न केवल शत्रु वापस आता है, परन्तु वे पहले से भी बुरी दशा में आती है।

एक बार मैंने खानपान के बारे एक लेख पढ़ा था, और लेखक ने कहा, कि अधिकतर जो खानपान पर नियंत्रण करते हैं, वास्तव में अपने वजन को कम करते हैं। जब खानपान नियंत्रण रोग से नहीं है, तब वे पुनः उस वजन को प्राप्त कर लेते हैं जो उन्होंने कम किया था और पाँच प्रतिशत और अधिक प्राप्त कर लेते हैं। जब वे समस्या पर काम करना बन्द कर देते हैं, तो वे न केवल कम करना रोकते हैं, परन्तु जैसा उन्होंने प्रारंभ किया था, उस से भी बुरी दशा में पहुँच जाते हैं। लेखक आगे कहता है, कि अधिक वजन की समस्या को जीतने का एक मात्र मार्ग खतरनाक क्षेत्र के विषय में जागरूक रहने और गलत चुनाव करने के विषय में अपने आपको बचाने के द्वारा अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना है।

यह आत्मिक रूप से भी ऐसा ही काम करता है। गलत विचारों को अपने मन से दूर रखने का एक तरीका अपने मन को लगातार सक्रिय और सतर्क और सही बातों से भरा रखना है। आप दुष्ट को बाहर निकाल सकते हैं, परन्तु तब आपको हमेशा उसकी चालों की प्रति सतर्क रहना होगा।

जैसे मैं अपनी पुस्तक मन की युद्धभूमि में संकेत बताती हूँ, कि कुछ ऐसे पाप हैं जिसे आज्ञा उलंघन कहते हैं, जो करने का पाप है। और कुछ ऐसे पाप हैं, जो न करने के पाप हैं। अर्थात ऐसी बातें हैं जिसे हम व्यक्ति को चोट पहुँचाने के लिये करते हैं। जैसे लापरवाही पूर्वक कहे गए शब्द। परन्तु यह भी उतना ही सच है कि हम कृपालु शब्दों के और प्रशंसा करनेवाले वैचारिक शब्दों के सहानुभुति और दूसरों के द्वारा किये गए दयापूर्ण कार्य के प्रति जागरूकता न दिखाने के द्वारा भी हम रिश्तों को चोट पहुँचा सकते हैं।

सामना होने पर अकर्मक व्यक्ति कहते हैं। परन्तु मैंने तो कुछ नहीं किया। यही वास्तविक बात है। यही है जो उन्होंने नहीं किया। कार्य का अभाव वास्तव में उनके जीवन में शैतान को वापस बुलाता है।

यह एक दृढ़ कथन है, इसलिये मैं इसे दूसरे तरीके से कहूँगी। आप किसी भी समय जब कार्य करते हैं तो जीत सकते हैं और उन विचारों और इच्छाओं को बाहर निकाल सकते हैं, जो परमेश्वर की ओर से नहीं है। आप इसे अपने स्वयं की प्रार्थना, बाइबल पठन, अकर्मण्यता जो आपके लिये स्वभाविक है, का प्रतिरोध करने के द्वारा कर सकते हैं। परन्तु एक बार जब आप मुक्त हो जाते हैं, तो यह केवल शुरूवात है। यह केवल एक विजय नहीं है जो अन्त तक बना रहता है। यह एक लगातार चलनेवाली शक्ति है। यह लगातार शैतान को डांटना है।

शैतान को डांटने का सबसे आसान और प्रभावशाली और उत्तम तरीका अपने मन और हृदय को परमेश्वर की स्तुति से भर देना है। जब परमेश्वर की स्तुति और आराधना करते हैं, तो आप शत्रु के मुँह पर दरवाजा मारते हैं, और तब उसे ना कहते हैं।

मैं आपको ऐसा नहीं कहना चाहती हूँ, कि आपको हर क्षण अपने जीवन में दुष्टात्माओं से लड़ने की आवश्यकता है। आपको इस प्रकार सोचने देना भी शैतान की चाल है। लेकिन जब अपने जीवन को स्तुति और सकारात्मक स्वस्थ विचारों से भरेंगे, तो आप विजय में जीएँगे।

कृपया इस पद को पुनः जोर से पढ़िये और पवित्र आत्मा के सन्देश को सुनिए। ‘‘निदान, हे भाइयो, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावानी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं उन्हीं पर ध्यान लगाओ।'' (फिलिप्पियों 4:8)।

अकर्मण्यता के ऊपर विजय बहुत आसान है। अपने मन को भले पर केन्द्रित करें, और आपके पास अकर्मण्यता या बुरे के लिये कोई स्थान शेष नहीं होगा।

परमेश्वर रोज विजय में जीने और अकर्मण्यता पर विजय पाने का रास्ता दिखाने के लिये आपको धन्यवाद। यीशु नाम से मैं आप से प्रार्थना करती हूँ कि मुझे प्रति दिन स्मरण दिलाए कि मैं अपने मन और हृदय को केवल योग्य विचारों से भर सकूँ। आमीन।।


पवित्र शास्त्र

दिन 81दिन 83

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/