मन की युद्धभूमिनमूना
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एक दूसरे से प्रेम करना
घृणा एक अति कठोर और मजबूत शब्द है। विश्वासियों के बीच में दूसरे मसीहियों से तुलना करने के संबंध में किसी भी प्रकार की बातचीत उनमे से अधिकतर लोगों को इस कथन पर पहुँचाई, ‘‘मैं विश्वास नहीं करती कि मैंने कभी किसी से घृणा किया हो''। यदि हम यूहन्ना के इन शब्दों पर विचार करें, संभवतः उसने घृणा का तात्पर्य इस प्रकार नहीं सोचा जिस प्रकार हम सोचते हैं किसी के विषय में बहुत अलगाव या दूरी महसूस करना। शायद इन दिनों हमारी घृणा बहुत कुछ मतभिन्नता के विषय है। ऐसे नहीं है कि हम लोगो को पसंद नही करते, परन्तु जब वे समस्याओं और कठिनाइयों में होते हो तो हम उनकी सहायता करने की पर्याप्त कोशिश नहीं करते हैं।
‘‘आज कल चर्च मैं जो प्यार में देखती हूँ अधिकतर सुविधा पर निर्भर है''। पिछले दिनों किसी ने मुझ से कहा, उसने आगे कहा कि हम लोगों तक तब पहुँचते हैं जब यह हमारे लिये सुविधाजनक हो या बहुत समय खर्च नहीं होता हो।
यह शैतान के लिये अवसर प्रदान करता है कि वह हमें उन लोगों से दूर कर दे जिनको हमारी प्रेम की अधिक आवश्यकता है। यीशु ने हमें आज्ञा दी कि हम एक दूसरे से प्रेम करें। यूहन्ना 13:34—35, उसने कहा कि लोग हमें उसके चेले के रूप में पहचानेंगे, और दूसरों के प्रति हमारे प्रेम की अभिव्यक्ति को देखकर समझेंगे। शायद एक कारण जो वे नहीं कहते हैं वह है कि आज कल की मसीही बाहर निकलकर दूसरों की जरूरतों को पूरा करने की अनिच्छुक होते हैं।
प्रेम एक क्रियात्मक शब्द है। यदि आप दूसरों से प्रेम करते हैं तो आप उनके लिये कार्य करेंगे। घृणा करना दूसरों के लिये कुछ नहीं करना है बाइबल के सन्दर्भ में या उससे मुड़ जाना है। इसे और बुरा बनाने के लिये आप दूसरो को दोषी ठहराते हैं और उनकी आलोचना करते हैं और आप सोचते हैं यदि वे सच में परमेश्वर से प्रेम करते तो वे ऐसी स्थिति में नहीं होते।
आपको यह देखने की आवश्यकता है कि यदि आप परमेश्वर के प्रेमी चाल को अभ्यास करते। न केवल आप बाहर उन्नति करेंगे बल्कि आप देसरों को भी बढ़ने में सहायता करेंगे। शैतान आपका बहुत ज्यादा नुकसान नहीं कर सकता यदि आप दूसरों के साथ प्रेम में संबंध रखेंगे।
अपने इस पुस्तक मन की युद्धभूमि में, मैंने यह वर्णन किया है किस प्रकार मैं अपने चौथे गर्भधारण के समय मैं बुरी तरह बिमार पड़ गई। जब मैं चंगाई के लिये प्रार्थना किया, तो परमेश्वर ने मुझे स्मरण दिलाया कि मैंने अपनी कलीसिया की एक महिला की आलोचना की थी जब वह अपने गर्भधारण के समय हमेशा बिमार और थकी रहती थी। अब मैं भी समान परिस्थिति में थी। मैंने महसूस किया कि मैं कितना गलत थी और मैंने पश्चाताप किया। लेकिन यह पश्चाताप से भी ज्यादा था। यह मेरे लिये सीखने का समय था। परमेश्वर ने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं समझूं कि कैसे अक्सर मैं दूसरों का न्याय करती और उनकी आलोचना किया करती थी। क्योंकि वे बहुधा उन स्तर पर नहीं होते थे जिन स्तर पर मैं सोचती थी कि उन्हें जिना चाहिए। हम सभी गलतियाँ करते है। हम सभी के पार कमजोरीया है। परमेश्वर ने हमें उन कमजोरियों को दूसरों की ओर दिखाने के लिये नहीं बुलाया है।
या इससे भी बुरा, किसी और को। परन्तु उसने हमें दूसरों को संभालने के लिये बुलाया है — हर संभव तरीकों से परमेश्वर के प्रेम को दिखाने के लिये। बाइबल हमसे कहती है कि हम दयालु हृदय के बनें, समझनेवाले और क्षमाशील बनें। इसी प्रकार हम शैतान के आक्रमणों पर विजय पा सकते है। पौलुस इसे इस प्रकार से कहता है, ‘‘और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।'' (इफिसियों 4:30—32)।
परमेश्वर ने इन पदों का इस्तेमाल मेरी यह देखने में सहायता किया, कि यीशु का शिष्य बनने का अर्थ, दूसरों पर दयालु और सहानुभूतिपूर्ण और क्षमाशील होना है। मैंने यह भी समझा कि इसका तात्पर्य उनकी कमजोरियों और घटियों से परे देखना है। यदि हम यीशु के समान दूसरों से प्रेम करते हैं, तो यह बिल्कुल कठिन नहीं है।
प्रभु यीशु, मैं दूसरों से प्रेम करना चाहती हूँ। और मैं दूसरों के प्रति दयालु और संभालनेवाली बनना चाहती हूँ। मैं यह भी जानती हूँ कि मैं अक्सर पराजित हो जाती हूँ। आपके नाम में मैं आपसे क्षमा की प्रार्थना करती हूँ और मुझे दूसरों को क्षमा करने के योग्य बना। जो मुझे चोट पहुँचाते हैं या मेरे शर्त के अनुसार नहीं जीते हैं। आमीन।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में
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जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/